तेजी से बढ़ती जनसंख्या और जनसांख्यिकीय बदलावों से उत्पन्न चुनौतियों पर विचार और सिफारिशें देने के लिये बनेगी उच्चाधिकार प्राप्त समिति – बजट में की गई घोषणा
महाबीर सिंह— वरिष्ठ संवाददाता –
दिल्ली।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल के आखिरी बजट (अंतरिम बजट) में 2047 तक विकसित भारत बनाने की दिशा में कुछ महत्वपूर्ण घोषणायें की हैं। इनमें एक घोषणा यह भी है कि देश की तेजी से बढ़ती जनसंख्या और उसमें हो रहे जनसांख्यिकीय बदलावों से उत्पन्न चुनौतियों पर विचार और उसके समाधान को सिफारिशें देने के लिये उच्चाधिकार प्राप्त समिति गठित की जायेगी।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक फरवरी को लोकसभा में 2024-25 का अंतरिम बजट पेश किया। इस बजट में मोदी सरकार की पिछले 10 साल की उपलब्धियों को गिनाने के साथ ही आर्थिक वृद्धि की गति बढ़ाने के लिये ढांचागत सुविधाओं में पूंजीगत निवेश बढ़ाने की घोषणा की गईं हैं। इनमें एक महत्वपूर्ण घोषणा यह भी है कि देश में तेजी से बढ़ती जनसंख्या और उसमें हो रहे जनसांख्यिकीय बदलावों से उत्पन्न चुनौतियों पर विस्तारपूर्वक विचार विमर्श करने और इन चुनौतियों का समाधान करने की दिशा में सिफारिशें देने के लिये उच्चाधिकार प्राप्त समिति गठित की जायेगी।
उल्लेखनीय है कि भारत की आबादी तेजी से बढ़ रही है और माना जा रहा है कि यह चीन को पीछे छोड़ते हुये दुनिया में सबसे बड़ी जनसंख्या वाला देश बन गया है। हालांकि, आधिकारिक रूप से इस संबंध में पूरे तथ्य सामने नहीं आये हैं। देश में युवाओं की संख्या सबसे अधिक है। अगले कुछ वर्षों में जब ये सभी युवा वरिष्ठ नागरिक बन जायेंगे तब देश की जनसंख्या का स्वरूप क्या होगा, उसे भी समझना होगा। वर्ष 2011 के बाद 2021 में जो जनगणना होनी थी कोविड-19 और कुछ अन्य कारणों से यह नहीं हो पाई। संभवतः नई सरकार के कार्यकाल में यह काम होगा।
वित्त मंत्री ने एक अन्य घोषणा में मोदी सरकार के 10 साल की आर्थिक स्थिति और उससे पहले के दस साल की स्थिति पर श्वेत पत्र लाने की बात कही। उन्होंने कहा कि 2014 में जब मोदी सरकार ने सत्ता संभाली तब उस पर कदम दर कदम अर्थव्यवस्था में सुधार लाने और प्रशासन तंत्र को पटरी पर लाने की बड़ी जिम्मेदारी थी जिसे सरकार ने ‘राष्ट्र प्रथम’ के मजबूत विश्वास के साथ सफलतापूर्वक पूरा किया। उन्होंने आश्वस्त किया कि उन सालों के संकट से पार पा लिया गया और अर्थव्यवस्था को चैतरफा सतत् उच्च आर्थिक वृद्धि के रास्ते पर ला दिया गया। वित्त मंत्री ने कहा कि ‘‘2014 से पहले हम कहां थे और अब हम कहा हैं’’ पिछले उन वर्षों के कुप्रबंधन से सबक सीखने के उद्देश्य से श्वेत पत्र लाने की घोषणा की। दो दिन पहले ही यह श्वेत पत्र लोकसभा में पेश कर भी दिया गया।
