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सीएसएमआरएस संस्थान भारत की सौम्य शक्ति का प्रतीक-रतन लाल कटारिया

दिल्ली।सीएसएमआरएस संस्थान भू-तकनीकी सर्वेक्षण और विश्लेषण के क्षेत्र व यह संस्थान पुनात्संगचू (भूटान) जैसी रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय परियोजनाओं के लिए परामर्श उपलब्ध कराता है। यह जल शक्ति मंत्रालय के डीआरआईपी कार्यक्रम के अंतर्गत बुनियादी भूमिका निभाता है। श्री रत्तन लाल कटारिया ने वैज्ञानिकों से बातचीत की और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में किए जा रहे उनके प्रयासों के लिए उनकी सराहना की।

श्री रत्तन लाल कटारिया ने उन्नत तकनीकि वाले संस्थान सीएसएमआरएस की समीक्षा बैठक की। यह संस्थान जल संसाधन से जुड़ी बड़ी परियोजनाओं को पूरा करने की दिशा में आने वाली भू-तकनीकि चुनौतियों के लिए शोध, परामर्श और अपेक्षित अनुसंधान के लिए प्रमुखता से काम करता है। सीएसएमआरएस एक मात्र केंद्रीय संगठन है जो जल संसाधन से जुड़ी परियोजनाओं के लिए मिट्टी, चट्टान, पथरीले स्थानों, रॉकफिल्स और जियोसिंथेटिक्स के क्षेत्र में काम करता है।

यह संस्थान मृदा, चट्टानों और अन्य भौगोलिक मापदण्डों का विश्लेषण करने और उनकी जांच करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जो कि बांध, बराज और नहर जैसी बड़ी जल संसाधन परियोजनाओं के निर्माण तथा उनके ढांचे के प्रारूप तैयार करने में अत्यंत महत्वपूर्ण है।
श्री कटारिया ने कहा कि सीएसएमआरएस राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय महत्व की लगभग सभी बड़ी परियोजनाओं में चुपचाप उल्लेखनीय योगदान कर रहा है, जिसमें पोलवरम परियोजना, आंध्र प्रदेश, सरदार सरोवर बांध परियोजना, भौंरत बांध, उत्तर प्रदेश, खोलोङ्ग्चु एचई परियोजना, भूटान, पुनात्सांगचू एचई परियोजना, भूटान तथा अफगानिस्तान और म्यांमार में निर्मित परियोजनाएं शामिल हैं।

श्री कटारिया ने इस संस्थान को भारत की सौम्य शक्ति का प्रतीक कहा और इसकी सफलता के लिए संस्थान के कठिन मेहनत करने वाले वैज्ञानिकों को श्रेय दिया। उन्होंने संस्थान के प्रदर्शन के प्रति संतोष व्यक्त करते हुए वर्ष 2018-19, 2019-20 के लिए तय लक्ष्यों से अधिक हासिल करने के लिए वैज्ञानिकों की प्रशंसा की। उन्होंने देश के सामने उभरती वैश्विक चुनौतियों से निपटने में भारत को सक्षम बनाने के लिए भारतीय वैज्ञानिक समुदाय के योगदान हेतु उनकी सराहना की।
श्री कटारिया ने ज़ोर दिया कि जारी डीआरआईपी-बांध पुनर्वास एवं समुन्नत परियोजनाओं के लिए सीएसएमआरएस सहायक भूमिका निभा रहा है। उन्होंने बताया कि सरकार ने डीआरआईपी परियोजनाओं के लिए सीएसएमआरएस हेतु आवश्यक उन्नत उपकरण और सॉफ्टवेयर खरीदे जाने के लिए बजट का आवंटन किया है। संस्थान के निदेशक ने बताया कि निर्माण के बाद के चरणों में ढांचों के व्यवहार के अध्ययन तथा आंकड़ों के रियल टाइम विश्लेषण हेतु 2 सॉफ्टवेयर एफ़एलएसी 2एफ़ और आरएस2/पीएचएएसई 2 के साथ-साथ अन्य उपकरण की खरीद की गई है।
सरकार ने सीएसएमआरएस वैज्ञानिकों की क्षमता को और उन्नत करने के लिए स्वानसी विश्वविद्यालय, ब्रिटेन और नॉर्वे भू-तकनीकी संस्थान, ओस्लो, नॉर्वे में विशिष्ट प्रशिक्षण को भी मंजूरी दे दी है। इस बैठक में सीएसएमआरएस के निदेशक एवं वैज्ञानिकों के साथ-साथ अन्य प्रशासनिक अधिकारी भी उपस्थित रहे।

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