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मणिपुर में राष्ट्रपति शासन: स्थिरता और शांति की दिशा में एक निर्णायक कदम

Report by : Amarchand

केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने राज्यसभा में मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने का वैधानिक प्रस्ताव पेश किया, जिसे सदन ने स्वीकार कर लिया। यह कदम मणिपुर की वर्तमान परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, स्थिरता और शांति सुनिश्चित करने के उद्देश्य से लिया गया है।

जनहित को सर्वोपरि रखते हुए लिया गया निर्णय

श्री अमित शाह ने स्पष्ट किया कि यह निर्णय किसी राजनीतिक उद्देश्य के तहत नहीं, बल्कि राज्य में व्याप्त जातीय तनाव की संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री के इस्तीफे के बाद राज्यपाल ने सभी दलों के विधायकों से विचार-विमर्श किया, परन्तु किसी के पास सरकार गठन का स्पष्ट दावा नहीं था। इसके बाद संवैधानिक प्रक्रिया के तहत राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश की गई, जिसे स्वीकृति प्राप्त हुई।

स्थिति नियंत्रण में, भ्रांतियों से बचें

गृह मंत्री ने यह भी रेखांकित किया कि मणिपुर में दिसंबर 2024 के बाद से कोई हिंसक घटना नहीं हुई है। 13 फरवरी 2025 को राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद से राज्य में स्थिति नियंत्रण में है। उन्होंने अपील की कि इस संवेदनशील मुद्दे पर कोई राजनीतिक भ्रांति न फैलाई जाए।

पृष्ठभूमि और ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य

श्री शाह ने मणिपुर के इतिहास को सामने रखते हुए बताया कि 1990 के दशक में नागा-कुकी, कुकी-पाइते और मैतेई-पंगल जैसे जातीय संघर्षों में सैकड़ों लोगों की जान गई थी और हजारों विस्थापित हुए थे। उन वर्षों में भी केंद्र सरकार ने वहां संवैधानिक ढांचा बनाए रखा और इस मुद्दे को राजनीति से ऊपर उठकर संभाला गया।

वर्तमान संकट: संवैधानिक और न्यायिक पृष्ठभूमि

उन्होंने कहा कि यह हिंसा सरकार की विफलता नहीं, बल्कि एक न्यायिक आदेश की गलत व्याख्या से उत्पन्न हुई थी, जिससे असुरक्षा की भावना पैदा हुई। सुप्रीम कोर्ट ने जल्द ही उस आदेश पर रोक लगाई और तब से स्थिति में सुधार हुआ है।

मोदी सरकार की पूर्वोत्तर में ऐतिहासिक उपलब्धियाँ

केंद्रीय गृह मंत्री ने यह भी बताया कि 2004 से 2014 के बीच पूर्वोत्तर में 11,327 हिंसक घटनाएं हुईं, जबकि 2014 के बाद मोदी सरकार के नेतृत्व में इन घटनाओं में 70% तक की गिरावट आई है। 20 से अधिक शांति समझौते किए गए हैं और 10,000 से अधिक युवाओं ने हथियार छोड़ शांति का मार्ग चुना है।

राष्ट्रपति शासन: अस्थायी, लेकिन ज़रूरी कदम

श्री अमित शाह ने स्पष्ट किया कि राष्ट्रपति शासन को स्थायी बनाना सरकार की नीति नहीं है। उन्होंने यह भी बताया कि दोनों समुदायों के नेताओं के बीच बातचीत चल रही है और जल्द ही नई दिल्ली में एक और वार्ता आयोजित की जाएगी।

भविष्य की दिशा: संवाद, समावेशन और समाधान

यह कदम मणिपुर को एक बार फिर स्थिरता की राह पर ले जाने के लिए लिया गया है। केंद्र सरकार और गृह मंत्रालय की प्राथमिकता राज्य के हर नागरिक को सुरक्षा, न्याय और विकास का भरोसा देना है।

 राष्ट्रहित में उठाया गया सशक्त कदम

मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाने का निर्णय संवैधानिक, लोकतांत्रिक और जनहित में उठाया गया एक सशक्त कदम है। यह ना केवल राज्य में स्थिरता लौटाने की दिशा में सहायक होगा, बल्कि भारत की एकता, अखंडता और समरसता को भी और सुदृढ़ करेगा।

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