हमारा देश खाना पकाने हेतु सभी के लिए स्वच्छ ईंधन की दिशा में आगे बढ़ रहा है—धमेन्द्र प्रधान
दिल्ली।केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस तथा इस्पात मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा आयोजित ग्लोबल बायो इंडिया-2021 में स्वच्छ उर्जा संगोष्ठी को संबोधित किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा की स्वच्छ ऊर्जा भारत की अर्थव्यवस्था को गति देने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने जा रही है साथ ही यह हमारी महत्वाकांक्षाओं का प्रबंधन और हमारी जनसंख्या की आवश्यकताओं को पूर्ण करने में भी अहम भूमिका अदा करेगी। खाना पकाने के लिए स्वच्छ ऊर्जा के नवाचार पर उन्होंने उद्यमियों को खुला आमंत्रण दिया। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने वह रास्ता अख्तियार कर लिया है जो न सिर्फ टिकाऊ विकास का है बल्कि यह सभी की भलाई और स्वच्छ एवं हरे-भरे भविष्य के लिए ऊर्जा परिवर्तन की तरफ जाता है।
श्री प्रधान ने कहा कि जैसा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी ने सात महत्वपूर्ण संचालक बिंदुओं का उल्लेख किया था हमारा प्रयास स्वच्छ ऊर्जा और कम से कम कार्बन उत्सर्जन वाली अर्थव्यवस्था बनने का होगा जो अच्छी तरह से परिभाषित ऊर्जा परिवर्तन के रोड मैप द्वारा निर्देशित होगा। उन्होंने कहा कि इसका तात्पर्य यह है कि सभी वाणिज्यिक उपयोग योग्य ऊर्जा स्रोतों का स्वस्थ मिश्रण होगा, हम सभी ऊर्जा स्रोतों के इस्तेमाल को उच्च प्राथमिकता देंगे जिसमें जैव ईंधन से लेकर हाइड्रोजन समेत देश के भीतर उभर रहे नए ऊर्जा श्रोत भी शामिल हैं।
श्री प्रधान ने कहा कि हम लगातार ऊर्जा नीतियों से जुड़ी नई पहल कर रहे हैं, नीतियों में बदलाव कर रहे हैं और इसके लिए अन्य सभी आवश्यक उपाय अपनाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम अगली पीढ़ी का बुनियादी ढांचा विकसित कर रहे हैं जो 5 बिंदुओं पर केंद्रित है इसमें ऊर्जा उपलब्धता और इस तक सबकी पहुंच, गरीब से गरीब के लिए भी ऊर्जा की सुलभता, ऊर्जा के इस्तेमाल में दक्षता, ऊर्जा का टिकाऊ स्वरूप शामिल है ताकि हम एक ज़िम्मेदार वैश्विक नागरिक होने के नाते जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों को कम करने और ऊर्जा से जुड़ी वैश्विक अनिश्चितता के बीच सुरक्षा का वातावरण बनाने में अपना योगदान दे सकें।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्राकृतिक गैस हमारे लिए एक महत्वपूर्ण वैकल्पिक ईंधन होगा। हम गैस आधारित अर्थव्यवस्था के लिए सभी तरह के प्रयास कर रहे हैं और इसके लिए 2030 तक कुल ईंधन उपयोग में प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी बढ़ाकर 15% करना है जो वर्तमान में 6% है। इसके लिए राष्ट्रव्यापी गैस ग्रिड और अन्य गैस बुनियादी ढांचा विकसित किया जा रहा है। इसमें गैस वितरण और एलएनजी टर्मिनल भी शामिल हैं। इसके अतिरिक्त हम लंबी दूरी के भारी मालवाहक वाहनों में एलएनजी ईंधन के 10% इस्तेमाल करने को प्रोत्साहित कर रहे हैं और 1000 एलएनजी स्टेशन स्थापित किए जा रहे हैं। साथ ही हाइड्रोजन मिश्रित ईंधन अपनाने के लिए भी प्रयास बढ़ा दिए गए हैं।
