कोरोना वैक्सीन के लिए वैज्ञानिकओं को बधाई -खबरीलाल

सुनो ‘ सुनो देश के राजनेता सुनो , पक्ष . – विपक्ष के राजनीतिक कर्ण दारो सुनो ।वैश्विक कोरोना संकट के काले बादल ने भारत ही नही वरन सम्पूर्ण विश्व को अपनी जीवन दिन चर्चा व आर्थिक भयावह स्थिति मे ला दिया है । देश की अर्थ व्यवस्था को पुनः गति देने में अभी वक्त लगेगा , लेकिन ऐसी विकट परिस्थित सीमित संसाधनो मे हमारे वैज्ञानिको ने दिन रात मेहनत कर इस कम वक्त मे कोरोना वैक्सीन को विकसित कर भारत का सर गर्व से ऊँचा किया है। भारत के इतिहास के स्वणिम पन्नो मे अंकित कर भारत की छवि को अन्तराष्ट्रीय विरादरी मे अपनी शक्ति का लोहा मनवाया है। दो विकसीन का आविष्कार एक वर्ष से कोरोना महामारी से जूझते देश वासियों और विश्व के नागरिकों के लिए 16 जनवरी एक विजय तिथि के रूप में याद किया जाएगा. भारत के वैज्ञानिक के नेतृत्व में में इस विजय अभियान की शुरुआत हो गई है । कोरोना वेक्सीनेशन को लेकर कुछ नकारात्मक तत्वों और विपक्षी दलों दलों द्वारा फैलाई जा रही अफवाहों को दरकिनार करते हुए देश के नागरिकों और अपने वैज्ञानिकों के प्रयासों की सराहना करनी चाहिए । इस कार्य के लिए देश के वैज्ञानिक कों को धन्यवाद दिया गया.कोरोना फैलने के शुरुआती दिनों मे भी इसी तरह केंद्र ने जानकारी साझा की थी.
कोरोना का टीकाकरण पूरे देश भर में 16 जनवरी से शुरू हुआ है.देश कोरोना के टीकाकरण अभियान के दिन कितने लोगों को टीका लगा, क्या कोई साइड इफेक्ट या कोई और दिक्कत सामने आई, केंद्र सरकार ने कहा कि सारे देश में 3352 केंद्रों में 1 लाख 91 हजार 181 लोगों को पहले दिन टीका लगाया गया. 11 राज्यों में दोनों किस्म के टीके लगाए गए, जिनमें असम, बिहार, दिल्ली, हरियाणा, कर्नाटक जैसे राज्य इसमें शामिल रहे. बाकी राज्यों में सिर्फ सीरम इंस्टीट्यूट की वैक्सीन कोविशील्ड लगाई गई. कोरोना की दूसरी वैक्सीन भारत बायोटेक की कोवैक्सिन है. दिल्ली सरकार सूत्रों के मुताबिक पहले दिन 4319 स्वास्थ्य कर्मियों को टीके लगे । देश भर में कोविड का टीका लगने के बाद कछ लोगो को कोरोना टीकाकरण की निगरानी कराने वाले ऐप कोविन की स्पीड कम होने जैसी कुछ तकनीकी दिक्कतें सामने आईं, पहले दिनदिल्ली में 4319 को वैक्सीन लगाई गर्दा
दिल्ली सरकार सूत्रों के मुताबिक पहले दिन 4319 स्वास्थ्य कर्मियों को टीके लगे. कुल 8100 स्वास्थ्य कर्मियों को पहले दिन टीके लगने की उम्मीद थी, इस हिसाब से 53.32% ने टीके लगवाए गए. अंडमान निकोबार में 78, आंध्रप्रदेश में 16, 963, अरुणाचलप्रदेश में 743, असम में 2721, बिहार में 16,401, चंडीगढ़ में 195, छत्तीसगढ़ में 4985, दादरा नगर हवेली में 64, दमन और दीव में 43, गोवा में 373 और गुजरात में 8557 स्वास्थ्यकर्मियों और फ्रंटलाइन वर्करों को टीका लगाया गया. देश में भर सेना के करीब 3129 जवानों को भी यह टीका दिया गया है.देश भर में करीब 16,755 कर्मियों को टीकाकरण के इस कार्य में लगाया गया था.
पहले दिन करीब तीन लाख स्वास्थ्यकर्मियों और फ्रंटलाइन वर्करों को टीका लगने का अनुमान था, लेकिन यह आंकड़ा कम रहा है।
अतः स्वदेश मे निर्मित कोरोना वैक्सीन पर सरकार द्वारा श्रेय या विपक्ष के नेताओ को राजनीति करने के वजाय वैश्विक संकट कोरोना से निजात पाने देश प्रेम व राष्ट्र हित को ध्यान देना चाहिए ।
खबरी लाल अपने मिशन व विजन मे देश के बैज्ञानिक के साथ है। क्योकि अपवाद नियम नही होता है। किसी वैक्सिन मे 100% सफल नही हो सकता है। किसी नये वैक्सीन को बनाने कम कम चार – पॉच वर्ष लग जाते है।
जहाँ तक अन्य देश की वैक्सीन की गुण वक्ता का प्रशन है रूस इस संदर्भ मे प्रथम है जिसका प्रमाण वहाँ के तत्कालीन राष्ट्रपति ने अपने बेटी को वैक्सीन लगा कर दे दी है। वही भारत मे हमारे राजनेता अभी स्वदेशी वैक्सीन लगाने आगे आने कतरा रहे है।
खैर इसकी के लिए पक्ष विपक्ष के साथ हमारे प्रबुद्ध . नाम चीन व्यवितयो आगे आकर वैक्सीन लगाई चाहिए ।
अतः मे इसी दुआ के साथ
ना काहुँ से दोस्ती , ना काहुँ से बैर
खबरी लाल तो मांगे सबकी खैर ।
तीरक्षी नजर से तीखी खबर ले पुनः आप के समक्ष आऊगाँ
अभी विदा लेता हुँ ।
प्रस्तुति
विनोद तकिया वाला
स्वतंत्र पत्रकार ‘ स्तम्भकार

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