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ओएनजीसी के तकनीकी अध्ययन और वैश्विक सहयोग को मिली नई गति

Amar sandesh नई दिल्ली। लोकसभा में एक तारांकित प्रश्न के लिखित उत्तर में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बताया कि ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन लिमिटेड (ओएनजीसी), जो एक महा-रत्न सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है और देश की अर्थव्यवस्था में अहम योगदान देता है, जटिल तकनीकी अध्ययनों के लिए अनुभवी व विशेषज्ञ संस्थाओं से सहयोग करता है।
इन अध्ययनों में भू-जलाशयों का मॉडलिंग, गहरे समुद्री क्षेत्रों का अध्ययन तथा उत्पादन वृद्धि हेतु डाटा की व्याख्या शामिल हैं। ऐसी सेवाओं के लिए अत्याधुनिक अनुसंधान सुविधाएँ, पेटेंटेड सॉफ़्टवेयर और विशेष तकनीकी ज्ञान आवश्यक होता है, जिसे दुनिया की कुछ ही संस्थाएँ प्रदान कर पाती हैं।
श्री पुरी ने विशेष रूप से फ्रांस की ऊर्जा अनुसंधान संस्था IFPEN (Institut Français du Pétrole Energies Nouvelles) का उल्लेख किया, जिसके अंतर्गत कार्य करने वाली कंपनी M/s Beicip-Franlab विश्व स्तर पर अपनी पहचान रखती है। IFPEN गहरे और अति-गहरे समुद्री अध्ययनों, पेटेंट तकनीकों और जलाशय मॉडलिंग में अग्रणी रही है।
उन्होंने बताया कि ओएनजीसी और IFPEN के बीच अनुसंधान एवं तकनीकी सहयोग के लिए एमओयू (MoU) 2023 में नवीनीकृत किया गया है, जिसके अंतर्गत पारंपरिक ऊर्जा के साथ-साथ नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्रों में भी सहयोग किया जा रहा है।
मंत्री ने स्पष्ट किया कि ओएनजीसी अपने सभी अन्वेषण और उत्पादन प्रोजेक्ट्स को बोर्ड-अनुमोदित दिशा-निर्देशों, सामान्य वित्तीय नियम (GFR) और केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) की नीतियों के अनुरूप संचालित करता है।
उन्होंने यह भी बताया कि परामर्श सेवाओं के संदर्भ में उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में M/s Beicip-Franlab को कोई अनुबंध नहीं दिया गया है। अन्य क्षेत्रों में भी पिछले पाँच वर्षों में इस संस्था को दिये गये कार्यों का मूल्य मात्र 6.5 करोड़ रुपये से कम है, जबकि ओएनजीसी ने इसी अवधि में औसतन 33,000 करोड़ रुपये से अधिक का वार्षिक शुद्ध लाभ (PAT) अर्जित किया है।
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