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रिखणीखाल करंट हादसे में बड़ी कार्रवाई: तीन अधिकारी सस्पेंड, क्षेत्रीय जनता में आक्रोश, विधायक ने कहा- जवाबदेही तय हो

रिखणीखाल। पौड़ी जनपद के रिखणीखाल ब्लॉक अंतर्गत वड्डाखाल क्षेत्र में बिजली लाइन पर कार्य करते समय संविदा लाइनमैन की करंट लगने से मौत की घटना ने समूचे जनपद को झकझोर दिया है। इस दर्दनाक हादसे को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सख्त रुख अपनाते हुए बिजली विभाग के तीन जिम्मेदार अधिकारियों—उपखंड अधिकारी चंद्रमोहन, अवर अभियंता शुभम कुमार और अधिशासी अभियंता विनीत कुमार सक्सेना—को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है।

मुख्यमंत्री ने स्पष्ट रूप से कहा कि “कार्यस्थलों पर सुरक्षा मानकों की अनदेखी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। राज्य सरकार प्रत्येक कर्मचारी के जीवन को सर्वोपरि मानती है।” उन्होंने सभी विभागों को निर्देशित किया है कि फील्ड में तैनात कर्मियों को हेलमेट, इंसुलेटेड औजार, सेफ्टी बेल्ट, ग्लव्स आदि सभी आवश्यक सुरक्षा उपकरण उपलब्ध कराए जाएं और इनका पालन सुनिश्चित किया जाए।

घटना पर लैंसडाउन के विधायक मंहत दिलीप रावत* ने कड़ा रोष व्यक्त करते हुए कहा, “इस तरह बिना सुरक्षा के संविदा कर्मचारियों को खतरनाक कार्य में लगाना न केवल लापरवाही है, बल्कि एक तरह का प्रशासनिक अपराध है। यह मानव जीवन के साथ खिलवाड़ है। मैं मुख्यमंत्री से इस पूरे प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच की मांग करता हूं और पीड़ित परिवार को तत्काल न्याय दिलाने का संकल्प लेता हूं। दोषियों को किसी भी कीमत पर छोड़ा नहीं जाना चाहिए।”

विधायक ने बिजली विभाग की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि अगर समय रहते सुरक्षा मानकों का पालन होता, तो आज एक घर का चिराग बुझने से बच सकता था।

वड्डाखाल क्षेत्र में हादसे के बाद स्थानीय नागरिकों ने आक्रोश व्यक्त करते हुए बिजली विभाग के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। ग्रामीणों का कहना है कि बार-बार चेतावनी देने के बावजूद विभाग बिना सुरक्षा इंतज़ाम किए ही कर्मियों को कार्य पर भेज देता है। स्थानीय निवासी मोहन सिंह ने कहा, “बिजली विभाग संविदा कर्मियों को ‘उपयोग करो और फेंको’ की नीति पर चला रहा है। जब तक किसी की जान नहीं जाती, तब तक कोई सुध नहीं लेता।
UPCL से मांगा गया जवाब, उपकरणों की जमीनी स्थिति पर रिपोर्ट तलब*
मुख्यमंत्री धामी ने उत्तराखंड पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (UPCL) के उच्चाधिकारियों से तत्काल यह स्पष्ट करने को कहा है कि विभाग के पास कितने सुरक्षा उपकरण मौजूद हैं और क्या वे प्रभावी रूप से फील्ड कर्मचारियों तक पहुंच भी रहे हैं। उन्होंने यह भी दोहराया कि सुरक्षा महज एक कागजी प्रक्रिया न रह जाए, इसे हर स्तर पर व्यावहारिक रूप से लागू किया जाना चाहिए।
रिखणीखाल में हुई यह घटना केवल एक व्यक्तिगत त्रासदी नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम के लिए एक चेतावनी है। मुख्यमंत्री की त्वरित कार्रवाई और विधायक महंत दिलीप रावत की मुखर प्रतिक्रिया ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अब जिम्मेदारी तय होगी, और लापरवाही करने वाले किसी भी कीमत पर बख्शे नहीं जाएंगे।

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