श्री प्रधान ने कहा कि वायु प्रदूषण को कम करने के लिए अप्रैल 2020 से पूरे भारत में भारत-IV ईंधन को सफलतापूर्वक लागू किया गया। उन्होंने बताया कि हमारे तेल शोधक कारखाने उन्नत किए गए ताकि भारत-IV ईंधन उत्पादित किया जा सके। इसके लिए 34,000 करोड रुपए का निवेश किया गया। उन्होंने देश में प्रमुख जैव ईंधन कार्यक्रमों के बारे में भी चर्चा की जो इस समय जारी हैं और जिनमें बड़े पैमाने पर निवेश की संभावनाएं हैं। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जैव ईंधन की क्षमता हमारे पर्यावरण और आर्थिक विकास के बीच एक संतुलन स्थापित करने की क्षमता है।
श्री प्रधान ने देश के 11 राज्यों में 14000 करोड रुपए की अनुमानित लागत से तैयार किए जा रहे 12 2-जी एथनोल वाणिज्यिक संयंत्रों के बारे में भी चर्चा की जिसकी पहल की जा चुकी है। यह संयंत्र कृषि अपशिष्ट से जैव ईंधन उत्पादित करेंगे। यह जैव शोधन संयंत्र 2025 तक पेट्रोल में 20% एथेनॉल मिश्रण के कार्यक्रम को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार जैव डीजल उत्पादन के लिए आपूर्ति श्रृंखला तंत्र की स्थापना को भी प्रोत्साहित कर रही है जिसके अंतर्गत गैर वनस्पति के तिलहन, उपयोग किए गए कुकिंग ऑयल और कम समय में तैयार होने वाली फसलों से जैव डीजल का उत्पादन होगा। उन्होंने एस ए टी ए टी (सस्टेनेबल अल्टरनेटिव टुवर्ड्स अफॉर्डेबल ट्रांसपोर्टेशन) योजना के बारे में भी चर्चा की, जिसके अंतर्गत वेस्ट टू वेल्थ उत्पादन के तहत कंप्रेस्ड बायोगैस तैयार की जाएगी। इसके लिए 2023 तक देशभर में 5000 कंप्रेस्ड बायो गैस संयंत्र चरणबद्ध ढंग से स्थापित किए जाएंगे जिनमें 20 बिलीयन डॉलर के निवेश की क्षमता है।
श्री प्रधान ने कहा कि हमारी तेल और गैस विपणन कंपनियां विभिन्न नगर निगमों के साथ काम कर रही हैं और एनडीएमसी तथा एसडीएमसी के साथ दिल्ली में एमएसडब्ल्यू आधारित वेस्ट टू एनर्जी फैसिलिटी विकसित करने के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं।
केंद्रीय मंत्री ने इस बात पर गहरा संतोष प्रकट किया कि हमारा देश खाना पकाने हेतु सभी के लिए स्वच्छ ईंधन की दिशा में आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि एलपीजी के कवरेज में उल्लेखनीय बदलाव आया है, जो 2014 में 55% था, और अब बढ़कर 99.6% पर पहुंच गया है। उन्होंने कहा कि हम प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना पीएमयुवाई के अंतर्गत एक करोड़ नए एलपीजी कनेक्शन वितरित करने वाले हैं जिससे भारत के हर घर तक रसोई गैस पहुंचाने का लक्ष्य पूरा होगा। उज्जवला कार्यक्रम न सिर्फ रसोई से निकलने वाले धुएँ से पर्यावरण और लोगों के स्वास्थ्य को संरक्षित कर रहा है बल्कि यह महिलाओं को भी सशक्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहा है।
श्री प्रधान ने प्रसन्नता व्यक्त की कि डीबीटी ने जैव ईंधन के विकास को मिशन मोड पर लिया है और यह भविष्य की दृष्टि से प्रगति की राह पर है। उन्होंने कहा कि जैव ईंधन पर राष्ट्रीय नीति की सफलता में जैव प्रौद्योगिकी के माध्यम से व्यवहार्य प्रौद्योगिकी की आवश्यकता है। उन्होंने स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में कार्य कर रहे सभी नवोन्मेषकों को बधाई दी और कहा कि यह नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को साकार करने में अहम है। उन्होंने कहा कि मैं इस पैनल संगोष्ठी में शामिल सभी वक्ताओं को अपनी शुभकामनाएं देता हूं और भविष्य में ऐसे रचनात्मक विचार विमर्श की अपेक्षा करता हूं।