दिल्लीराष्ट्रीय

हमारी भाषा, हमारी पहचान” – दिल्ली-NCR में उत्तराखंड लोकभाषाओं को संजीवनी दे रही हैं 55 केंद्रों की कार्यशालाएं

Amar sandesh नई दिल्ली।”हमारी भाषा, हमारी पहचान!”—इस मूलमंत्र को आत्मसात करते हुए उत्तराखंड लोक-भाषा साहित्य मंच, दिल्ली ने उत्तराखंडी बोली-बानी को संरक्षित एवं समृद्ध करने की दिशा में एक अनूठा प्रयास किया है।

हर वर्ष गर्मियों की छुट्टियों में, मंच द्वारा दिल्ली-एनसीआर और उत्तराखंड बहुल क्षेत्रों में 55 केंद्रों पर हर रविवार सुबह 9 बजे से दोपहर 12 बजे तक कार्यशालाओं का संचालन किया जाता है। इन कार्यशालाओं में गढ़वाली, कुमाउनी और जौनसारी जैसी उत्तराखंड की प्रमुख लोकभाषाओं को सरल और संवादात्मक शैली में सिखाया जाता है।

इस वर्ष का सत्र 10 मई 2025 से प्रारंभ होकर 10 अगस्त 2025 तक चलेगा।

इस अभियान को सामाजिक संगठनों और DPMI संस्थान के निदेशक डॉ. विनोद बछेती का विशेष सहयोग प्राप्त है।आज के आयोजन में उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी एवं राज्य सरकार में पूर्व दर्जा प्राप्त मंत्री श्री धीरेंद्र प्रताप  तथा समाजसेवी  अनिल कुमार पंत  बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित रहे। दोनों ने इस सांस्कृतिक अभियान की भूरि-भूरि प्रशंसा की और कहा कि “अपनी मातृभाषा में जुड़ाव ही जड़ों से जुड़ाव है।”

कार्यशालाओं का प्रमुख केंद्र DPMI न्यू अशोक नगर, दिल्ली रहा, जिसमें सक्रिय योगदान देने वालों में केंद्र प्रमुख दिगपाल सिंह कैंतुरा, हरीश असवाल, जितेंद्र बिष्ट सम्मिलित रहे।

लोकभाषा सिखाने के इस अभियान को सशक्त बनाने में श्रीमती सुशीला कंडारी और शशि जोशी जैसी अनुभवी अध्यापिकाओं का उल्लेखनीय योगदान रहा है।

इस पूरे अभियान का मार्गदर्शन कर रहे हैं।संरक्षक: डॉ. विनोद बछेती,संयोजक: श्री दिनेश ध्यानी

संचालन समिति सदस्य: दयाल सिंह नेगी, अनिल पंत, दिगपाल सिंह कैंतुरा, दीपक डंडरियाल, रेखा चौहान, विजय लक्ष्मी डोभाल, प्रदीप बॉठियाल

उत्तराखंड की बोली-बानी केवल संवाद का माध्यम नहीं, हमारी आत्मा का हिस्सा है। आइए, इस अभियान से जुड़कर अपनी जड़ों से जुड़ें!

Share This Post:-

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *