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‘विश्व पर्यावरण संरक्षण दिवस 2019’ का औचित्य धरातल पर

सी एम पपनैं
नई दिल्ली। ‘विश्व पर्यावरण संरक्षण दिवस 2019’ प्रदर्शनी का आयोजन 5 से 7 जून प्रगति मैदान हाल नम्बर 7 मे ग्रीन सोसाइटी ऑफ इंडिया तथा इन्डियन इग्जिविशन सर्विस के सौजन्य से आयोजित की गई। पर्यावरण संरक्षण के सरोकारों से जुडी देश की कई जानीमानी संस्थाओं ने अपने उत्पादों व कार्य योजनाओं की प्रदर्शनी के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण हेतु जनमानस को विभिन्न तौर तरीकों से जागरूक करने की प्रभावशील पहल की।वर्तमान मे हमारे देश के नगरो व महानगरो कीआबादी बढ़ने के साथ ही वे बढ़ते  अपशिष्ट (कूड़े-कचरे) की समस्या से जूझ रहे हैं। जल, जमीन व वायु अति प्रदूषित हो गई है। मानव कल्याण हेतु पर्यावरण संरक्षण की नीति अति आवश्यक बन गई है। बढ़ते प्रदूषण, बदबू और बीमारियों से लोग आहत और परेशान हैं। देश-दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी का तमगा नई दिल्ली के माथे एक धब्बा बन गया है। दिल्ली मे रोजाना दो हजार टन कूड़ा इकट्ठा किया जाता है। कूड़ा लैंडफिल भलस्वा नामक स्थान, जिसकी क्षमता 2006 मे पूर्ण हो चुकी है व गाजीपुर मे क्षमता से ज्यादा कूड़ा वर्षो से लादा जा रहा है। उससे पूर्व प्रगति मैदान के पीछे रिंग रोड मे दिल्ली का लाखों टन कूड़ा समाया जाता था। गाजीपुर कूड़ाघर 1984 मे अस्तित्व मे आया 2002 मे उसकी क्षमता पूर्ण होने के बाद भी उसका सदुपयोग कूड़ा डालने मे किया जा रहा है। भलस्वा व गाजीपुर वर्तमान मे दिल्ली मे कूड़े के विशाल पर्वत बन गए हैं। हाल-फिलहाल गाजीपुर मे बड़ा हादसा भी घटित हो चुका है। अपशिष्ट मे प्लास्टिक पर्यावरण के लिए सबसे ज्यादा घातक है। इसका दस प्रतिशत ही रिसाइकल किया जाता है। 90 प्रतिशत प्लास्टिक कचरा मिट्टी व भू-गर्भीय जल को विषैला बना रहा है। कूड़े मे आग लगाने पर विषैला वायु प्रदूषण फैल रहा है। घातक व विषैले भू-जल व वायु प्रदूषणों से लोग गम्भीर बीमारी के शिकार हो रहे हैं।
पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार के आंकड़ो के मुताबिक देश मे प्रतिवर्ष 620 लाख टन कूड़ा पैदा होता है। प्रतिव्यक्ति प्रतिदिन 400 ग्राम। कूड़े मे मात्र 70 प्रतिशत ही इकट्ठा किया जाता है। इस कूड़े मे 56 लाख टन प्लास्टिक कूड़ा व 2 लाख टन वायो-मेडिकल कचरा होता है। 190 लाख टन कूड़ा इधर-उधर फैला रहता है, जो भूमि, भू-जल व वायु को प्रदूषित करता है। नियमो के मुताबिक वायो-डिग्रेडेबल, रिसाइक्लिंग और खतरनाक कचरा अलग-अलग इकट्ठा  होना चाहिए।विश्व पर्यावरण संरक्षण दिवस प्रदर्शनी 2019 मे पर्यावरण संरक्षण के लिए लगी प्रगति मैदान की अति प्रतिष्ठित प्रदर्शनी मे ‘धरती माँ ट्रस्ट’ द्वारा निर्मित आकर्षक उत्पादों पर जनमानस का ध्यान अधिक आकर्षित हुआ। स्टाल पर प्रदर्शित उत्पादों की खूबसूरत बनावट व टिकाऊपन के प्रदर्शन के साथ-साथ हाल के बाहर बने कांफ्रेंश व सांस्कृतिक मंच से जन जागरूकता अभियान के तहत इस ट्रस्ट ने वृक्षरोपण, गौरैया संरक्षण, जल संरक्षण, स्वछता अभियान, जैविक खाद निर्माण इत्यादि पर भी जनमानस का ध्यान पर्यावरण सम्बंधी गीत-संगीत व व्याख्यानो के माध्यम से आकर्षित कर जनमानस को पर्यावरण के हितार्थ बृहद स्तर पर जागरूक