श्वेत पत्र में 2004 से 2014 तक की अवधि में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सरकार के दस साल के कार्यकाल के आर्थिक हालात और 2014 से 2024 तक वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यकाल में अर्थव्यवस्था की स्थिति का तुलनात्मक विश्लेषण किया गया है। कोरोना महामारी के दौरान जब पूरी दुनिया में आर्थिक गतिविधियां थम सी गईं थी। माल का आयात- निर्यात मुश्किल हो गया था। कई उद्योगों में मशीनें थम गई तब मोदी सरकार ने किस प्रकार अर्थव्यवस्था को संभाला यह गौर करने वाली बात है। आज भी जब पूरी दुनिया सुस्ती और मंदी से उबरने के पुरजोर प्रयास में लगी है, भारतीय अर्थव्यवस्था सात प्रतिशत अथवा उससे अधिक गति से बढ़ रही है। जब पूरी दुनिया में महंगाई दर 10 प्रतिशत से उपर चल रही थी तब भारत में यह आंकड़ा आठ प्रतिशत से नीचे रहा और दिसंबर 2023 में यह 5.7 प्रतिशत के आसपास है।
वित्त मंत्री ने इस बजट में व्यक्तिगत अथवा कंपनी की कर दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। प्रत्यक्ष कर वहीं रहेंगे जो हैं। इसमें बताया गया है कि पिछले 10 साल में प्रत्यक्ष कर संग्रह तीन गुणा और रिटर्न भरने वालों की संख्या 2.4 गुणा बढ़ी है। व्यक्तिगत आयकर दाताओं के लिये एक जो घोषणा की गई है वह यह है कि 2009- 10 तक यदि आपकी 25,000 रूप्ये तक की कोई कर देनदारी बकाया है तो उसे समाप्त कर दिया जायेगा। वहीं 2010-11 से लेकर 2014- 15 तक यदि 10,000 रूप्ये तक की कर देनदारी बाकी है तो उसे भी अब नहीं मांगा जायेगा, उस मांग को वापस ले लिया जायेगा। इससे करीब एक करोड़ लोगों को फायदा पहुंचेगा। अप्रत्यक्ष करों के दर में भी कोई बदलाव नहीं किया गया। जीएसटी व्यवस्था की प्रशंसा की गई है। जीएसटी कर आधार दोगुना हुआ है। 94 प्रतिशत उद्योग नेताओं ने जीएसटी व्यवस्था में जाने को व्यापक तौर पर सकारात्मक बताया। जीएसटी से व्यापार और उद्योग पर अनुपालन बोझ कम हुआ है।
अंतरिम बजट में कहा गया है कि वर्ष 2023-24 के दौरान कुल व्यय 45 लाख करोड़ रूपये बजट अनुमान के मुकाबले 44.90 लाख करोड़ रूप्ये रहने का संशोधित अनुमान है जबकि कुल प्राप्तियां (उधार को छोड़कर) 27.2 लाख करो़ड रूप्ये के बजट अनुमान के मुकाबले बढ़कर 27.56 लाख करोड़ रूप्ये तक पहुंचने का नया अनुमान है। सरकार की कुल राजस्व प्राप्ति बजट अनुमान के मुकाबले बढ़कर 30.03 लाख करोड़ रूप्ये तक पहुंच जायेगी। इस प्रकार राजकोषीय घाटा जो कि बजट में जीडीपी का 5.9 प्रतिशत रहने का अनुमान था वह कम होकर 5.8 प्रतिशत रहने का नया अनुमान सामने आया है। नये वित्त वर्ष यानी 2024-25 में सरकार ने कुल 47.66 लाख करोड़ रूपये खर्च का अनुमान व्यक्त किया है जिसमें उधार से मिलने वाली राशि को छोड़कर कुल 30.80 लाख करोड़ रूपये प्राप्ति का अनुमान है जिसमें कर प्राप्तियां 26.02 लाख करोड़ रूपये रहने का अनुमान है। राजकोषीय घाटा जीडीपी का 5.1 प्रतिशत रह जाने का अनुमान है।