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रंगमंच, रेडियो, टीवी धारावाहिक व मुंबई फिल्म जगत के जानेमाने अभिनेता विश्व मोहन बडोला का निधन

सी एम पपनैं

नई दिल्ली। विगत छह दशकों तक रंगमंच, रेडियो, टीवी धारावाहिक व वालीवुड से जुड़ कर अपार ख्याति अर्जित करने वाले सु-विख्यात अभिनेता विश्व मोहन बडोला का 83 वर्ष की उम्र में सोमवार सांय, मुंबई के एक अस्पताल में निधन की खबर सुन, देश के रंगमंच, टीवी धारवाहिक व मुंबई फिल्म पटल से जुडे कलाकारों के साथ-साथ पत्रकारिता जगत मे शोक की लहर दोड गई है। विगत माह अगस्त में विश्व मोहन बडोला स्वाइन फ्लू से पीड़ित हुए थे।

उत्तराखंड मूल के निवासी विश्व मोहन बडोला ने पत्रकारिता के साथ-साथ रंगमंच से अपने जीवन की शुरुआत दिल्ली प्रवास मे की थी। उनके पुत्र व पुत्री ने भी उनके पथ का अनुशरण कर, अपार सफलता हासिल की है। पुत्र वरुण बडोला पुत्रबधू राजेश्वरी व पुत्री अल्का कौशल ने रंगमंच, टीवी धारावाहिक व वालिवुड फिल्मों मे तथा कालिंदी ने रेडियो जॉकी मे ख्याति अर्जित कर, नाम कमाया है।

विश्व मोहन बडोला फिल्म मुन्ना भाई एमबीबीएस, जोधा अकबर, स्वदेश, लेकर हम दीवाना दिल, जोली एलएलबी 2, फसते-फसते, ताशकंद फाइल्स, जलपरी, टोटल स्यापा, मिकी वायरस, द डेजर्ट मरमेड, रतन धन पायो, मिसिंग इत्यादि जैसी मशहूर हुई मुंबईया हिंदी फिल्मों में बेहतर अभिनय के लिए जाने गए। वर्तमान पीढी के संघर्षरत रंगकर्मियों व फिल्मी कलाकारों के लिए वे प्नेरणाश्रोत थे।

दिल्ली प्रवास मे विश्व मोहन बडोला ने इंडियन एक्सप्रैस व अन्य अंग्रेजी के बडे दैनिक अखबारों मे पत्रकारिता का धर्म निभाने के साथ-साथ, रंगमंच, रेडियो मे प्रसारित होने वाले हवा महल के चार सौ नाटकों, दर्जनों टीवी धारावाहिको, लघु फिल्मों व वालीवुड फिल्मों पर निष्ठा व लगन से छह दशकों तक बडे स्तर पर सफलता पूर्वक कार्य कर नाम कमाया था। हाल फिलहाल उनका पूरा परिवार मुंबई में डेरा डालकर, बच्चो सहित फिल्मों व टीवी धारावाहिको मे कार्य कर रहे थे।

अभिनय के साथ-साथ, उत्तराखंड की आंचलिक बोली- भाषा के गीत-संगीत की गहरी समझ रखने वाले, विश्व मोहन बडोला ने पर्वतीय कला केन्द्र दिल्ली के साथ जुड़ कर, मोहन उप्रैती के संगीत निर्देशन व वी एम शाह के नाट्य निर्देशन मे उत्तराखंड की सु-विख्यात लोकगाथाओ पर आधारित गीत नाट्यो राजुला मालूशाही, अजुबा बफोल, गढ़वाल की पाण्डव जागर शैली पर आधारित गीत नाट्य महाभारत, कुमांऊनी रामलीला, जीतू बगङवाल इत्यादि मे मुख्य पात्र की भूमिका का निर्वाह कर, अपने कर्णप्रिय प्रभावशाली गीत गायन व सधे अभिनय के बल, दिल्ली महानगर मे उत्तराखंड के क्षेत्रीय रंगमंच के उत्थान व संवर्धन मे योगदान दे, अमिट छाप छोडी थी। रंगमंच पटल पर पर्वतीय कला केन्द्र को राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय फलक पर गीतनाट्य मंचन के क्षेत्र मे एक विशेष पहचान दिलवाने मे योगदान दिया था।
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