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जस्टिस बी.आर. गवई हुए भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दिलवाई शपथ

नई दिल्ली, 2 अप्रैल 2025:
बुधवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जस्टिस भूषण रामकृष्ण (बी.आर.) गवई को भारत का 52वां मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of India – CJI) नियुक्त करने की शपथ दिलाई। उनकी प्रमुख विशेषता यह है कि वे देश के दूसरे दलित तथा प्रथम बौद्ध मुख्य न्यायाधीश के रूप में इतिहास रचेंगे।

कार्यकाल का विवरण:
पूर्व मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना का कार्यकाल 13 मई 2025 को समाप्त हो गया था, जिसके पश्चात् जस्टिस गवई ने कार्यभार संभाला। उनके मुख्य न्यायाधीश के रूप में सेवा का कार्यकाल केवल सात महीने का होगा, जो उनके सेवानिवृत्ति की आयु—65 वर्ष—पूरा होने तक रहेगा।

जन्म एवं शिक्षा: न्यायमूर्ति बी.आर. गवई का जन्म 24 नवंबर 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती जिले में हुआ।

वकालत आरंभ: उन्होंने 16 मार्च 1985 को दिवंगत राजा एस. भोंसले के अधिवक्ता कार्यालय से अपना पेशेवर जीवन आरंभ किया।

स्वतंत्र वकालत: वर्ष 1987 से 1990 तक बॉम्बे उच्च न्यायालय में स्वतंत्र वकालत की, उसके पश्चात् नागपुर पीठ में संवैधानिक और प्रशासनिक कानून के प्रमुख मामलों की पैरवी में संलग्न रहे।

सरकारी अभियोजक: अगस्त 1992 से जुलाई 1993 तक सहायक सरकारी वकील एवं अतिरिक्त लोक अभियोजक, तथा 17 जनवरी 2000 से सरकारी वकील एवं लोक अभियोजक के पदों पर कार्य किया

स्थायी अधिवक्ता: नागपुर नगर निगम, अमरावती नगर निगम, अमरावती विश्वविद्यालय सहित एसआईसीओएम, डीसीवीएल जैसी स्वायत्त संस्थाओं के स्थायी अधिवक्ता रहे।

राजनीतिक प्रतिक्रिया:
केंद्रीय विधि और न्याय तथा संसदीय कार्य राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुन राम मेघवाल ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म ‘एक्स’ पर इस नियुक्ति की घोषणा करते हुए जस्टिस गवई के नेतृत्व में न्याय व्यवस्था को और अधिक पारदर्शी, सशक्त एवं समावेशी बनाने की उम्मीद व्यक्त की।

जस्टिस बी.आर. गवई के मुख्य न्यायाधीश नियुक्ति से भारतीय न्यायाधिकरणों में सामाजिक विविधता एवं सम्मिलन को एक नया आयाम प्राप्त होगा।जस्टिस बी.आर. गवई हुए भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दिलवाई शपथ

नई दिल्ली, 2 अप्रैल 2025:
बुधवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जस्टिस भूषण रामकृष्ण (बी.आर.) गवई को भारत का 52वां मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of India – CJI) नियुक्त करने की शपथ दिलाई। उनकी प्रमुख विशेषता यह है कि वे देश के दूसरे दलित तथा प्रथम बौद्ध मुख्य न्यायाधीश के रूप में इतिहास रचेंगे।

कार्यकाल का विवरण:
पूर्व मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना का कार्यकाल 13 मई 2025 को समाप्त हो गया था, जिसके पश्चात् जस्टिस गवई ने कार्यभार संभाला। उनके मुख्य न्यायाधीश के रूप में सेवा का कार्यकाल केवल सात महीने का होगा, जो उनके सेवानिवृत्ति की आयु—65 वर्ष—पूरा होने तक रहेगा।

जन्म एवं शिक्षा: न्यायमूर्ति बी.आर. गवई का जन्म 24 नवंबर 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती जिले में हुआ।

वकालत आरंभ: उन्होंने 16 मार्च 1985 को दिवंगत राजा एस. भोंसले के अधिवक्ता कार्यालय से अपना पेशेवर जीवन आरंभ किया।

स्वतंत्र वकालत: वर्ष 1987 से 1990 तक बॉम्बे उच्च न्यायालय में स्वतंत्र वकालत की, उसके पश्चात् नागपुर पीठ में संवैधानिक और प्रशासनिक कानून के प्रमुख मामलों की पैरवी में संलग्न रहे।

सरकारी अभियोजक: अगस्त 1992 से जुलाई 1993 तक सहायक सरकारी वकील एवं अतिरिक्त लोक अभियोजक, तथा 17 जनवरी 2000 से सरकारी वकील एवं लोक अभियोजक के पदों पर कार्य किया

स्थायी अधिवक्ता: नागपुर नगर निगम, अमरावती नगर निगम, अमरावती विश्वविद्यालय सहित एसआईसीओएम, डीसीवीएल जैसी स्वायत्त संस्थाओं के स्थायी अधिवक्ता रहे।

राजनीतिक प्रतिक्रिया:
केंद्रीय विधि और न्याय तथा संसदीय कार्य राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुन राम मेघवाल ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म ‘एक्स’ पर इस नियुक्ति की घोषणा करते हुए जस्टिस गवई के नेतृत्व में न्याय व्यवस्था को और अधिक पारदर्शी, सशक्त एवं समावेशी बनाने की उम्मीद व्यक्त की।

जस्टिस बी.आर. गवई के मुख्य न्यायाधीश नियुक्ति से भारतीय न्यायाधिकरणों में सामाजिक विविधता एवं सम्मिलन को एक नया आयाम प्राप्त होगा। राष्ट्रपति भवन में आयोजित मुख्य न्यायाधीश शपथ ग्रहण समारोह में उपराष्ट्रपतिजगदीप धनखड़,प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृहमंत्री अमित शाह, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, एवं केंद्रीय मंत्री पर लोकसभा राज्यसभा सांसद और विपक्ष के नेता कई गण मान्य लोग उपस्थित रहे।

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