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Amar sandesh दिल्ली।भारत के केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि भारत का लगभग पूरा समुद्री व्यापार समुद्री मार्ग से होता है, और तेल व गैस क्षेत्र देश के कुल व्यापार का लगभग 28 प्रतिशत हिस्सा है। इसके बावजूद, केवल लगभग 20 प्रतिशत माल ही भारतीय ध्वज वाले या भारतीय स्वामित्व वाले जहाज़ों से परिवहन किया जाता है।
उन्होंने बताया कि कच्चे तेल, रसोई गैस (एलपीजी), तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) और एथेन की बढ़ती आवश्यकता तथा वर्ष 2034 तक ओएनजीसी की लगभग 100 समुद्री सेवाओं और मंच-आपूर्ति पोतों की जरूरत को देखते हुए, कोरिया की उन्नत जहाज़ निर्माण तकनीक और भारत की विनिर्माण क्षमता व लागत लाभ—दोनों मिलकर दीर्घकालिक सहयोग के लिए एक मजबूत आधार तैयार करते हैं।
श्री पुरी ने सियोल में हनवा ओशन के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी किम ही-चुल से भी भेंट की। उन्होंने कंपनी को भारत की “विश्व के लिए भारत में निर्माण” की नीति के अंतर्गत तेजी से विकसित हो रहे जहाज़ निर्माण क्षेत्र में निवेश और सहयोग के अवसर तलाशने के लिए आमंत्रित किया।
उन्होंने कहा कि भारत की तेज़ी से प्रगति करती अर्थव्यवस्था तथा ऊर्जा और हाइड्रोकार्बन अवसंरचना को सुदृढ़ करने पर विशेष ध्यान, जहाज़रानी उद्योग में विशाल निवेश संभावनाएं प्रदान करता है। उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि तेल और गैस क्षेत्र भारतीय बंदरगाहों पर सबसे बड़ा माल-समूह है, लेकिन इसका अधिकांश परिवहन विदेशी जहाज़ों पर निर्भर है।
केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने स्पष्ट किया कि भारत इस चुनौती को अवसर में बदलने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि भारतीय सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियाँ तरलीकृत प्राकृतिक गैस और कच्चे तेल के परिवहन जहाज़ों के निर्माण में कोरियाई कंपनियों के साथ साझेदारी के लिए तैयार हैं, जिससे दीर्घकालिक रणनीतिक परिसंपत्तियों के विकास को बढ़ावा मिलेगा।
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