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गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने “केदारनाथ से साक्षात्कार” किताब का विमोचन  किया।

5 साल पहले साल 2013 में आई केदारनाथ आपदा और उसके बाद पुनर्निर्माण को लेकर हुए कामों को लेकर आजतक के डिप्टी एडिटर मनजीत नेगी ने एक किताब लिखी है। “केदारनाथ से साक्षात्कार” का विमोचन उत्तराखंड के पहले इन्वेस्टर्स सम्मिट में देश के गृहमंत्री राजनाथ सिंह और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री  त्रिवेंद्र सिंह रावत ने किया। किताब के शुभकामना सन्देश देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है की जीवट पत्रकारिता का यह पठनीय संकलन है। किताब के बारे में जाने-माने लेखक अमीश त्रिपाठी ने कहा है कि मैं सच्चा शिव भक्त हूं और आपको यह किताब जरूर पढ़नी चाहिए जाने-माने फिल्मकार मधुर भंडारकर ने दी किताब के बारे में अपनी प्रतिक्रिया दी है।
पांच साल पहले केदारनाथ में आई प्रलयकारी बाढ़ कभी न भूलने वाली घटना है। प्रकृति की इस विनाशलीला और उसके बाद केदारघाटी को उसका दिव्य और भव्य स्वरूप लौटाने के लिए चले भागीरथ प्रयास को देखने और कवर करने के अनुभवों को मनजीत नेगी ने एक पुस्तक ”केदारनाथ से साक्षात्कार” के रूप में संकलित किया है। एक टीवी पत्रकार होने के नाते उन्होंने इस आपदा को कवर किया और पिछले पांच सालों में आपदा और पुनर्निर्माण के दौरान भी वह कई बार केदारनाथ गए।
इस किताब को लिखने में 5 साल लग गए, जब जून 2013 में आपदा को देखा और जिया, हफ्तों उस इलाके की खाक छानता रहा, जब लोग केदारनाथ त्रासदी के बाद उस इलाके से निकल भागने के लिये हर जुगत लगा रहे थे, भगवान से दुआंये मांग रहे थे, मैं उसी इलाके में जाने के लिये जी जान लगा रहा था, ये मेरा पेशा था, मेरा जुनून। मेरी मातृभूमि उत्तराखंड के प्रति मेरा प्यार। मैने त्रासदी को जिया।
एक ख्याल मेरे दिमाग में हमेशा रहा कि मौत के तांडव को इतने नजदीक से देखने के बाद मुझे इसे कलमबद्द जरूर करना चाहिए, लेकिन इन 5 सालों में पत्रकारिता के पेशे की भागमदौड में समय निकलता ही रहा, लेकिन जब त्रासदी के बाद घाटी को बचाने की कोशिशे शुरू हुई, और उन कोपलों कोफूटंते देखा तो लगा कि सिर्फ विध्वंस को ही नही बताना चाहिए, बल्कि पुनर्निर्माण की दास्तां को भी बंया करूंगा।
इस पुनर्निर्माण के काम को सफल बनाने में कर्नल अजय कोठियाल और उनकी टीम का अहम योगदान रहा है। उनकी टीम ने हर मौसम में यहां पर पुनर्निर्माण के काम को जारी रखा। साथ ही सरकार ने भी अपनी ओर से कोई कोर कसर नहीं छोड़ी जिससे कि यहां का पुनर्निर्माण का काम इतनी जल्दी समाप्त होने वाला है।
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