कश्मीर घाटी में पहली बार रेल से पहुँची गाड़ियाँ, भारतीय रेल का बड़ा कदम
Amar sandesh दिल्ली।भारतीय रेलवे ने एक और ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। कश्मीर घाटी में पहली बार रेल के ज़रिए ऑटोमोबाइल्स की खेप पहुँची है। 3 अक्टूबर 2025 को हरियाणा के मानेसर से रवाना हुई ट्रेन 100 से अधिक वाहनों के साथ अनंतनाग गुड्स टर्मिनल पर पहुँची। यह ट्रेन दुनिया के सबसे ऊँचे रेलवे पुल चिनाब आर्च ब्रिज को पार करते हुए घाटी तक पहुँची।
यह उपलब्धि उधमपुर–श्रीनगर–बारामुला रेल लिंक (USBRL) परियोजना का सीधा परिणाम है, जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी वर्ष किया था। इस परियोजना ने घाटी को राष्ट्रीय रेल नेटवर्क से जोड़कर दशकों का इंतज़ार खत्म कर दिया।
USBRL के बाद सबसे पहले वंदे भारत एक्सप्रेस घाटी पहुँची, जिसने लोगों को तेज़ और आधुनिक यात्रा का अनुभव दिया। इसके बाद 15 सितंबर 2025 को रेलवे ने सेब उत्पादकों के लिए पार्सल ट्रेन सेवा शुरू की। यह समयबद्ध सेवा बदगाम से दिल्ली के बीच चलाई गई, जिससे कश्मीर के सेब राजधानी के थोक बाज़ारों तक सही समय पर पहुँचने लगे। इससे किसानों की आय बढ़ी, सड़क परिवहन पर निर्भरता घटी और लॉजिस्टिक लागत भी कम हुई।
इसी श्रृंखला में, अब 3 अक्टूबर 2025 को पहली बार अनंतनाग में ऑटोमोबाइल रेक की एंट्री हुई। रेल द्वारा घाटी में तैयार गाड़ियों का पहुँचना व्यापार, खुदरा बाज़ार और नई सेवाओं के लिए नए रास्ते खोलेगा। उपभोक्ताओं को बेहतर विकल्प मिलने के साथ-साथ लॉजिस्टिक्स, डिस्ट्रीब्यूशन और ऑटोमोबाइल क्षेत्र में नए रोज़गार के अवसर भी बनेंगे।
कश्मीर घाटी में USBRL की शुरुआत, सेब पार्सल ट्रेन और अब पहली ऑटोमोबाइल रेक का पहुँचना—इन सभी कदमों ने घाटी की अर्थव्यवस्था को नई ताकत दी है और लोगों के जीवन को आसान बनाने की दिशा में भारतीय रेल ने नया अध्याय जोड़ा है।