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वनों पर उनके पुश्तैनी हक़ हकूकों को हासिल करने के लिए संघर्ष : किशोर उपाध्याय

पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय वन अधिकारों को हासिल करने के लिये कल 6 जून से प्रदेश का सघन दौरा करेंगे। दौरे का शुभारम्भ हरिद्वार हर की पौड़ी और दक्ष महादेव मंदिर किया जायेगा। 6, 7, 8 व 9 जून को गढ़वाल मंडल के जिलों में जाकर आंदोलन की रूपरेखा और रणनीति बनायी जायेगी। ज्ञातव्य हो पूर्व मंत्री उपाध्याय पिछले एक साल से प्रदेश के निवासियों के पुश्तैनी हक़-हकूकों व वन अधिकारों को बहाल करने के लिये प्रदेश की सामाजिक संस्थाओ और राजनैतिक दलों का साँझा मंच बनाकर कई कार्यक्रम आयोजित कर चुके हैं। श्री उपाध्याय ने बताया कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पूर्व में ही प्रदेश कांग्रेस कमेटियों को Forest Dwellers के वनों पर उनके पुश्तैनी हक़ हकूकों को हासिल करने के लिए संघर्ष करने की अपेक्षा की है। उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने अपनी पहली बैठक में इन माँगो के पक्ष में सर्व सम्मत प्रस्ताव पारित किया है। विदित हो कि तिलाड़ी शहीदों के शहादत दिवस 30 मई, 2018 को देहरादून के नगर निगम हॉल में 500 से अधिक सामाजिक कार्यकर्ताओं, बुद्धिजीवियों, तथा 75 समाज सेवी संस्थाओं ने वन अधिकारों के मुद्दे पर एक परिचर्चा का आयोजन कर एक मांगपत्र तैयार किया था।प्रमुख मांगे निम्नलिखित हैं –
•उत्तराखंड राज्य का लगभग दो तिहाई हिस्सा वन आच्छादित है, वन यहाँ के निवासियों की संस्कृति और सभ्यता का हिस्सा है, इसलिए उत्तराखंड राज्य को, और विशेषकर पर्वतीय क्षेत्र को, अरण्य प्रदेश घोषित किया जाय और यहां के निवासियों को अरण्यवासी।
• जैव विविधिता अधिनियम 2002 और वन अधिकार अधिनियम 2006 के तहत स्थानीय समुदायों को दिए गए प्रावधानों को लागू किए जाए।
• हिमालयी क्षेत्रों में पैदा होने वाली जीवन रक्षक जड़ी बुटियों के दोहन का अधिकार स्थानीय समुदायों को मिले। ताकि इन क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा हों। पर्वतीय क्षेत्रों में वन एवं प्राकृतिक संसाधनों के प्रसंस्करण से सम्बंधित उद्योग लगाए जाएँ।
• वन एवं प्राकृतिक संसाधनों पर उत्तराखंड वासियों के परम्परागत हक़ हकूकों की रक्षा की जाय।
• वन प्रबंधन में स्थानीय समुदाय की नेतृत्वकारी भूमिका सुनिश्चित जाय।
• कार्बन क्रेडिट और ग्रीन बोनस को प्राप्त करने के लिए राज्य सरकार मजबूती से पहल करे, तथा इसका लाभ स्थानीय समुदाय को मुफ्त रसोई गैस सिलेंडर, तथा मुफ्त बिजली के रूप में दिया जाय।
• भवन निर्माण हेतु रेत, बजरी, पत्थर, ईंट, और लकड़ी मुफ्त दी जाए।
• वनवासियों को केंद्र सरकार की नौकरियों में आरक्षण दिया जाय।
• स्कूल, अस्पताल, पेयजल और सिंचाई जल हेतु बनने वाली गूल / नहर या पाइप  जैसे जनहितकारी विकास कार्यों हेतु वन भूमि के इस्तेमाल में शिथिलता दी जाय।
• तिलाड़ी आंदोलन के शहीदों के सम्मान में 30 मई को वन अधिकार दिवस घोषित किया जाय।
• वन्य प्राणियों से किसानों  की फ़सल
को हुई हानि की भरपाई की जाय।
• जन हानि पर परिवार के एक सदस्य को पक्की सरकारी नौकरी और रू.25लाख रुपये हर्ज़ाना दिया जाय।
श्री उपाध्याय ने कहा कि इस आंदोलन का मुख्य फ़ोकस महिला शक्ति, युवा पीढ़ी, छात्र-छात्राओं, भूतपूर्व सैनिकों आदि  में अपने अधिकारों  को हासिल करने के लिये जन-जागरण करना होगा।
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