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” भारत में तेल और गैस खोज के नए युग की शुरुआत – नीति सुधारों से अन्वेषण और निवेश को मिलेगा बढ़ावा”

Amar sandesh नई दिल्ली्।भारत सरकार ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश की ऊर्जा आत्मनिर्भरता को मजबूती देने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने आज घोषणा की कि तेल और गैस खोज तथा उत्पादन को तेज़ी से आगे बढ़ाने के लिए सरकार ने नई नीति सुधारों और मसौदा नियमों को जनता के सुझाव हेतु जारी किया है।

इन नए मसौदा नियमों, जिन्हें पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस नियम, 2025 नाम दिया गया है, का उद्देश्य तेल-गैस क्षेत्र को आधुनिक बनाना, निवेशकों को सुरक्षा देना और पारदर्शी वातावरण तैयार करना है। ये नियम पुराने कानूनों की जगह लेंगे और आने वाले समय में भारत के सबसे बड़े तेल-गैस ब्लॉक बोली दौर (OALP राउंड-X) से पहले लागू किए जाएंगे।
क्या बदलने जा रहा है?
अब कंपनियां अपने ब्लॉकों के भीतर सौर, पवन, हाइड्रोजन जैसे पर्यावरण के अनुकूल प्रोजेक्ट भी चला सकेंगी।
 भविष्य में टैक्स या रॉयल्टी बढ़ने पर कंपनियों को मिलेगा मुआवज़ा या राहत। इस्तेमाल न हो रही पाइपलाइन और सुविधाओं को अब दूसरों के लिए भी खोलना होगा ताकि छोटे उद्यमों को भी मौका मिल सके। तेल और गैस के उत्पादन के साथ-साथ अब ग्रीनहाउस गैसों की निगरानी और कार्बन स्टोरेज की भी सख्ती से व्यवस्था होगी।
सभी  डाटा का मालिकाना हक भारत सरकार के पास रहेगा, बिना अनुमति कोई भी कंपनी इसे देश से बाहर नहीं भेज सकेगी। नियमों को लागू करने और विवाद सुलझाने के लिए एक नया प्राधिकरण बनाया जाएगा।
श्री पुरी ने कहा कि भारत में तेल और गैस की खोज पहले कभी इतनी आसान, तेज़ और लाभदायक नहीं रही। हम चाहते हैं कि देश-विदेश के निवेशक यहां आएं और इस ऊर्जा क्रांति का हिस्सा बनें।
सरकार ने इसके साथ ही संशोधित राजस्व साझाकरण अनुबंध और नया पेट्रोलियम पट्टा प्रारूप भी जारी किया है, जिससे कामकाज में पारदर्शिता और स्पष्टता आएगी।
सरकार ने आम जनता, विशेषज्ञों और कंपनियों से 17 जुलाई 2025 तक इन मसौदा दस्तावेजों पर अपनी राय भेजने की अपील की है। सुझाव भेजने के लिए ईमेल करें: png-rules@dghindia.gov.in
यह परामर्श प्रक्रिया 17 जुलाई को भारत मंडपम, नई दिल्ली में आयोजित ऊर्जा वार्ता 2025 के दौरान समाप्त होगी।
भारत सरकार का उद्देश्य है – ऊर्जा क्षेत्र में पारदर्शिता, कुशलता और सतत विकास के रास्ते को मजबूत करना।
यह कदम आत्मनिर्भर भारत के ऊर्जा क्षेत्र की नींव को और मज़बूत करेगा।
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