उत्तराखण्डदिल्लीराज्यराष्ट्रीय

हिमालयी सरोकारों को समर्पित त्रिमासिक पत्रिका ‘हिमांतर’ का लोकार्पण सम्पन्न

सी एम पपनैं

नई दिल्ली। उत्तराखंड सदन चाणक्यपुरी में 14 फरवरी को ‘टीम हिमांतर’ द्वारा अनौपचारिक कार्यक्रम के तहत, हिमालयी सरोकारों को समर्पित त्रिमासिक पत्रिका ‘हिमांतर’ का लोकार्पण एव परिचर्चा का आयोजन, उत्तराखंड के सुप्रसिद्ध साहित्यकार, रमेश चन्द्र घिन्डियाल की अध्यक्षता व उत्तराखंड के प्रबुद्ध पत्रकारों, साहित्यकारों, समाजसेवियों व विभिन्न व्यवसायो से जुडे प्रबुद्धजनो के सानिध्य मे सम्पन्न हुआ।

लोकार्पण कार्यक्रम शुभारंभ से पूर्व विगत दिनों व महीनों मे उत्तराखंड तपोवन त्रासदी व कोरोना संक्रमण मे जान गवा चुके उत्तराखंड के जनसरोकारों से निरंतर जुडे प्रबुद्धजनो को दो मिनट का मौन रख कर, भावभीनि श्रद्धाञ्जलि अर्पित की गई।

‘हिमांतर’ पत्रिका कार्यकारी संपादक डा.प्रकाश उप्रेती व पत्रिका टीम सदस्य शशि मोहन रवांल्टा द्वारा पत्रिका के प्रकाशन के मूल उद्देश्यो पर प्रकाश डाल, अवगत कराया गया, पहाड़, खासकर हिमालयन क्षेत्र की लोक संस्कृति व सभ्यता, लोकमन-भाव, गीत-संगीत, बोली-भाषा, जल-जंगल-जीवन और विरासत को बृहद तौर पर पहचान दिलवाने तथा लिखित रूप मे, डिजिटल दस्तावेजीकरण करने की सोच के तहत, किया गया है। जिस माध्यम वैश्विक फलक पर दुनिया का अपार जनमानस इस डिजिटल खिड़की के माध्यम से, उत्तराखंड की थाती को पढ़, जान व समझ सके।

अवगत कराया गया, ‘हिमांतर पोर्टल’ की संकल्पना 2003 मे की गई थी। जो, व्यवस्थित रूप से 2016 से चलायमान है। लगभग दो दशक की डिजिटल यात्रा के बाद, अलग से कुछ बेहतर करने की कोशिश के तहत, ‘हिमांतर’ पत्रिका का प्रकाशन किया गया है। आज प्रवेशांक का लोकार्पण किया जा रहा है। व्यक्त किया गया, पत्रिका का प्रिंट मे क्रम कितना चलायमान रहेगा, कहा नहीं जा सकता। सहयोग की आकांशा रहेगी। वेबसाइड जारी रहेगी। पब्लिकेशन भी चल रहा है। किताबे प्रकाशित की जा रही हैं।

व्यक्त किया गया, पत्रिका व्यवसाय आधारित नही, संबंधों व ताल्लुकातो पर निर्भर रहेगी। अवगत कराया गया, पत्रिका को उत्तराखंड के पत्रकार मिल कर तैयार करते हैं। उम्मीद करते हैं, पत्रिका मे, जनता से सरोकारों के सवाल, जरूर उठे।

उत्तराखंड सदन के विशिष्ट कान्फरैंस हाल में उपस्थित दर्जनों पत्रकारों, साहित्यकारों, लेखको व पत्रिका टीम सदस्यों की उपस्थिति में ‘हिमांतर’ पत्रिका प्रवेशांक के दो अंको का लोकार्पण, सामूहिक रूप से किया गया। उक्त प्रवेशांक का पहला अंक, पहाड़ की मातृशक्ति को तथा दूसरा अंक स्वरोजगार जैसे वर्तमान ज्वलन्त विषयो पर प्रकाशित हुए हैं। गांव-गोठयार, खेती-बाडी, पर्यटन, संस्कृति, पर्यावरण, संस्मरण, यात्राऐ, कविताऐ, कहानिया इत्यादि पत्रिका मे स्थानरत हैं।

