दिल्लीराज्य

कोविड-19 मरीजों को समर्पित एलएनजेपी अस्पताल का वायरल वीडियो मानवता को शर्मसार करने वाला है-आदेश गुप्ता

नई दिल्ली,। दिल्ली में कोरोना संक्रमित मरीजों को इलाज के लिए दर-दर की ठोकरे खानी पड़ रही हैं। दिल्ली के कोविड मरीजों के लिए समर्पित एलएनजेपी अस्पताल का एक वीडियो वायरल हो रहा है जहां बेड पर, फर्श पर, लॉबी में लाशें पड़ी है जिनके बीच मरीज खौफ के साए में अपना इलाज करवा रहे हैं। इस पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए दिल्ली भाजपा प्रदेश अध्यक्ष श्री आदेश गुप्ता ने कहा कि मानवता को शर्मसार करने वाला यह वीडियो देखकर बहुत दुख पहुंचा है। यह बहुत ही निंदनीय है कि जो लोग अस्पताल में जिंदगी की तलाश में आए थे वह अब तिल-तिल कर मर रहे हैं।
गुप्ता ने दिल्ली सरकार को घेरते हुए कहा कि एलएनजेपी अस्पताल में लापरवाही का आलम यह है कि कोरोना के वॉर्ड में लाशें हैं और लाशों के बीच कुछ जिंदा मरीज हैं। जो लोग मर गए उनकी लाश उठाने वाला कोई नहीं है, जो जिंदा हैं उनका इलाज करने वाला यहां कोई नहीं है। हालात यह है कि दिल्ली सरकार के अस्पतालों में बदइंतजामी और कुप्रबंधन के कारण दिल्ली के लोग ही वहां जाना नहीं चाहते हैं। एलएनजेपी अस्पताल में भी 45 प्रतिशत बेड ही भरे हुए बाकी सभी बेड खाली है उसके बावजूद वार्डों में मरीजों के बेड के नीचे और आसपास लाशें पड़ी हैं। अस्पताल की यह बदहाली दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य तंत्र की पोल खोल रहा है। दिल्ली के लोगों को झूठा आश्वासन देकर बड़े-बड़े दावे करने वाली दिल्ली सरकार ने असल में कभी भी दिल्ली के लोगों के स्वास्थ्य को तवज्जो नहीं दिया जिसका परिणाम है कि प्रतिदिन दिल्ली में हजार से भी ज्यादा लोग कोरोना वायरस की चपेट में आ रहे हैं।
आदेश गुप्ता ने कहा कि यह बहुत ही शर्मनाक है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री अब भी अपनी राजनीति को विराम नहीं देना चाहते हैं और बस बयानबाजी कर रहे हैं। दिल्ली सरकार के लचर स्वास्थ्य व्यवस्था का ही परिणाम है कि दिल्ली में प्रतिदिन कोविड-19 के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। क्या दिल्ली सरकार अस्पतालों में बेड बढ़ाने, अधिक क्वारंटीन सेंटर बनाने, स्वास्थ्य सुविधा दुरुस्त करने के लिए किसी मुहूर्त का इंतजार कर रही है? मेरी मुख्यमंत्री केजरीवाल से यह अपील है कि खुद अस्पताल में जा कर देखिए कि क्या हालात है वहां के, कैसे वहां मरीज इलाज के लिए तरस रहे हैं। मेरा उस निवेदन है कि टीवी, प्रिंट के विज्ञापन पर खर्च करने के बजाय जमीनी स्तर पर स्वास्थ्य व्यवस्था को सुचारू और मजबूत बनाने की ओर कदम उठाएं ताकि दिल्ली के लोग भी खुद को सुरक्षित महसूस कर सकें।

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