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भारत ऊर्जा का नया ध्रुवतारा – आत्मनिर्भरता से विश्व नेतृत्व की ओर

समुद्र मंथन मिशन से खुल रहे अवसर, ओएनजीसी, ऑयल इंडिया और अन्य ऊर्जा कंपनियों के सहयोग से — हरदीप सिंह पुरी

Amar sandesh दिल्ली।भारत आज वैश्विक ऊर्जा समीकरण के केंद्र में खड़ा है। दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता, तीसरा सबसे बड़ा कच्चा तेल आयातक और चौथा सबसे बड़ा रिफाइनर होने के साथ भारत के पास लगभग 651.8 एमएमटी कच्चे तेल और 1,138.6 बीसीएम प्राकृतिक गैस का अपार भंडार है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए “समुद्र मंथन – राष्ट्रीय डीपवाटर मिशन” ने भारत को ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में नई उड़ान दी है।

केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर जानकारी साझा करते हुए लिखा कि “भारत न केवल वैश्विक ऊर्जा मांग में 25 प्रतिशत की वृद्धि का हिस्सा बनेगा, बल्कि यह अवसर आयरलैंड सहित दुनिया के ऊर्जा साझेदारों के लिए भी नए अवसरों का द्वार खोलता है।”

पिछले एक दशक में भारत ने साहसिक सुधार किए हैं—एनईएलपी से एचईएलपी तक का संक्रमण, प्रोडक्शन शेयरिंग से रेवेन्यू शेयरिंग व्यवस्था की ओर बदलाव, ओएएलपी राउंड्स का शुभारंभ (जिसमें ओएएलपी राउंड-10 अब तक का सबसे बड़ा रहा, लगभग 1.92 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र शामिल हुआ), ऑफशोर नो-गो क्षेत्रों का 99 प्रतिशत खोलना और विश्वस्तरीय डिजिटल एनडीआर की स्थापना।

इस परिवर्तन यात्रा में ओएनजीसी, ऑयल इंडिया, जीओपेट्रोटेक, लार्सन एंड टुब्रो, एचएएल शिपयार्ड्स और रिलायंस इंडस्ट्रीज़ जैसी कंपनियों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया। इस अवसर पर ओएनजीसी के CMD और CEO अरुण कुमार सिंह, ऑयल इंडिया के CMD डॉ. रंजित रथ सहित कई कंपनियों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे, जिन्होंने मंत्री के विज़न और साझा किए गए संदेश को समर्थन दिया।

पिछले वर्ष भारत की उपलब्धियाँ ऐतिहासिक रही हैं। अन्वेषण और उत्पादन में ₹1.4 लाख करोड़ का निवेश हुआ। ओएनजीसी ने 578 कुएँ खोदकर पिछले 35 वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ा। देशभर में 5,000 से अधिक अन्वेषण और विकास कुएँ खोदे गए, जिनमें मजबूत ऑफशोर प्रोग्राम भी शामिल हैं। राष्ट्रीय सिस्मिक कार्यक्रम और मिशन अन्वेषण के तहत 67,000 एलकेएम से अधिक 2डी सिस्मिक डेटा संग्रहित किया गया और उसे एनडीआर में संरक्षित किया गया। घरेलू शिपयार्ड्स में प्लेटफॉर्म, सबसी पाइपलाइन और प्रोसेस मॉड्यूल का निर्माण हुआ, और भारत ने पहली बार पूरी तरह स्वदेशी एफपीएसओ हासिल की।

तकनीक को अपनाने में भी तेजी दिखाई गई है। डिजिटल ऑयलफील्ड, आईओटी, एआई आधारित विश्लेषण और एडवांस्ड कंप्लीशन तकनीकों को अब मुख्यधारा में लागू किया गया है।

भारत अब केवल उपभोक्ता बाजार नहीं है, बल्कि अपस्ट्रीम प्रोजेक्ट्स का वैश्विक निष्पादन केंद्र बन चुका है। 2025 से 2035 के बीच भारत में 2,000 से अधिक अन्वेषण कुएँ, बड़े पैमाने पर ईओआर और डीपवाटर प्रोजेक्ट्स देखने को मिलेंगे। इससे रिग्स, सबसी, ईपीसी, डिजिटल और पर्यावरण सेवाओं के लिए लगभग 100 अरब डॉलर का बाजार बनेगा। यही भारत की ऊर्जा क्षमता, अवसर और मजबूती का बड़ा चित्र है।

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