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भारत के राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन और अन्य प्रमुख कार्यक्रमों में दालें प्रमुख अनाज के तौर पर लगातार शामिल रहेंगी—- नरेन्द्र सिह तोमर

दिल्ली।केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण, ग्रामीण विकास, पंचायती राज और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि भारत दुनियाभर में दालों का सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता देश है, और दालों के मामले में भारत लगभग आत्म-निर्भर बन गया है। पिछले 5-6 वर्षों में भारत ने अपने दालों के उत्पादन को 140 लाख टन से बढ़ाकर 240 लाख टन से भी अधिक कर लिया है। साल 2019-20 में भारत ने 23.15 मिलियन टन दालों का उत्पादन किया, जो विश्वभर में दालों के कुल उत्पादन का 23.62 फीसदी है। श्री तोमर विश्व दलहन दिवस के अवसर पर रोम में आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम को आभासी माध्यम से संबोधित कर रहे थे।
दालों के महत्व को बताते हुए, श्री तोमर ने कहा कि दालें पोषक तत्वों से भरपूर और प्रोटीन का महत्वपूर्ण स्रोत हैं, इसलिए विशेषरूप से भारत जैसे देश में दालों का महत्व काफी ज्यादा है। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि यहाँ ज़्यादातर लोगों का जीवन शाकाहार पर आधारित है। दलहन की खेती के लिए कम पानी की ज़रूरत होती है। ऐसे में दलहन की खेती सूखे या बरसात वाले किसी भी क्षेत्र में की जा सकती है। दलहन की खेती मिट्टी में नाइट्रोजन के संरक्षण और खाद की ज़रूरत को कम करके मिट्टी की उर्वरकता को बढ़ाते हैं, जिससे ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन कम होता है।
श्री तोमर ने कहा कि दालों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए भारत सरकार की ओर से वर्तमान में किए गए प्रयास माँग और आपूर्ति के बीच के अंतर को कम करने का एक प्रयास है।चूंकि दालें भारत के एक व्यापक जन समूह की प्रोटीन की ज़रूरतों को पूरा करती हैं, इसलिए भारतीय कृषि क्षेत्र में दलहन हमेशा एक प्रमुख फसल के रूप में रहेगी। उन्होंने यह भी कहा कि, “भारत के राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन और अन्य प्रमुख कार्यक्रमों में दालें प्रमुख अनाज के तौर पर लगातार शामिल रहेंगी। चावल की पैदावार वाले क्षेत्रों पर ध्यान केन्द्रित करके और नवीन प्रौद्योगिकीय गतिविधियों तथा आवश्यक कृषि जानकारी के प्रावधान के संयुक्त मिश्रण से दलहन का उत्पादन व्यापक स्तर पर बढ़ा है।”
कृषि संबंधी विभिन्न कार्यक्रमों और पहलों के बारे में बोलते हुए श्री तोमर ने बताया कि भारत में 86 प्रतिशत छोटे और पिछड़े किसान हैं। ऐसे किसानों को सभी प्रकार की सहायता प्रदान करने के लिए एफपीओ को प्रोत्साहित किया जा रहा है। भारत सरकार आगामी 5 वर्षों में 6850 करोड़ रुपये की लागत से 10,000 नए एफपीओ का निर्माण करेगी।सरकार का यह कदम किसानों को बीज उत्पादन, खरीद और बेहतर प्रौद्योगिकियों तक पहुंच की दिशा में सामूहिक रूप से सक्षम बनाएगा। मिट्टी की उर्वरकता और स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के अलावा भारत सरकार प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के द्वारा शुरू की गई ‘प्रति बूंद-अधिक फसल’ पहल को प्रोत्साहित कर कृषि क्षेत्र में पानी के सदुपयोग को बढ़ाने को सर्वाधिक प्राथमिकता दे रही है।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् (आईसीएआर) के कामों की सराहना करते हुए, मंत्री ने कहा कि आईसीएआर ने अपने अनुसंधान और विकासात्मक गतिविधियों के माध्यम से दालों के उत्पादन को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। दलहन की फसलों से संबंधित अनुसंधान को एक नई दिशा मिली है, और दालों की नई एवं बेहतर किस्में विकसित करने के क्षेत्र में अभूतपूर्ण काम हुआ है।पिछले 5 वर्षों में दालों की 100 से ज़्यादा, बेहतर और अधिक उपज देने वाली किस्में विकसित हुई हैं।सरकार बीज की किस्मों में सुधार लाने, दालों की खेती और बाज़ार के तहत नए क्षेत्रों को लाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है, जिससे किसानों की आमदनी को बढ़ाने में मदद मिलेगी।
दालों के महत्व पर बल देते हुए श्री तोमर ने कहा कि, भारत में राष्ट्रीय पोषण मिशन के तहत करीब 1.25 करोड़ आंगनवाड़ी केन्द्रों में भी दालों का वितरण किया जाता है। लॉकडाउन के दौरान सरकार ने 80 करोड़ लोगों तक दालों की आपूर्ति की। मंत्रीश्री तोमर ने कहा कि कोविड के दौरान आने वाली कठिनाइयों के बावजूद, भारत दुनियाभर में खाद्य पदार्थों के वैश्विक निर्यातक/सप्लायर के तौर पर उभरकर सामने आया है। पिछले साल अप्रैल-दिसंबर 2020 की समयावधि के दौरान भारत ने दलहन सहित अन्य खाद्य पदार्थों के निर्यात में रिकॉर्ड वृद्धि हुई है। इस दौरान भारत के दलहन उत्पादन में 26 फीसदी की वृद्धि दर्ज हुई। इस दौरान अदरक, काली मिर्च, इलायची, हल्दी आदि जैसे औषधीय पौधों के निर्यात में भई पर्याप्त वृद्धि हुई है। इन्हें आयुर्वेद में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाला माना जाता है। सरकार खेती-किसानों को सर्वोच्च प्राथमिकता के साथ बढ़ावा दे रही है। यही वजह है कि देश के कृषि बजट को 5 गुणा से भी ज़्यादा बढ़ाया गया है, जो अब करीब 1.25 लाख करोड़ रुपये है।
मंत्री ने कहा कि सरकार कृषि क्षेत्र के विकास के लिए सभी ज़रूरी कदम उठा रही है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के अंतर्गत 10.5 करोड़ से अधिक किसानों के बैंक खातों में 1.15 लाख करोड़ रुपये से अधिक धनराशि हस्तांतरित की जा चुकी है। आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत किसानों को गोदाम, कोल्ड स्टोरेज, खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां जैसी बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने के लिए 1 लाख करोड़ रुपये के कृषि बुनियादी अवसंरचना कोष की स्थापना की गई है। नई बजट प्रावधान के अनुसार इस कोष से एपीएमसी को भी फायदा मिलेगा।
विश्व दलहन दिवस का आयोजन वर्ष 2016 के संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के अनुसार किया गया। कार्यक्रम के अवसर पर पोप फ्रांसिस, क्यूयूडोंग्यू, एफएओ-यूएन महानिदेशक श्री तैंग रेंजिआन, चीन गणराज्य के कृषि एवं ग्रामीण कार्य मंत्री श्री जुलिएन डिनोर्मांडी, फ्रांस सरकार के कृषि एवं खाद्य मंत्री, अर्जेंटीना सरकार के कृषि मंत्री डॉ. एग्नेस कलिबता, खाद्य प्रणाली समिट के लिए यूएन महासचिव के विशेष दूत के अलावा अन्य गणमान्य अतिथि उपस्थित थे।

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