देश के पहाडी राज्यो के आईएमआई फोरम द्वारा ‘जलवायु परिवर्तन’ पर नई दिल्ली मे मंथन
सी एम पपनैं
नई दिल्ली। जलवायु परिवर्तन विषय पर देश के 11 पर्वतीय राज्यो जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, असम, हिमाचल, मेघालय, त्रिपुरा, सिक्कम, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मिजोरम, मणिपुर के गठित एकीकृत पर्वत पहल (आईएमआई) फोरम द्वारा नई दिल्ली, जोरबाग स्थित पर्यावरण भवन मे दसवे सम्मेलन का आयोजन 23 व 24 मार्च को मुख्य व विशिष्ट अतिथियो केन्द्रीय रक्षा व पर्यटन राज्यमंत्री अजय भट्ट तथा केन्द्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे की प्रभावी उपस्थिति में शुभारंभ किया गया।
आयोजित सम्मेलन का श्रीगणेश मुख्य व विशिष्ट अतिथियों के साथ-साथ अन्य मंचासीनो मे प्रमुख एकीकृत पर्वत पहल (आईएमआई) फोरम अध्यक्ष पी बी राय, सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे ताप्ती ग्यालसन, प्रधान वन संरक्षक चिमकेन, डाॅ सतीश, करतथा पूर्व फोरम अध्यक्ष सुशील रमोला इत्यादि द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर व आयोजकों द्वारा सभी मंचासीनो को पसमीना ओढा कर व पुष्पगुच्छ भैट कर स्वागत अभिनंदन किया गया।
एकीकृत पर्वत पहल (आईएमआई) फोरम अध्यक्ष पी बी राय द्वारा मुख्य व विशिष्ट अतिथियो के साथ-साथ सभी मंचासीनो व 11 पर्वतीय राज्यो से ‘जलवायु परिवर्तन’ विषय पर गहन मंथन करने आए प्रबुद्ध जनो का फोरम सदस्यो व पदाधिकारियों की ओर से अभिनंदन स्वागत कर अवगत कराया गया, आयोजित सम्मेलन मे विधायक सिक्कम व मणिपुर क्रमश: वैन्युंगपा व राम मोहिता भी सभागार मे उपस्थित हैं।
आयोजन के इस अवसर पर अतिथि केन्द्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे द्वारा आयोजकों व सभागार में उपस्थित सभी प्रबुद्ध जनो का प्रभावशाली ज्वलंत विषय पर सम्मेलन आयोजित करने व उन्हे आमन्त्रित करने हेतु आभार व्यक्त कर कहा गया, उत्तराखंड केदारनाथ 2013 की त्रासदी मैंने प्रत्यक्ष देखी व भुक्ती है। उत्तराखंड की धरती को प्रणाम करता हूं। स्वतंत्रता के अमृत काल मे भारत विकास करे सभी चाहते हैं परंतु एकीकृत पर्वतीय पहल पहाडी क्षेत्रों के योगदान की नितांत जरूरत है। अनुसंधान आधारित विकास की योजना तैयार करने से यह पूर्ण होगा।
अश्विनी कुमार चौबे द्वारा व्यक्त किया गया, पूत के पांव पालने मे ही दिख जाता है। पर्वतीय क्षेत्र का विकास भारत को सम्रद्ध बनाने के लिए जरूरी है। इतने बडे भू-भाग का विकास जरूरी है। कहा गया, पूर्वोत्तर के राज्यो ने हमारी सरकार बनाई है, सरकार का ध्यान पहाडी क्षेत्रों के विकास पर है। एक्ट ईस्ट पर नीति बदल कर कार्य किया जा रहा है। पर्वतीय क्षेत्रों मे मोटे अनाज उपयुक्त होते हैं। जल भराव, जल संग्रहण नहीं हो पाता है, बदलती जलवायु मे सबसे प्रमुख पहाड हैं। पोषक अन्न यहा की भूमि मे उगाए जा सकते हैं।
व्यक्त किया गया, भारत के लोग आपदा को अवसर मे बदल सकते हैं। पहाड के छोटे किसानो की अर्थव्यवस्था अच्छी बन सकती है। पहाडो की यात्रा पर्यटन व तीर्थाटन के लिए की जाती है। देश मे 30 प्रतिशत पहाडी क्षेत्र है। भारत के अधिकतर देवालय पहाडो मे वास करते हैं। पर्वतो को देखने की क्षमता को कम समझा जाता है। पहाडो मे कचरे की व्यवस्था ठीक की गई है। आयोजित सम्मेलन मे दो दिन की पहल सार्थक रूप से चले कामना करता हूं।
आयोजित सम्मेलन मुख्य अतिथि केन्द्रीय रक्षा व पर्यटन राज्यमंत्री अजय भट्ट द्वारा बीज भाषण में व्यक्त किया गया, ताप्ती ग्यालसन की अध्यक्षता, चिमकेन प्रधान वन संरक्षक, पर्वतीय क्षेत्र से जुडे प्रबुद्ध जन व पत्रकारों के मध्य
