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ग्रामीण क्षेत्रों में सभी को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने की आवश्यकता है:—– धर्मेन्द्र प्रधान

 

पंचायती राज मंत्रालय, भारत सरकार, पंचायती राज एवं पेयजल विभाग, ओडिशा सरकार और राज्य ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज संस्थान (एसआईआरडीपीआर), ओडिशा के सहयोग से 17-19 फरवरी, 2023 के दौरान भुवनेश्वर, ओडिशा में थीम 3: बाल हितैषी ग्राम और थीम 9: महिला हितैषी ग्राम पर विषयगत दृष्टिकोण अपनाने के माध्यम से ग्राम पंचायतों में सतत विकास लक्ष्यों के स्थानीयकरण पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन कर रहा है।

केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि ओडिशा भगवान जगन्नाथ की पवित्र भूमि है और प्राचीन काल से महिला नेतृत्व का सम्मान करने और लोकतंत्र का पालन करने के मामले में एक गौरवशाली राज्य रहा है। अगर जमीनी स्तर पर पंचायत नेतृत्व विशेषकर महिला नेतृत्व नहीं होता तो कोविड-19 को नियंत्रित करना संभव नहीं होता।

 

 

धर्मेंद्र प्रधान ने पंचायत प्रतिनिधियों की विशाल सभा को संबोधित करते हुए कहा कि लोकतंत्र और पंचायती राज व्यवस्था ओडिशा में प्राचीन काल से लेकर समकालीन युग तक मौजूद है, और उड़िया संस्कृति तथा परंपरा समाज, राज्य और राष्ट्र के समावेशी और सर्वांगीण विकास में महिला सशक्तिकरण, महिला भागीदारी और महिला नेतृत्व के महत्व को बढ़ावा देती है। उन्होंने देश में विकास की उल्लेखनीय यात्रा में महिलाओं के अविश्वसनीय योगदान की सराहना की। केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने ग्रामीण क्षेत्रों में सभी को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने की आवश्यकता पर बल दिया।

 

इस अवसर पर बोलते हुए, केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने ग्राम पंचायतों के प्रमुखों से ग्रामीण जनता की आवाज को उचित महत्व देते हुए सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए योजना तैयार करने का आग्रह किया।

 

केंद्रीय पंचायती राज राज्य मंत्री, कपिल मोरेश्वर पाटिल ने ग्राम पंचायतों में सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सभी हितधारकों द्वारा ठोस प्रयास करने का आह्वान किया। उन्होंने गांवों को विकसित करने के हमारे प्रधानमंत्री के सपने को पूरा करने के लिए एकजुट होकर काम करने पर जोर दिया, जिसकी परिकल्पना राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने की थी। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस तरह की कार्यशालाओं का आयोजन एक साझा लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में प्रयास करते हुए हमारे सामने आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए हितधारकों के बीच चर्चा के माध्यम से तरीके खोजने के उद्देश्य से किया जाता है।

 

प्रत्येक ग्राम पंचायत के समग्र विकास की जिम्मेदारी लेने के लिए पंचायतों के प्रमुखों का आह्वान करते हुए, कपिल मोरेश्वर पाटिल ने कहा कि उन्हें उच्च लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए और सर्वोत्तम संभव तरीकों से उन्हें प्राप्त करने की इच्छा रखनी चाहिए। ग्राम पंचायतों के पास उपलब्ध संसाधनों और धन के उचित उपयोग के महत्व पर जोर देते हुए, कपिल पाटिल ने एसडीजी के स्थानीयकरण और विषयगत क्षेत्रों में इसकी समयबद्ध प्राप्ति का आह्वान किया।

 

तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला के दौरान साझा की जा रही सर्वोत्तम पहलों से सीखने के लिए विभिन्न राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिभागियों से आग्रह करते हुए, केंद्रीय पंचायती राज राज्य मंत्री ने अपने संबंधित राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों में उन्हें लागू करने की आवश्यकता पर जोर दिया।

 

केंद्रीय पंचायती राज राज्य मंत्री कपिल मोरेश्वर पाटिल ने कहा कि पीआरआई के चुने हुए प्रतिनिधि जमीनी स्तर पर एसडीजी के लक्ष्यों को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं क्योंकि वे सरकार की योजनाओं और कार्यक्रमों के वास्तविक निष्पादक होते हैं। उन्होंने कहा कि देश का विकास मुख्य रूप से गांवों के सशक्तिकरण पर निर्भर करता है।

 

 

ओडिशा सरकार के पंचायती राज एवं पेयजल, वन और पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन और सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री प्रदीप कुमार अमत ने कहा कि महान बीजू पटनायक ने पंचायती राज संस्थानों और शहरी स्थानीय निकायों में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित करके ओडिशा में महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए एक ऐतिहासिक कदम उठाया था। इसके अलावा, मुख्यमंत्री श्री नवीन पटनायक ने आरक्षण को बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया, जिसने राज्य में महिलाओं के सशक्तिकरण में क्रांति ला दी है। इसके अलावा, मिशन शक्ति के माध्यम से राज्य की लाखों महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाया जा रहा है, जो देश के अन्य राज्यों के लिए एक मिसाल कायम कर रही है।

