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लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के कर कमलों सम्पन्न हुआ ‘पर्वत शिरोमणि भगत सिंह कोश्यारी’ पुस्तक का भव्य विमोचन

अमर चंद/सी एम पपनै

 

नई दिल्ली। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के समवेत सभागार में 9 मार्च को वरिष्ठ पत्रकार मदन मोहन सती द्वारा रचित पुस्तक ‘पर्वत शिरोमणि भगत सिंह कोश्यारी’ का भव्य विमोचन मुख्य अतिथि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला तथा विशिष्ट अतिथि दिल्ली विधानसभा उपाध्यक्ष मोहन सिंह बिष्ट तथा केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय कुलपति, प्रो.श्रीनिवास वरखेड़ी की प्रभावी उपस्थिति तथा उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री एवं महाराष्ट्र व गोवा के पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के सानिध्य, प्रो.के अनिल कुमार विभागाध्यक्ष जनसंपदा आईजीएनसीए तथा कार्यक्रम अध्यक्षता कर रहे आईजीएनसीए सदस्य सचिव सच्चिदानंद जोशी के कर कमलों किया गया।

पुस्तक विमोचन का श्री गणेश मुख्य व विशिष्ट अतिथियों के कर कमलों दीप प्रज्वलित कर तथा पुस्तक विमोचन कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे आईजीएनसीए सदस्य सचिव सच्चिदानंद जोशी के कर कमलों मुख्य व विशिष्ट अतिथियों को अंगवस्त्र ओढ़ा कर तथा पवित्र तुलसी पौंध भेंट कर किया गया। पुस्तक रचयिता मदन मोहन सती को अंगवस्त्र ओम बिड़ला द्वारा ओढ़ा कर अभिनन्दन किया गया।

प्रो.के अनिल कुमार विभागाध्यक्ष जनसंपदा आईजीएनसीए द्वारा मंचासीन सभी अतिथियों तथा सभागार में उपस्थित सभी प्रबुद्ध जनों का स्वागत अभिनन्दन कर इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के उद्देश्यों व कार्यों के बाबत अवगत कराया गया तथा मदन मोहन सती द्वारा रचित पुस्तक विमोचन के आयोजन पर हर्ष व्यक्त कर आईजीएनसीए द्वारा शुभकामनाएं प्रेषित की गई।

पुस्तक विमोचन के इस भव्य अवसर पर पुस्तक रचयिता मदन मोहन सती द्वारा सभी मंचासीनों की प्रभावी उपस्थिति के प्रति आभार व्यक्त किया गया तथा सम्मानित व जन समाज के प्रेरक रहे भगत सिंह कोश्यारी की जीवन यात्रा पर पुस्तक रचने के मुख्य कारकों पर प्रकाश डाला गया।

 

पुस्तक विमोचन के इस अवसर पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला द्वारा भगत सिंह कोश्यारी द्वारा उत्तराखंड के विकास, वनों के संरक्षण और प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा के लिए किए गए कार्यों की सराहना की गई। ओम बिरला ने कहा, कोश्यारी जी पत्रकार भी रहे, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री भी रहे, गोवा और महाराष्ट्र के राज्यपाल के रूप में भी काम किया, अहंकार उनमें कभी नहीं पनपा न ही सत्ता के प्रति लगाव रहा। अपना पूरा जीवन राष्ट्र की सेवा को समर्पित किया हुआ है। गरीबों और हाशिए पर पड़े लोगों के जीवन को ऊपर उठाने के लिए अथक प्रयास किए हैं। कोश्यारी जी पद पर रहे हों या नहीं, हमेशा दृढ़ रहे, सिद्धांतों और नियमों का सदैव पालन किया।

लोकसभा अध्यक्ष द्वारा कहा गया, कोश्यारी जी का जीवन संघर्षशील रहा है। देश और समाज के संवर्धन हेतु जीवन जिया है। यह योगदान न केवल वर्तमान पीढ़ी के लिए बल्कि भविष्य की पीढ़ियों के लिए भी प्रेरणादाई है। कोश्यारी जी एक असाधारण व्यक्ति हैं जो एक साधारण और सरल जीवन जीकर एक मिसाल कायम कर रहे हैं।

पुस्तक विमोचन के इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि दिल्ली विधानसभा उपाध्यक्ष मोहन सिंह बिष्ट, केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय कुलपति, प्रो.श्रीनिवास वरखेड़ी तथा कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे आईजीएनसीए सदस्य सचिव सच्चिदानंद जोशी द्वारा कहा गया, वरिष्ठ समाज धर्मी एवं राजनेता भगत सिंह कोश्यारी सकारात्मक सोच रखने वाली एक विभूति हैं। अपने दीर्घ सार्वजनिक जीवन में कोश्यारी जी ने प्रामाणिकता, सत्यनिष्ठा और राष्ट्रभाव से अपने सभी दायित्वों का सफल निर्वहन किया है। कोश्यारी जी के जीवन पर आधारित यह पुस्तक उनके व्यक्तित्व और कृतित्व की परिचायक है। साधारण पृष्ठभूमि से आने वाले कोश्यारी जी ने अपने सामाजिक, राजनीतिक जीवन को जनकल्याण का प्रबल माध्यम बनाया, अनेक प्रतिष्ठित पदों पर रह कर भी सादगी के साथ जीवन यापन कर रहे हैं जो प्रेरणादाई है।

 

वक्ताओं द्वारा कहा गया, निश्चय ही मदन मोहन सती द्वारा लिखित इस पुस्तक के माध्यम से पहाड़ और पर्यावरण की सेवा भावना, राष्ट्र और समाज के लिए उनका समर्पण आने वाली पीढ़ी को संस्कारित करेगा। सभी वक्ताओं द्वारा पुस्तक रचयिता मदन मोहन सती के कार्य की सराहना की गई। बधाई दी गई।

 

पुस्तक विमोचन तथा लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला के आगमन से पूर्व खचाखच भरे सभागार में उपस्थित उत्तराखंड विधायक किशोर उपाध्याय तथा सुरेश गड़िया, उत्तराखंड संस्कृति विभाग से जुड़ी मधु भट्ट, डॉ. गोबिंद सिंह, उद्यमी नरेंद्र लडवाल, डॉ. राजेश्वरी कापड़ी, पत्रकार मदन जियाड़ा तथा रंगकर्मी स्वर्ण रावत द्वारा सफल राजनेता, समर्पित समाजधर्मी और राष्ट्रनिष्ठ भगत सिंह कोश्यारी की प्रेरक जीवन यात्रा तथा उनके व्यक्तित्व व कृतित्व पर विचार व्यक्त किए गए।

 

वक्ताओं द्वारा कहा गया, उत्तराखंड में भगत सिंह कोश्यारी को कौन नहीं जानता, वो जमीन से जुड़े ऐसे नेता है, जिनकी सादगी की हमेशा चर्चा होती है। राज्य की राजनीति में उनका अलग ही योगदान रहा है। उनका यहां के परिवेश, संस्कृति को हमेशा प्यार रहा है। उनके चुटीले भाषण में आलोचना से ज़्यादा विकास की बात होती है। साधारण पृष्ठभूमि से आने वाले कोश्यारी ने अपने सामाजिक, राजनीतिक जीवन को जनकल्याण का प्रबल माध्यम बनाया।

 

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