चंद्र कुंवर बर्त्वाल की जयंती पर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित कर उतराखण्ड की प्रतिनिधि भाषा पर विमर्श व काव्य संध्या
नई दिल्ली: दिल्ली में अल्मोड़ा ग्राम कमेटी के अल्मोड़ा भवन साउथ एक्सटेंशन पार्ट 1 में हिमवंत (चंद्र कुंवर बर्त्वाल स्मृति मंच) द्वारा प्रकृति के चितेरे कवि चंद्र कुंवर बर्त्वाल की जयंती के पुण्य अवसर पर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करने तथा उतराखण्डी भाषा की संगोष्ठी के साथ काव्य संध्या का आयोजन किया गया।
इस आयोजन में दिल्ली एनसीआर के कवि साहित्यकार व समाजसेवियों को आमंत्रित किया गया था। इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य चंद्र कुंवर बर्त्वाल को श्रद्धा सुमन अर्पित करने के साथ उतराखण्ड की प्रतिनिधि भाषा पर आमंत्रित अतिथि साहित्यकारों से विमर्श और कवियों की कृतियों का श्रवण भी करना था।
इस कार्यक्रम में कई साहित्यकार व समाजसेवकों की उपस्थिति हुई। इस अवसर पर काव्य संध्या में कवियों के कविता पाठ हुए।
इस अवसर पर श्री पृथ्वी सिंह केदारखंडी ने श्रद्धांजलि देते हुए चंद्र कुंवर बर्त्वाल के जीवन व उनके साहित्य के संबंध में जानकारी दी तथा कहा कि यदि उतराखण्ड के लिए एक प्रतिनिधि भाषा की बात हो रही है तो इस संबंध में सभी साहित्यकारों को अपनी बात रखनी चाहिए। किसी अहम विषय से विमुख होना समाज को अंधेरे में रखने जैसी बात है। प्रतिनिधि भाषा पर कार्यरत डॉ बिहारीलाल जलन्धरी ने कहा कि गढ़वाली कुमाऊनी को संविधान में सूचीबद्ध करने का हम स्वागत और समर्थन करते हैं। हमारा उद्देश्य उत्तराखण्ड की चौदह बोलियों को विलुप्त होने से बचाना है। गढ़वाली कुमाऊनी समृद्ध बोलियां हैं और आगे भी यथावत रहेंगी। उन्होंने गढ़वाली कुमाऊनी जौनसारी के सभी कवि साहित्यकारों को एक जगह आकर विमर्श करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि केवल दिल्ली एनसीआर में ही कुछ कवि प्रतिनिधि भाषा पर विमर्श नहीं करना चाहते। जिनकी हमारे दो कार्यक्रमों में अनुपस्थित रही है।
इस अवसर पर बीपी जुयाल गढ़देशी ने कहा कि बाईस वर्ष बाद यदि उतराखण्ड की प्रतिनिधि भाषा पर बात हो रही है तो इस विषय पर सभी को विमर्श करना चाहिए।
श्री विमल सजवाण ने कई भाषाओं के बोली से भाषा बनने के संक्रमण काल के इतिहास की जानकारी दी।
श्री चंद्र सिंह रावत स्वतंत्रत ने हिंदी खड़ी बोली के इतिहास की जानकारी दी तथा गुमानी पंत का हिंदी खड़ी बोली के योगदान के बारे में बताया।
चंद्र कुंवर बर्त्वाल स्मृति मंच के अध्यक्ष श्री चंदन गुसाईं ने कहा कि हमें बर्त्वाल जी के जन्मदिन पर उत्तराखंड की प्रतिनिधि भाषा के लिए संकल्प लेकर एकजुट होकर काम करना चाहिए। श्री सुल्तान सिंह तोमर ने जौनसारी में कविता पाठ किया जिसकी बहुत सराहना हुई उन्होंने कहा कि हमें अनेकता में एकता करने का प्रयास जारी रखना चाहिए।
बैठक में श्री दिनेश मोहन घिल्डियाल, श्री श्याम अधिकारी, श्री बच्चन अधिकारी, श्री मिश्रा जी, श्री गिरधर सिंह नेगी आदि ने अपने विचार रखे।
इस अवसर पर कई लोग कविवर चन्द्र कुंवर बर्त्वाल की जयंती पर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करने पहुंचे।