किया। पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र मे चिर-परिचित चंडी प्रसाद भट्ट, डॉ एस आर सुब्बाराव, संचिता जिंदल, रूद्र प्रताप वर्मा तथा गजेंद्र रावत, चंद्रमोहन पपनैं, पंकज बिष्ट, मनोज पांडे, एस पी सिंह, रश्मि, महिपाल सिंह व वी एस बिष्ट ने पर्यावरण संरक्षण पर जनमानस को संबोधित किया। ‘हैरी द बैंड’ के टीम मैम्बर्स ने पर्यावरण के संरक्षण व संवर्धन पर आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रमो मे समूहगान व संगीत के माध्यम से श्रोताओं को पर्यावरण के प्रति जागरूक किया। प्रदर्शनी मे जनमानस ने अपशिष्ट से निर्मित उत्पादों को बहुत सराहा, पसंद किया, भारी तादात मे निर्मित उत्पादों की खरीदारी भी की। प्रदर्शनी मे ‘धरती माँ ट्रस्ट’ के मुखिया भवान सिंह बिष्ट से अपशिष्ट निर्मित उत्पादों के बावत ज्ञात हुआ कि पॉलीथिन, रेपर, बोतले, पेंट के खाली डिब्बै, कागज, पुराने कपड़े, टूटे-फूटे खिलोने, लकड़ी के टुकड़े, सब्जियों व फलों के सूखे छिलके, गत्ता, पैन इत्यादि वस्तुओं को वे कूड़े दानों से इकट्ठा करवा कर सुन्दर व टिकाऊ उत्पादो का निर्माण करते हैं। हस्तकला की नि-शुल्क शिक्षा दिव्यांगों, घरेलू महिलाओं, कूड़ा इकट्ठा करने वाले बेसहारा लोगों, स्कूली छात्र-छात्राओं को देकर, विभिन्न प्रकार के उत्पादों फूल फ्लावरपाट, झूमर, टोकरिया, पैन स्टैंड, चप्पले, ट्रे, बैग, गमला, मूर्तिया इत्यादि सजावटी सामान तैयार करवा कर बेसहारा, गरीबो व बेरोजगारो को आत्म निर्भर बनाने की दिशा मे पहल करते हैं। नगरों व महानगरों मे विलुप्ती की कगार पर पहुच चुके पक्षियों के संरक्षण व संवर्धन के लिए यह ट्रस्ट कूड़े-करकट मे मिली लकड़ी से घोसलों का निर्माण कर उन्हे लोगों के घर आँगन मे टांग विलुप्त प्राय पक्षियों के संरक्षण व संवर्धन मे प्रयासरत है। विलुप्त प्राय गौरैया का संरक्षण इनमे मुख्य है। दिल्ली प्रगति मैदान मे सम्पन्न विश्व पर्यावरण संरक्षण दिवस प्रदर्शनी का महत्व दिल्ली महानगर जो वर्तमान मे विश्व के सबसे प्रदूषित महानगरो मे पहले नम्बर पर विराजमान है, महानगर के पर्यावरण संरक्षण मे लगी महत्वपूर्ण संस्था ‘सफाई सेना’ का वर्णन निहायत आवश्यक है। 2009 मे स्थापित इस संस्था से 12 हजार लोग एक अभियान के तहत जुड़ कर दिल्ली सहित अन्य कई राज्यो मे अपशिष्ट इकट्ठा कर पर्यावरण संरक्षण मे अति सराहनीय व महत्वपूर्ण योगदान दे रहे है। कूड़ा बीन अपनी आजीविका चला रहे हैं। अपशिष्ट के बीच जान जोखिम मे डाल कार्य कर रहे ‘सफाई सेना’ के बारह हजार लोगो की सरकार से मांग है कि उन सबका सरकारी स्तर पर बीमा हो। बीमार होने पर उनके इलाज की व्यवस्था हो। उनके बच्चों की सरकार उचित शिक्षा व्यवस्था करे।
मांग जायज है। पर्यावरण संरक्षण के कार्य मे लगे ऐसे  परिश्रमियो की दुविधाओ व मांगो पर सरकार को गौर करना चाहिए। सरकार एक ओर अपने मंत्रालय, पर्यावरण संरक्षण के नाम पर लग रही प्रदर्शनियों, विदेशी दौरों व कूड़ा उठाने वाले अपने सरकारी कर्मचारियों पर करोड़ो रुपया प्रतिमाह खर्च करती है, दूसरी ओर पर्यावरण संरक्षण पर निस्वार्थ भाव से कार्य कर रहे  लोगो व संस्थाओं को उनके जीवन जीने के संवैधानिक अधिकारों व छोटी-मोटी न्यायोचित मांगो से वंचित रखती है! यह क्या उचित है?
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