आयोजित हो रहे सम्मेलन का विषय बहुत सार्थक व उपयुक्त है। देश के सभी पर्वतीय क्षेत्र एक जैसे हैं। सभी पर्वतीय राज्यो मे प्राकृतिक आपदा लिखी हुई है। पर्वतीय क्षेत्र भूकंप के जोंन 4-5 मे आते हैं। हम पर्वतवासी ज्वाला मुखी मे बैठे हैं। वरुणाव्रत पर्वत मे पत्थर गिरते रहते थे। कुदरत का करिश्मा था। अटल जी ने प्रधानमंत्री पद पर रहते 250 करोड़ रुपया उत्तरकाशी आपदा के लिए दिए थे। भगत सिंह कोश्यारी जी ने भी पद पर रहते एक बडी राशि आपदा के लिए दी थी। अश्वनी चौबे जी 2013 त्रासदी मे बच कर आए थे।
मुख्य अतिथि अजय भट्ट द्वारा व्यक्त किया गया, जब वे उत्तराखंड स्वास्थ विभाग देख रहे थे, राज्य में पहली बार स्वास्थ व आपदा विभाग खोला था। हिमाचल, जम्मू कश्मीर, उत्तराखंड, नार्थ ईस्ट सभी जगह की यही स्थिति है। यह समस्या है पहाडो की नियति मे। ऐसे मे पर्यटन को बंद नहीं किया जा सकता। कोरोना महामारी ने भी दहशत मे डाला, हमे हिलाया।
व्यक्त किया गया, प्रकृति में बहुतसी अचंभित करने वाली अद्भुत चीजे हैं। हर राज्य की कुछ न कुछ किसी चीज विशेष मे पहचान है। पर्यटन को हर राज्य नहीं उभार पाया है। हम इसे उभारने मे लगे हैं। पर्यावरण को बचाने के साथ-साथ अपनी चीजो को उभारने व पर्यटन को बढ़ाने के काम मे हम कार्यरत हैं। बार्डर टुरिज्म, हार्टीकल्चर टुरिज्म पर कार्य हो रहा है। मैदानी क्षेत्र के पर्यटन वृद्धि पर भी कार्य हो रहा है। कठिनता से कार्य करना पड़ रहा है। जो कार्य हो रहा है, नीति बना कर। सबसे उंची सड़क व ऊँचा रेल पुल भारत में है। सुरंग हम खोद रहे हैं। सात करोड़ रुपया सुरंग रास्तो से यात्रा करने से बच रहा है। नार्थ ईस्ट का विकास किया जा रहा है, जिसमे पर्यटन तो होगा ही इन पहाडी राज्यो की आर्थिक स्थिति भी सुधरेगी। इस सबसे राष्ट्र को ताकत मिलेगी। बार्डर इलाको के लिए बनाई जा रही नीतियों से पलायन भी नहीं होगा।
रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट द्वारा व्यक्त किया गया, हम अपनी सुरक्षा करना जानते हैं। आज हमारी बिटिया पायलट है। हर चीज पर्यटन से जुडी हुई है । कैलास मानसरोवर की यात्रा छोटी हो गई है। पर्यटन, सुरक्षा बार्डर टुरिज्म के बावत जनमानस को बता रहे हैं। सीमांत क्षेत्रों मे लोग रहैंगे, टुरिज्म की कोई कमी नहीं है। सब लोग निष्ठा से कार्य कर रहे हैं। आक्सीजन की कमी उचाई वाले क्षेत्रों मे कही-कही है। आप जो काम कर रहे हैं, सबको इकठ्ठा कर, विद्वानों को इकठ्ठा कर नीति नियोजन कर रहे हैं। पहाडी क्षेत्रों के लोग कहा नहीं हैं, सर्वव्यापी हैं। विकास तेज गति से हो रहा है, देखने की जरूरत है।
अजय भट्ट द्वारा व्यक्त किया गया, कई पहाडी राज्यो के पर्यटन को देखा, समस्याये देखी। पर्यटन व एक दूसरे की संस्कृति को देखने हम उत्सुकवश एक राज्य से दूसरे राज्य में जाते हैं। आपदा मे घबडाने की जरूरत नहीं है, उस पर अंकुश लगाने का प्रयास सरकार कर रही है। धीरे-धीरे सब पर वार्ता होगी, रोजगार कैसे बढाऐ? देश की सीमाओ को कैसे सुरक्षित रखे? सभी समस्याओं के निदान पर सोच समझ कर नीति नियोजन किया जा रहा है। फोरम अच्छा कार्य कर रहा है।
देश के सभी पर्वतीय राज्यो की ज्वलंत समस्याओं व उक्त राज्यो के उत्थान हेतु गठित एकीकृत पर्वत पहल (आईएमआई) फोरम द्वारा प्रतिवर्ष किसी न किसी पर्वतीय राज्य में पहाडी राज्यो की ज्वलंत समस्या पर प्रभावशाली सम्मेलन का आयोजन किया जाता रहा है। गठित फोरम द्वारा पहला सम्मेलन 2011 उत्तराखंड के नैनीताल में आयोजित किया गया था। नई दिल्ली मे 23-24 मार्च को आयोजित यह दसवां सम्मेलन है।