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कोरोना आपदा के बाद भी संक्रमण काल के दौर से गुजर रही है हिंदी पत्रकारिताः दयानंद वत्स

हिंदी पत्रकारिता दिवस

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दिल्ली।अखिल भारतीय स्वतंत्र पत्रकार एवं लेखक संघ और नेशनल मीडिया नेटवर्क के संयुक्त तत्वावधान में आज उत्तर पश्चिम दिल्ली स्थित संघ के मुख्यालय बरवाला में हिंदी पत्रकारिता दिवस पर संघ के राष्ट्रीय महासचिव एवं नेशनल मीडिया नेटवर्क ग्रुप ऑफ न्यूजपेपर्स के संस्थापक समूह संपादक दयानंद वत्स के सान्निध्य में कोरोना महामारी के बाद हिंदी पत्रकारिता की दशा और दिशा एवं भविष्य की संभावनाऐं विषयक सार्थक टेली- परिचर्चा का आयोजन किया गया। अपने मुख्य संबोधन में श्री दयानंद वत्स ने कहा कि निरंतर प्रगति के बावजूद कोरोना काल के बाद भी हिंदी पत्रकारिता इस समय संक्रमण काल के दौर से गुजर रही है और अपना अस्तित्व बचाए रखने के लिए संघर्षरत है। कोरोना महामारी ने समाचारपत्रों के प्रकाशकों और पत्रकारों के समक्ष आजीविका का संकट खडा कर दिया था जो आजतक बदस्तूर जारी है। हिंदी प्रिंट मीडिया घाटे का सामना कर रहा है। हजारों अखबार बंद हो रहे हैं। पत्रकारों की नौकरियों खतरे में पडी हैं। हजारों लघु और मध्यम समाचारपत्र विज्ञापनों के अभाव में धीरे धीरे बंद हो चुके हैं। वत्स ने कहा कि
उदन्त मार्तण्ड के प्रकाशन के समय जो हिंदी पत्रकारिता एक राष्ट्रीय मिशन थी कालांतर में आज वह आधुनिक डिजिकल युग में एक व्यक्ति, समूह अथवा किसी निजी कंपनी के व्यवसाय के रुप में परिवर्तित हो गयी है। इलैक्ट्रोनिक मीडिया भी इसकी चपेट में है। पत्रकारिता तो अब खुल्लम खुल्ला स्पेस सेलिंग का व्यापार हो गयी है। संपादक के पद पर आज बाजार हावी है। हालांकि पत्रकारिता का स्वर्णिम दौर 21वीं सदी में आते- आते अपनी चमक और कलम की धार दोनों तेज कर चुका है। फिर भी प्रसार संख्या में अधिकता के बावजूद विज्ञापन जुटाने के मामले में हिदी पत्रकारिता अंग्रेजी पत्रों से मात खा रही है। विज्ञापन उद्योग भी अंग्रेजी पत्रों को तरजीह देता है क्योंकि परचेजिंग पावर अंग्रेजी जानने वालों के पास हिंदी की अपेक्षा कहीं अधिक है। उस पर बाजार हावी हो गया है इसलिए उसे अंग्रेजी से कडी टक्कर मिल रही है। शासन तंत्र में भी अंग्रेजी अखबारों की ही विश्वसनीयता आज अधिक है। फिर भी आज हिंदी पत्रकारिता अपनी एक सुदृढ वैश्विक पहचान बना चुकी है। उसकी दशा अच्छी स्थिति में है और दिशा समयानुकूल है। तमाम मुश्किलों और झंझावातों के बीच हिंदी पत्रकारिता विश्व पटल पर अपना परचम फहराऐ हुए है जो एक शुभ संकेत है। हिंदी डिजिटल मीडिया तेजी से अपनी जडें जमा जा रहा है।
इस मौके पर टेलीचर्चा में दयानंद वत्स, आचार्य सुभाष वर्मा, प्रदीप श्रीवास्तव ने हिंदी पत्रकारिता के छात्रोंं, प्राध्यापकोंं, पत्रकारों, संपादकों को हिंदी पत्रकारिता दिवस की शुभकामनाएं देते हुए सर्वश्री स्वर्गीय गणेश शंकर विद्यार्थी, महात्मा गांधी, राजेंद्र माथुर, अज्ञेय और सत सोनी जी के हिंदी पत्रकारिता के लिए किए गये योगदान को याद किया।

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