अमृता रावत लड़ सकती हैं लोकसभा चुनाव
अमर संदेश,दिल्ली। राजधानी दिल्ली स्थित उत्तराखण्ड सदन में आयोजित संवाद्दाता सम्मेलन के दौरान उत्तराखण्ड के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने अमृता रावत के आगामी लोकसभा चुनाव लड़ने की संभावनाओं के मद्देनज़र, पूछे गये सवालों का जवाब देते हुए कहा कि पार्टी हाईकमान कहेगा तो वे चुनाव लड़ सकती हैं। श्री महाराज के इस जवाब से यह कयास लगाये जा रहे हैं कि आगामी आम चुनावों में वह भाजपा के टिकट पर उत्तराखण्ड से चुनाव लड़ सकती हैं।
श्रीमती रावत छात्र जीवन से ही समाजसेवा में सक्रिय रही हैं, साथ ही राजनीतिक चेतना से भी लैस रही हैं। 1978 में उन्होंने महिला महाविद्यालय कानपुर में अध्ययन करते हुए छात्रसंध संयुक्त सचिव पद पर विजय हासिल की। बाद में साल 2002 में सक्रिय राजनीति में प्रवेश करने के बाद उन्होंने लगातार तीन बार विधानसभा चुनाव जीता। पहली बार वे पौड़ी जिले के बीरौंखाल से उत्तराखण्ड विधानसभा के लिए रिकॉर्ड वोटों से निर्वाचित हुईं और उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाते हुए उर्जा,महिला सशक्तिकरण,सिंचाई और बालकल्याण जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालयों की जिम्मेदारी सौंपी गयी। पुनः 2007 में वे उत्तराखण्ड विधानसभा के लिए चुनाव जीतीं। भाजपा की सरकार के दौरान उन्हें 2011 में सर्वश्रेष्ठ विधायक का सम्मान दिया गया। हालांकि उस दौरान उत्तराखण्ड में भाजपा पदारूढ़ थी, इसके बावजूद श्रीमती रावत ने दलगत राजनीति से उपर उठकर आम जनता के लिए जनहितकारी कार्यों को रुकने नहीं दिया। उन्होंने अपने स्वयंसेवी संगठन के माध्यम से जनसेवा का अनुष्ठान सतत् जारी रखा। 2012 में अमृता रावत नैनीताल और पौड़ी जिलों में विस्तारित रामनगर विधानसभा सीट से उत्तराखण्ड विधानसभा के लिए तीसरी बार निर्वाचित होकर विधानसभा पहुॅची और उन्हें पर्यटन,औद्यानिकी,संस्कृति, वैकल्पिक उर्जा, बाल कल्याण और महिला सशक्तिकरण जैसे ताकतवर मंत्रालयों की कमान सौंपी गयी ।साल 2012 में ही उनकी अगुआई में कुमाउॅ की पर्वतीय चोटियों को सर्वश्रेष्ठ पहाड़ी पर्यटक स्थल का सम्मान प्राप्त हुआ।
श्रीमती रावत का जन्म पौड़ी गढ़वाल जनपद के तहत् स्थित एकेश्वर कस्बे में एक शिक्षित तथा धर्मपरायण परिवार में हुआ। उनके पिता स्व. श्री कुॅवर सिंह रावत वरिष्ठ वैज्ञानिक रहे, जाहिर है कि शिक्षा तथा संस्कार उन्हें विरासत में मिले। सक्रिय राजनीति में आने से पहले वह समाज सेवा में सक्रिय रहीं और आज भी वह राजनीति को समाजसेवा का सक्रिय तथा सशक्त माध्यम मानती हैं। मानव सेवा उत्थान समिति के जरिये वह समाज के उत्पीड़ित, ‘ाोषित तथा वंचित वर्ग के लिए सदा उपलब्ध रहती हैं। मौजूदा पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज की पत्नी होने के साथ-साथ समाज तथा राजनीतिक क्षेत्र में उन्होंने अपनी एक अलग पहचान बनायी है। उत्तराखण्ड में 2013 में हुई भीषण जल-प्रलय में उन्होंने स्वयं तथा अपने समाजसेवी संगठन- मानव उत्थान सेवा समिति के स्वयं सेवकों के माध्यम से आपदापीड़ितों की भरपूर सहायता करने के साथ-साथ उनके पुनर्वास के लिए आज भी सक्रिय हैं। उन्होंने उत्तराखण्ड में विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं के दौरान आपदाग्रस्त हुए लोगों और परिवारों की सहायता करने में कभी कोई कमी नहीं रखी। साल 1989 में पिण्डर घाटी इलाके में आया भू-स्खलन हो,1990 में नीलकण्ठ में हुई अविृष्टि,साल 1991 में उत्तरकाशी में आया भीषण भूकंप हो या 1998 में उखीमठ में हुआ भू-स्खलन और 1999 में चमोली में आये भीषण भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं के दौरान अमृता रावत ने आपदा पीड़ितों को तात्कालिक सहायता मुहैय्या कराने के साथ-साथ उन लोगों के पुनर्वास में भी भरपूर सहयोग दिया। आज भी वे आपदा पीड़ितों का जीवन सॅवारने में प्रयासरत हैं।
उत्तराखण्ड राज्य प्राप्ति आंदोलन में भी उन्होंने काफी बढ़-चढ़कर हिस्सेदारी की । साल 1994 में उन्होंने अपने पति तथा तथा वर्तमान पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज के साथ गोपंश्वर से नारसन तक अपने हजारों समर्थकों के साथ पद्यात्रा की। इस पद्यात्रा ने उत्तराखण्ड आंदोलन को एक नयी धार देने के साथ-साथ निर्णायक और सकारात्मक दिशा देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभायी।
अमृता रावत के पास एक लंबा सामाजिक ओैर सक्रिय राजनीतिक अनुभव है इस तथ्य से इन्कार नहीं किया जा सकता है। इसलिए भी आगामी लोकसभा चुनावों के लिए उनकी दावेदारी मजबूत मानी जा रही है। कयास लगाये जा रहे हैं कि वह पौड़ी लोक सभा सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव मैदान में उतारी जा सकती हैं हालांकि इस सीट पर भाजपा के अन्य दिग्गज नेताओं की नज़र भी है। लेकिन राजनीतिक अनुभव और आम जनता में सकारात्मक छवि तथा सशक्त पकड़ के मद्देनज़र अमृता रावत का पलड़ा भारी माना जा रहा है। उनके पास समाज सेवा का भी एक लंबा सक्रिय अनुभव और विरासत मौजूद है।