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नाट्य समीक्षक दीवान सिंह बजेली व लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी को प्रतिष्ठित संगीत नाटक अकादमी अवार्ड 2018 से नवाजा जायेगा

सी एम पपनैं
नई दिल्ली, । उत्तराखंड के ख्याति प्राप्त नाट्य समीक्षक दीवान सिंह बजेली को व गायन के क्षेत्र मे ‘संगीत नाटक अकादमी’ अवार्ड सु-प्रसिद्ध गढ़रत्न व लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी को देश का सबसे प्रतिष्ठित ‘संगीत नाटक अकादमी फैलोशिप सम्मान’ 2018  दिया जाएगा।
जिला अल्मोड़ा ग्राम कालिट (सोमेश्वर) के मूल निवासी व दिल्ली विश्वविद्यालय से एमए पोलिटिकल साइंस व पत्रकारिता मे डिप्लोमा प्राप्त दीवान सिंह बजेली चार दशकों से राष्ट्रीय स्तर पर रंगमंच व फिल्मों पर देश के सुप्रसिद्ध अंग्रेजी अखबार द टाइम्स ऑफ इंडिया, द हिंदुस्तान टाइम्स, द इकोनॉमिक्स टाइम्स, द स्टेट्समैन, फाइनैंशियल एक्सप्रैश, इन्डियन एक्सप्रैश, नैशनल हैराल्ड, द पायनियर व वर्तमान मे आप द हिन्दू के लिए नियमित तौर पर समीक्षा कर रहे हैं। उत्तराखंड के लोक संगीत व नृत्यो पर इण्डिया वीकली लन्दन व द चिल्ड्रन वर्ड मे भी आपकी समीक्षाए प्रकाशित होती रही हैं। वर्तमान मे आप उत्तराखंड की सु-विख्यात संस्था पर्वतीय कला केंद्र दिल्ली के उपाध्यक्ष व साहित्य कला परिषद के सम्मानित सदस्य हैं। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के सहयोग से प्रकाशित अंग्रेजी पुस्तक ‘मोहन उप्रेती द मैन एंड हिज आर्ट’ के आप रचयिता रहे हैं। 207 पेज की यह पुस्तक देश-विदेशो मे काफी चर्चित रही है। ‘कुंमाउनी पीपुल एंड फोल्कलोर’ भी आपकी चर्चित अंग्रेजी पुस्तक रही है। उत्तराखंड के पौड़ी मे जन्मे ‘गढरत्न’ व प्रख्यात गढ़वाली गीत रचनाकार, कवि, लोकगायक व संगीत निर्देशक नरेंद्र सिंह नेगी पहले उत्तराखंड के ऐसे लोक कलाकार हैं जिन्हे लोकगायन के क्षेत्र मे ‘संगीत नाटक अकादमी अवार्ड’ घोषित हुआ है।  तीन दिन पूर्व ही 14 जुलाई को मुख्य अतिथि के रूप मे आपने स्व.उमेश डोभाल स्मृति समारोह हरिद्वार मे सिरकत की थी। आपसे लंबी बातचीत हुई थी, आपने अपने मधुर कंठ से पत्रकारो से भरे सभागार मे जनगीत सुना रोमांचित किया था। लोकतंत्र के वर्तमान परिदृश्य पर पत्रकारो की अति महत्वपूर्ण संवेदंशील भूमिका पर सारगर्भित प्रकाश डाला था। मौलिकता से परिपूर्ण आपकी लेखन व गायन शैली मे अदभुत्तत्ता है। आपकी मधुरकंठी आवाज भाषाओं के बंधन को तोड़ती नजर आती है। जिसका प्रत्येक उत्तराखंडी व
लोकगायन के दिदार तहे दिल सम्मान करते हैं। आपने दर्जनभर गढ़वाली फिल्मों मे गीत गाए, संगीत निर्देशन किया, विभिन्न सम्मानित मंचों से कविता पाठ किया है। राजनैतिक गीत, शोक गीत व आंदोलनकारी गीत लिखने व गाने  मे आपको महारत हासिल है। ‘नोंछमी नारेणा’ राजनैतिक गीत ने उत्तराखंड की राजनीति मे खलबली मचा दी थी। उक्त गीत की रचना व निर्भिक गायन के बाद आपको पहाड़ो का ‘डायलन थामस’ पुकारा जाने लगा था। अपने परिवेश को लेकर आप काफी भावुक व संवेदनशील रहे हैं। आपकी तीन किताबे प्रकाशित हुई हैं।आपको अनेकों उच्च सम्मानों से अब तक नवाजा जा चुका है। देश-विदेश मे आपको उत्तराखंडी प्रवासी समाजो द्वारा गीत गायन हेतु आमंत्रित किया जाता रहा है। गढ़वाली गीत गायन व लेखन मे आप विलक्षण प्रतिभा के धनी हैं। संगीत नाटक अकादमी की सामान्य परिषद, भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय की स्वायत्त संस्था के चयन के आधार पर यह पुरुष्कार प्रतिवर्ष दिया जाता है। जिसके तहत संगीत, नृत्य, थिएटर (नाट्यकला) पारम्परिक लोक/ जनजातीय संगीत/ नृत्य थिएटर तथा कठपुतली कला के क्षेत्र मे विशिष्ट कार्य हेतु यह सम्मान प्रदान किया जाता है। छात्रव्रति के क्षेत्र मे समग्र योगदान को देखा जाता है। अकादमी द्वारा विशेष अलंकरण समारोह आयोजित कर ताम्रपत्र, अंगवस्त्रम व एक लाख रुपया प्रदान किया जाता है। अकादमी के 1952 से अब तक के इतिहास का अवलोकन कर ज्ञात होता है कि नाट्य समीक्षा व लोकगायन के क्षेत्र मे पहली मर्तबा उत्तराखंड दो प्रख्यात हस्तियों नाट्य समीक्षक दीवान सिंह बजेली व लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी को प्रतिष्ठित संगीत नाटक अकादमी अवार्ड 2018 से नवाजा जायेगा।
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