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लोकसभा में आज गूंजेगा ऑपरेशन सिंदूर और पहलगाम हमला—शशि थरूर की भूमिका पर रहेगी सबकी नजर

Amar sandesh नई दिल्ली।संसद के मानसून सत्र में सोमवार का दिन राजनीतिक रूप से अत्यंत अहम होने जा रहा है। आज लोकसभा में केंद्र सरकार द्वारा चलाए गए “ऑपरेशन सिंदूर” और कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले को लेकर व्यापक बहस होनी तय मानी जा रही है। राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर यह चर्चा राजनीतिक पटल पर न केवल विचारों का मंथन लाएगी, बल्कि विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच तीखी टकराहट भी संभावित मानी जा रही है।

इस बहस को लेकर सत्ता पक्ष के साथ-साथ विपक्ष भी पूरी तैयारी के साथ सदन में उतरने जा रहा है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर इन मुद्दों पर सरकार की ओर से मुखर पक्ष रख सकते हैं। वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भी दोनों सदनों में बयान देने की संभावना है।

आज की बहस में कांग्रेस सांसद और पूर्व विदेश राज्य मंत्री डॉ. शशि थरूर पर भी सबकी निगाहें टिकी हैं। थरूर न केवल विदेश नीति के जानकार हैं, बल्कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद अमेरिकी और अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व भी कर चुके हैं। यही वजह है कि संसदीय पत्रकारों से लेकर राजनैतिक हलकों तक एक बड़ा सवाल तैर रहा है — क्या कांग्रेस पार्टी उन्हें सदन में इस विषय पर बोलने का मंच देगी या नहीं?

इस बहस में थरूर की भागीदारी न केवल कांग्रेस के विदेश नीति रुख को परिभाषित करेगी, बल्कि भाजपा और एनडीए सरकार के विरोध में एक तार्किक और अंतरराष्ट्रीय अनुभवयुक्त स्वर भी प्रस्तुत कर सकती है।पहला सप्ताह हंगामे की भेंट चढ़ा, अब उम्मीद संवाद की

संसद का मानसून सत्र अब तक अपेक्षा के विपरीत केवल विरोध और हंगामे में उलझा रहा। पिछले सप्ताह विपक्ष ने लोकसभा और राज्यसभा, दोनों सदनों की कार्यवाही बार-बार स्थगित करवाई, ताकि पहलगाम हमले, ऑपरेशन सिंदूर, और बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) जैसे मुद्दों पर चर्चा कराई जा सके।

अब जबकि सोमवार से लोकसभा और मंगलवार से राज्यसभा में इन विषयों पर आधिकारिक चर्चा प्रस्तावित है, तो यह देखा जाना दिलचस्प होगा कि संसद में सार्थक संवाद स्थापित हो पाता है या नहीं।

केंद्र सरकार जहां ऑपरेशन सिंदूर को एक साहसी सैन्य कार्रवाई और सफल खुफिया ऑपरेशन के रूप में पेश करने की कोशिश करेगी, वहीं विपक्ष इसे कूटनीतिक संदर्भ, सुरक्षा चूक और जवाबदेही के नजरिए से परखने की रणनीति बना चुका है।

लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी, राज्यसभा में मल्लिकार्जुन खड़गे, समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव, टीएमसी, डीएमके, एनसीपी जैसे दलों के वरिष्ठ नेता चर्चा में भाग लेंगे। माना जा रहा है कि विपक्ष सरकार से सटीक जवाब, पूर्व खुफिया सूचनाओं की भूमिका और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया पर भी सवाल पूछ

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