आयोजित परिचर्चा मे उपस्थिति सभी प्रबुद्धजनो द्वारा विचार व्यक्त किए गए। काशी सिंह ऐरी, पुष्पेश त्रिपाठी, डा.कुसुम जोशी, डा.रेखा उप्रेती, डा.डी डी जोशी, प्रो.हरेन्द्र असवाल, डा.भावना मासीवाल, मीना कन्डवाल, सुरेश नोटियाल, डा.प्रयासी, डा. सूर्य प्रकाश सेमवाल, उमेश पन्त, नीरज भट्ट, नीरज बवाडी, सुनील नेगी, कृष्ण सिंह, चंद्रमोहन पपनैं, चारु तिवारी, जगमोहन उनियाल, लक्ष्मी रावत, ओ पी डिमरी, कुसुम कन्डवाल भट्ट, ललित फुलारा, तेजपाल रावत, शिव चरण मुंडेपी इत्यादि द्वारा प्रकाशित पत्रिका व वर्तमान पत्रकारिता के संदर्भ मे सारगर्भित प्रेरणायुक्त विचार व्यक्त किए गए।

प्रबुद्ध वक्ताओ द्वारा व्यक्त किया गया, पहाड़ की प्रेरणाप्रद कहानियो को पत्रिका के माध्यम, राष्ट्रीय फलक पर पहुचाने का प्रयास किया जाय। पहाड़ की रचनाशीलता को हम अलग-अलग तरीके से देखते हैं, उसी पर लेख लिख, उन्हे स्थान देने का प्रयास किया जाय। नई रचनात्मकता को ज्यादा अवसर मिले।

वक्ताओ द्वारा चिंता व्यक्त कर, कहा गया, पहाड़ के साहित्यकारों पर काम नही किया गया है। उन्हे भुला दिया गया है। संघर्ष से जो लोग आगे बढे हैं, उनका जिक्र हो। अपनी जडो को, पत्रिका के द्वारा सींचते रहे।

वक्ताओ द्वारा व्यक्त किया गया, प्रिंट मीडिया बेहतर साधन है।बिना व्यवस्था के पत्रिका की मुहीम को जारी रखना, चुनौती पूर्ण है। जब कार्य शुरू किया है, तो मुहीम को डिग कर, आगे ले जाना होगा। पाव जमाऐ रखने होंगे। व्यक्त किया गया, उत्तराखंड में संसाधनों की कमी नही है, सोचने की जरूरत है। पत्रिका ऐसे दौर मे शुरू हो रही है, जब कोरोना संक्रमण के कारण व्यवस्था पटरी से उतरी हुई है।

पत्रिका की मुख्य मुहीम क्या हो? फ़ंडिंग का सिस्टम क्या हो? उक्त तथ्यों पर भी वक्ताओ द्वारा, टीम पत्रिका सदस्यों का ध्यान आकर्षित किया गया। व्यक्त किया गया, रचनात्मक कार्य समाज की बेहतरी के लिए काम होता है। पत्रिका को निकालना गम्भीर कार्य है। दमखम भरा कार्य है। दृष्टि मुख्य है। पत्रिका का प्रभाव क्या है? यह महत्वपूर्ण रहेगा। पत्रिका रचनात्मक भूमिका निभाए। पत्रिका में पहाड जिंदा रहे। इस उद्देश्य पर पत्रिका टीम को तत्पर रहना होगा। जनसरोकारो को महत्व देना होगा। सक्षम लोगों को मिलकर पहाड को बचाना चाहिए। उत्तराखंड बचाना भी है, बसाना भी है। सियासत उत्तराखंड को नही बचा सकती।

अवगत कराया गया, लिखने वाले बहुत हैं, पढने वाले कम। इसलिए पत्रिका में उत्तराखंड के रंगमंच व अन्य विधाओ से जुडे विषयो को भी जोडा जाना चाहिए। पत्रिका में आकर्षण हो, जिससे बच्चे व युवा पढ़े। कहानिया हम तक सीमित न रहे, भावी पीढी को भी पढने को मिले। पत्रिका में सकारात्मक-नकारात्मक दोनों पहलुओ पर प्रकाश डालना होगा। पत्रिका के शुरुआती अंक बहुत प्रभावी हैं।

पत्रिका लोकार्पण कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे रमेश चन्द्र घिन्डियाल द्वारा पत्रिका की महत्ता बढ़ाने हेतु, पत्रिका टीम सदस्यों को कुछ सुझाव दिए गए।लोकार्पण कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ पत्रकार चारु तिवारी तथा शशि मोहन रवांल्टा द्वारा सभी आगन्तुको का आयोजन मे उपस्थित होने पर आभार व्यक्त किया गया।

Share This Post:-

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *