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कवि चंद्रकुंवर बर्त्वाल जन्म शताब्दी समारोह सम्पन्न

सी एम पपनैं
नई दिल्ली। ‘हिमवंत’ (चंद्रकुंवर बर्त्वाल स्मृति मंच), रुद्रप्रयाग जन विकास समिति तथा हिंदी अकादमी दिल्ली सरकार के सहयोग से चंद्रकुंवर बर्त्वाल जन्म शताब्दी समारोह का गढ़वाल भवन मे 31 अगस्त को भव्य आयोजन किया गया। इस अवसर पर साहित्य, सामाजिक कार्यो व पत्रकारिता के क्षेत्र मे उत्कृष्ट कार्य करने वाले प्रबुद्ध लोगो को गणमान्य अतिथियो के हाथों सम्मानित किया गया।
सु-प्रसिद्ध क्लासिकल गायिका मीरा गैरोला के मंगलाचरण गायन व विशिष्ट अतिथियों के द्वारा सम्पन्न द्वीप प्रज्वलन की रश्म व चंद्रकुंवर बर्त्वाल के चित्र पर गुलाब पंखुड़ियां अर्पित करने के बाद आयोजन के मुख्य अतिथि पद्मश्री प्रख्यात साहित्यकार डॉ श्याम सिंह शशि का मंच पर आयोजको द्वारा अभिनन्दन किया गया। काव्यपाठ से पूर्व आमंत्रित कवियों के परिचय के साथ उन्हे पुष्प गुच्छ, शॉल, स्मृति चिन्ह व प्रशस्ति पत्र भेट किए गए।
खचाखच भरे सभागार मे बैठै श्रोताओं को आमंत्रित कवियों ने अपने कुमाउनी, गढ़वाली व हिंदी मे किए काव्यपाठ से मंत्रमुग्ध कर तालियों की गड़गड़ाहट करने को उत्साहित किया। कुछ काव्य पाठो का सार चंद्रकुंवर वर्त्वाल को समर्पित था। डॉ सुशील सेमवाल, नीरज बवाड़ी, सुरेन्द्र सिंह रावत ‘लाटा’, जग मोहन सिंह, पृथ्वी सिंह केदारखंडी, गिरीश चंद्र बिष्ट ‘हंसमुख’, रमेश गंगोलिया ‘आनंद’ काव्य पाठ करने वाले कवियों मे सुमार थे।
इस अवसर पर उत्तराखंड के सु-विख्यात कवि डॉ पृथ्वीसिंह केदारखंडी का गढ़वाली काव्य संग्रह ‘धार मा कु गौ छ म्यारू’ का लोकार्पण डॉ श्याम सिंह शशि, संजय शर्मा, डॉ विनोद बछेती, हेमा उनियाल, चन्दन गुसाई, मोहब्बत सिंह राणा, मदन ढुकलाण, रामेश्वर, दिनेश ध्यानी, अनूप, डॉ योगेंद्र नाथ शर्मा ‘अरुण’, प्रदीप वेदवाल, दीप सिलोड़ी, रमेश घिंडियाल, जयपाल सिंह रावत, संदीप रावत, ललित केसवान, भगवती प्रसाद जुयाल इत्यादि के हाथों संपन्न हुआ।
आयोजक संस्था ‘हिमवंत’ के चन्दन गुसाई ने अपने अध्यक्षीय संबोधन मे सभी गणमान्य अतिथियो व आगन्तुको का अभिनन्दन व्यक्त कर अवगत कराया, चंद्रकुवर बर्त्वाल की यह जन्मशती वर्ष है। उन्ही के सम्मान मे संस्था ‘हिमवंत’ बनी है। संस्था के कुछ लोग उनके द्वारा रचित काव्य पर कार्यरत हैं, क्यों कि उनकी रचनाओं का संकलन नही हो पाया था। ‘हिमवंत’ संस्था का उद्देश्य इस विधा पर कार्य करने वालों को मंच देना व संकलित रचनाओं को मंच के माध्यम से संजो कर उन्हे सम्मानित करना है। साथ ही संस्था उत्तराखंड की बोली-भाषा को आठवी अनुसूचि मे स्थान दिलवाने हेतु प्रयत्नशील है, जिसे पूरे भारत मे 65 लाख उत्तराखंडी बोलते हैं। इस मंच के माध्यम से यह प्रस्ताव राज्य व केंद्र सरकार को जाए, हमारी संस्था ‘हिमवंत’ की यह चाहत है।  संदीप रावत ने डॉ पृथ्वीसिंह केदारखंडी द्वारा रचित काव्य संग्रह ‘धार मा कु गौ छ म्यारू’ प्रकाशित काव्य संग्रह की विवेचना मे व्यक्त किया, प्रकाशित रचनाऐं लोक व माटी से जुडी हैं। इनमे पहाड़ की कथा-व्यथा का बखान है संग्रह मौलिकता से परिपूर्ण, संग्रहणीय व पठनीय है।
आयोजको द्वारा मुख्य व विशिष्ठ अतिथियो के सम्मान के बाद विभिन्न क्षेत्रो मे विशिष्ट योगदान देने हेतु वर्ष 2019 के ‘हिमवंत चंद्रकुंवर बर्त्वाल सम्मान’ प्रदान किए। प्रत्येक को सम्मान स्वरूप पुष्प गुच्छ, स्मृति चिन्ह, प्रशस्ति पत्र व शॉल भेट किया गया।
साहित्य के क्षेत्र मे संदीप रावत, मदन ठुकलान, कुंज विहारी मुडेवी ‘कलजुगी’, डॉ चंद्रमणी ब्रह्मदत्त, डॉ लक्ष्मी भट्ट, रामेश्वरी नदान, हेमा उनियाल व दिनेश ध्यानी को सम्मान प्रदान किया गया। समाजिक क्षेत्र मे मदन मोहन बुडाकोटी, गीता रौतेला, अजय सिंह बिष्ट, कुसुम असवाल, मीरा गैरोला व विजय लक्ष्मी भट्ट को सम्मान प्रदान किया गया। पत्रकारिता के क्षेत्र मे प्रदीप वेदवाल, जगमोहन आजाद, दीप सिलोड़ी, जगमोहन सिंह ‘जिज्ञासु’ को सम्मान से नवाजा गया। डॉ योगेंद्र नाथ शर्मा ‘अरुण’ तथा डॉ श्याम सिंह शशि को वर्ष 2019 के हिमवंत चंद्रकुंवर बर्त्वाल राष्ट्रीय साहित्य शिरोमणी सम्मान से सम्मानित किया गया।
डॉ श्याम सिंह शशि, संजय शर्मा, डॉ योगेंद्र नाथ शर्मा ‘अरुण’, त्रिवेन्द्र सिंह रावत (सांसद लोकसभा पौड़ी), डॉ जीतराम भट्ट (सचिव हिंदी अकादमी) इत्यादि ने अपने संबोधन मे प्रकृति व छायावाद के कवि चंद्रकुंवर बर्त्वाल की रचनाओं की भूरि-भूरि प्रशंसा की। अल्प आयु मे इस उभरते कवि की मृत्यु पर क्षोभ प्रकट किया। 28 वर्ष की उम्र तक जिए चंद्रकुंवर बर्त्वाल को इन वक्ताओं ने प्रकृति के कवि सुमित्रानंदन के समकालीन बताया। व्यक्त किया, प्रकृतिवाद व छायावाद के इस महान कवि को भारत की साहित्य अकादमी ने अनेकों आग्रहों के बाद भी साहित्य के इतिहास मे अभी तक स्थान नही दिया है, जो हिंदी साहित्य का दुर्भाग्य है।
वक्ताओं ने अवगत कराया अनेकों विद्यार्थी चंद्रकुंवर बर्त्वाल की रचनाओं पर शोधकार्य कर पीएचडी कर चुके हैं। अनेक प्रकाशकों ने उनकी अप्रकाशित काव्य रचनाओं की किताबे प्रकाशित की हैं। जो जन व समाज की व्यथा व पीड़ा के साथ-साथ प्रकृति के प्रत्येक रूप को मौलिक अंदाज मे पाठको का ध्यान आकर्षित करती नजर आती हैं। वक्ताओं ने कहा, ये सब तथ्य चंद्रकुंवर बर्त्वाल को छायावाद व प्रकृतवाद की श्रेणी के श्रेष्ठ कवियों की पांत मे ला खड़ा करती हैं।
वक्ताओं ने व्यक्त किया हमारी लड़ाई भाषाओं व बोलियो की भी है। वर्तमान मे हिंदी भाषा भी संकट मे है। कुमाउनी, गढ़वाली व जौनसारी बोली को बचाने से पहले हमे हिंदी को बचाना होगा, तभी हमारी पहाड़ी बोली बचेगी।
श्रोताओं के मनोरंजन के लिए रविंद्र गुड़ियाल रचित व रमेश ठण्डरियाल निर्देशित हास्य से भरपूर लघुनाटक ‘अब क्ये होल?’ का मंचन किया गया। सभी पात्रों की भूमिका अव्वल दर्जे की थी। पुष्पा जोशी (भूत) व गीता गुसाई ने अपनी अदाओं से श्रोताओं को बेहद प्रभावित किया। सेफाली ठण्डरियाल की  लाइटिंग ठीक-ठाक थी। दिल्ली प्रवास मे उत्तराखंड सांस्कृतिक मंचों के सु-परिचित मंच संचालक अजय सिंह बिष्ट ने आयोजित सम्मान समारोह का मंच संचालन बखूबी प्रभावशाली अंदाज मे किया।
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