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महात्मा गांधी जी की जयंती पर सोनिया गांधी ने मोदी सरकार पर साधा निशाना

अखिल भारतीय काग्रेस कमेटी कि राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गाँधी ने कहा – मेरे  प्यारे कांग्रेस के साथियों व किसान- मजदूर भाइयों और बहनों, आज किसानोंमज़दूरोंऔरमेहनतकशों के सबसे बड़े हमदर्द, महात्मा गांधी जी की जयंती है।

 

गांधी जी कहते थे कि भारत की आत्मा भारत के गांव, खेत और खलिहान में बसती है। आज ‘जय जवान, जय किसान’  का नारा देने वाले हमारे पूर्व प्रधानमंत्री, श्री लाल बहादुर शास्त्री जी की जयंती भी है।
लेकिन आज देश का किसान और  खेत मजदूर कृषि विरोधी तीनों काले कानूनों के खिलाफ सड़कों पर आंदोलन कर रहा है। अपना खून पसीना देकर देश के लिए अनाज उगाने वाले अन्नदाता किसान को मोदी सरकार खून के आंसू रुला रही है।
कोरोना महामारी के दौरान हम सबने सरकार से मांग की थी कि हर जरूरतमंद देशवासी को मुफ़्त में अनाज मिलना चाहिए। तो क्या हमारे किसानभाइयों के बग़ैर ये संभव था कि हम करोड़ों लोगों के लिए दो वक्त के भोजन का प्रबंध कर सकते थे!
आज देश के प्रधान मंत्री हमारे अन्नदाता किसानों पर घोर अन्याय कर रहे हैं। उनके साथ नाइंसाफी कर रहे हैं, जो किसानों के लिए कानून बनाए गए,  उनके बारे में उनसे सलाह मशवरा  तक नहीं किया गया। बात तक नहीं की गई,यहीनहीं उनके हितों को नज़रअंदाज करके सिर्फ चंद दोस्तोंसेबातकरके किसान विरोधी तीन काले कानून बना दिए गए।
जब संसद में भी क़ानून बनाते वक्त किसान की आवाज़ नहीं सुनी गई, तो वे अपनी बात शांतिपूर्वक रखने के लिए महात्मा गाँधी जी के रास्ते पर  चलते हुए मजबूरी में सड़कों पर आए। लोकतंत्र विरोधी,जन विरोधीसरकारद्वारा उनकी बात सुनना तो दूर, उन पर लाठियाँ बरसाईं गयी।
भाइयों और बहनों, हमारे किसान और खेत मजदूर भाई-बहन आखिर चाहते क्या हैं, सिर्फ इन कानूनों में अपनी मेहनत की उपज का सही दाम चाहते हैं और ये उनका बुनियादी अधिकार है।
आज जब अनाज मंडियां खत्म कर दी जाएँगी, जमाखोरों को अनाज जमा करने की खुली छूट दी जाएगी और किसान भाइयों की ज़मीनें खेती के लिए पूँजीपतियों को सौंप दी जाएँगी, तो करोड़ों छोटे किसानों की रक्षा कौन करेगा?
किसानों के साथ ही खेत-मज़दूरों और बटाईदारों का भविष्य जुड़ा है। अनाज मंडियों में काम करने वाले छोटे दुकानदारों और मंडी मजदूरों का क्या होगा? उनके अधिकारों की रक्षा कौन करेगा ? क्या मोदी सरकार ने इस बारे सोचा है?
कांग्रेस पार्टी ने हमेशा हर क़ानून जन सहमति से ही बनाया है। कानून बनाने से पहले लोगों के हितों को सबसे ऊपर रखा है, लोकतंत्र के मायने भी यही हैं कि देश के हर निर्णय में देशवासियों की सहमति हो। लेकिन क्या मोदी सरकार इसे मानती है? शायद मोदी सरकार को याद नहीं है की वो किसानों के हक के ‘भूमि के उचित मुआवजा कानून’ को आर्डिनेंस के माध्यम से भी बदल नहीं पाई थी। तीन काले कानूनों के खिलाफ भी कांग्रेस पार्टी संघर्ष करती रहेगी। आज हमारे कार्यकर्ता हर विधानसभा क्षेत्र और जिले में किसान और मजदूर के पक्ष में आंदोलन कर रहे हैं। मैं दावे के साथ कहना चाहती हूँ कि किसान और कांग्रेस का यह आंदोलन सफल होगा और किसान भाइयों की जीत होगी।

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