Amar sandesh नई दिल्ली: पर्वतीय लोक कला मंच द्वारा रविवार, 24 अगस्त को उत्तराखंड सदन, चाणक्यपुरी, नई दिल्ली में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में ‘बाला गोरिया’ नामक संगीत नाटक की समीक्षा की गई, जिसका मंचन 19 जुलाई को दिल्ली के सत्य साईं ऑडिटोरियम में श्री भगत सिंह कोश्यारी (पूर्व उपराज्यपाल, महाराष्ट्र तथा पूर्व मुख्यमंत्री उत्तराखंड) के सानिध्य में मंचित हुआ था। उत्तराखंड सदन में इस अवसर पर हेम पंत द्वारा लिखित ‘बाला गोरिया’ कुमाऊँनी नाटक पर आधारित पुस्तक का विमोचन भी किया गया।
इस आयोजन की अध्यक्षता रंगमंच और उत्तराखंड सिनेमा की प्रसिद्ध निर्देशक श्रीमती सुशीला रावत ने की। मंच पर कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे, जिनमें भारतीय सिविल सेवा से सेवानिवृत्त अधिकारी श्री हीरा बल्लभ जोशी, गैस रेगुलेटरी बोर्ड के सेवानिवृत्त सदस्य श्री बी.एस. नेगी, लेखिका डॉ. हेमा उनियाल, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के मीडिया समन्वयक श्री मदन मोहन सती, वरिष्ठ रंगकर्मी श्रीमती लक्ष्मी रावत, वरिष्ठ पत्रकार श्री चारु तिवारी, दिल्ली विश्वविद्यालय की पूर्व उप-प्राचार्या डॉ. आशा जोशी और फिल्म निर्माता श्री संजय जोशी शामिल थे।
उपस्थित समीक्षकों तथा वक्ताओं ने ‘बाला गोरिया’ नाटक की भरपूर प्रशंसा की और कुछ महत्वपूर्ण सुझाव भी दिए। उन्होंने नाटक के प्रति दर्शकों के उत्साह और कलाकारों के शानदार अभिनय, संगीत और निर्देशन की सराहना की।
समीक्षकों तथा वक्ताओं के विचार
श्रीमती लक्ष्मी रावत ने इस नाटक को आस्था से जुड़ा एक सफल प्रयास बताया और कहा कि यह मंच अपने परिवार की नई पीढ़ी को जोड़ने का एक सुंदर तरीका है। उन्होंने सुझाव भी दिए की कुछ पात्रों की गरिमा को अधिक बढ़ने के लिए किस तरीके से सुधार किया जा सकता है।
श्री मदन मोहन सती ने विशेष रूप से बाल और किशोर पात्रों, यश भट्ट और वेदांत कर्नाटक के अभिनय की प्रशंसा की।
डॉ. आशा जोशी ने कहा कि नाटक में उन्हें चितई मंदिर के साक्षात दर्शन हो गए और दर्शकों की भागीदारी ही नाटक की सफलता का प्रतीक है।
डॉ. हेमा उनियाल ने गौर भैरव के अवतार बाला गोरिया की गाथा की प्रस्तुति की सराहना करते हुए कहा कि स्लाइड प्रदर्शन ने इसे और भी प्रभावी बनाया।
श्री हीरा बल्लभ जोशी ने सुझाव दिया कि नाटक को हिंदी में भी किया जाना चाहिए ताकि अधिक लोग गोलू देवता के बारे में जान सकें। उन्होंने बताया कि नाटक देखते हुए श्री भगत सिंह कोश्यारी जी भावुक हो गए थे। उनका सुझाव था कि इस नाटक का मंचन उनके गांव देवीधुरा में भी होना चाहिए।
डॉक्टर के सी पांडेय ने बताया कि बालागोरिया जी की गाथा मौखिक परंपरा के रूप में लगभग दसवीं शताब्दी से शुरू हुई। तत्पश्चाप जागर के रूप में उत्तराखंड के विभिन्न क्षेत्रों में गाए जाने लगी। समय अंतराल तथा गाथा के स्थान भिन्नता के फलस्वरुप गाथा में थोड़ा-थोड़ा कुछ स्थानों में परिवर्तन है।उन्होंने बताया कि बाल गोरिया जी की गाथा हमें अपने परिवारों की जड़ों से तथा संस्कृति से जोड़े रखती है। उन्होंने बताया कि नाटक निर्देशन,मंचन, अभिव्यक्ति, वस्त्र व स्टेज सज्जा तथा संगीत की दृष्टि में बहुत ही उन्नत तथा सफल था।
श्री चारु तिवारी ने खुशी जताई कि मंच के संस्थापक स्वर्गीय गंगा दत्त भट्ट जी के परिवार के बच्चों ने भी इस नाटक में शानदार अभिनय किया।
रंगमंच से जुड़े श्री भूपेश जोशी, श्री हरि सेमवाल ने भी नाटक की भूरी भूरी प्रशंसा की। अणुव्रत निदेशक श्री रमेश काण्डपाल जी ने लेखक का अंगवस्त्र से स्वागत किया और कहा कि यह सब गोल्ज्यू देवता का आशीर्वाद है, जिससे इतना सुन्दर आयोजन संपन्न हुआ। डॉ. के सी पाण्डेय, श्रीमती संयोगिता ध्यानी, श्री चन्दन डांगी, श्री के डी जोशो, श्री नीरज बवाड़ी इत्यादि मौजूद सभी अतिथियों ने भी नाटक की सफल प्रस्तुति को सराहा।
“बाला गोरिया” पुस्तक का विमोचन
इसी अवसर पर, श्री हेम पंत द्वारा लिखित ‘बाला गोरिया’ कुमाऊँनी नाटक पुस्तक का विमोचन भी हुआ। इस पुस्तक का प्रकाशन ‘द इनक्रेडिबल पहाड़ी’ द्वारा श्री सुरेंद्र सिंह रावत के सौजन्य से किया गया है। वक्ताओं ने इस पुस्तक को आने वाली पीढ़ियों के लिए एक धरोहर बताया और कहा कि यह उत्तराखंड के लोगों के लिए एक अमूल्य धार्मिक देवगाथा साबित होगी।
पर्वतीय लोक कला मंच के अध्यक्ष श्री हीरा बल्लभ काण्डपाल ने सभी उपस्थित अतिथियों और उत्तराखंड सदन का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ रंगकर्मी और निर्देशक श्री हेम पंत ने किया। कार्यक्रम के अंत में सभी ने पहाड़ी व्यंजनों का आनंद लिया।