 

इस अवसर पर बोलते हुए, श्रीमती बसंती हेम्ब्राम, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) महिला एवं बाल विकास और मिशन शक्ति, ओडिशा सरकार ने कहा कि पीआरआई प्रतिनिधि, सरकारी अधिकारी और आम जनता जमीनी स्तर पर एलएसडीजी के तीन प्रमुख हितधारक हैं और 2030 तक एलएसडीजी के सफल कार्यान्वयन के लिए उनके बीच पारस्परिक सहयोग और समन्वय की अत्यधिक आवश्यकता है।

 

ओडिशा सरकार के मुख्य सचिव सुरेश चंद्र महापात्रा ने कहा कि ओडिशा महिला सशक्तिकरण और विकास में देश के अग्रणी राज्यों में से एक है। ‘बाल और महिला हितैषी पंचायतों’ के विकास के लिए कोष बाधा नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि यह सकारात्मक प्रवृत्ति को दर्शाता है, जबकि ओडिशा में पंचायतों में महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण है, लेकिन राज्य में कुल सरपंचों में महिलाएं 56 प्रतिशत हैं।

 

शुरुआत में, सुशील कुमार लोहानी, प्रमुख सचिव, पंचायती राज और पेयजल विभाग, ओडिशा सरकार ने इस राष्ट्रीय कार्यशाला में देश भर के गणमान्य व्यक्तियों, प्रतिनिधियों, पीआरआई प्रतिनिधियों और क्षेत्र विशेषज्ञों का स्वागत किया और ग्राम पंचायतों में एलएसडीजी के महत्व के बारे में विस्तार से बताया।

 

डॉ. चंद्र शेखर कुमार, अपर सचिव, पंचायती राज मंत्रालय, भारत सरकार ने 2030 तक एसडीजी को स्थानीय बनाने और हासिल करने के लिए केंद्र और राज्यों के बीच उचित समन्वय और तालमेल के महत्व पर जोर दिया।

 

सुश्री सिंथिया मैकैफ्री प्रतिनिधि, यूनिसेफ, भारत देश कार्यालय ने महिला सशक्तिकरण और बाल विकास पर पर्याप्त कदम उठाने के लिए केंद्र और राज्य सरकार की प्रशंसा की।

 

श्री प्रधान और श्री कपिल पाटिल ने थीम 3: बाल हितैषी ग्राम और थीम 9: महिला हितैषी ग्राम पर एडॉप्टिंग थमैटिक एप्रोच के माध्यम से पंचायतों में सतत विकास लक्ष्यों के स्थानीयकरण (एलएसडीजी) पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का उद्घाटन किया।

 

राष्ट्रीय कार्यशाला में भारत सरकार और राज्य सरकारों के कई वरिष्ठ अधिकारी, संयुक्त राष्ट्र/अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। राष्ट्रीय कार्यशाला में देश भर और ओडिशा राज्य के पंचायती राज संस्थानों के लगभग 1500 निर्वाचित प्रतिनिधि और पदाधिकारी भाग ले रहे हैं। कार्यशाला में भाग लेने के लिए पंचायतों को आमंत्रित किया गया है जिन्होंने विषयगत क्षेत्रों- महिला हितैषी ग्राम और बाल हितैषी ग्राम में पहल की है। प्रतिभागियों में पंचायतों के निर्वाचित प्रतिनिधि और पदाधिकारी, प्रमुख हितधारक, क्षेत्र विशेषज्ञ और एजेंसियां ​​​​शामिल हैं जो महिलाओं और बच्चों के सशक्तिकरण और सुरक्षा के लिए अनुकरणीय कार्य कर रही हैं और उनका संपूर्ण विकास सुनिश्चित कर रही हैं। राज्य के पंचायती राज और ग्रामीण विकास विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग और अन्य संबंधित विभागों, एनआईआरडीपीआर, एसआईआरडीपीआर, पंचायती राज प्रशिक्षण संस्थानों, संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों, एनजीओ, एसएचजी के सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधि भी राष्ट्रीय कार्यशाला में भाग ले रहे हैं।

 

‘पंचायतों में एसडीजी स्थानीयकरण पर ओडिशा राज्य रोडमैप’ – ओडिशा राज्य द्वारा एलएसडीजी पर राज्य रोडमैप राष्ट्रीय कार्यशाला के उद्घाटन सत्र के दौरान जारी किया गया। ओडिशा में पीआरआई के माध्यम से एलएसडीजी के लिए रोडमैप जारी करने के अलावा, थीम 3 और थीम 9 (बच्चों और महिलाओं के हितैषी पंचायत) पर विजन दस्तावेज, पंचायती राज संस्थाओं के माध्यम से अवसरों का निर्माण करने वाले ग्रामीण समुदायों को सशक्त बनाने पर कॉफी टेबल बुक और एलएसडीजी पत्रक भी डिजिटल के साथ-साथ भौतिक रूप में गणमान्य लोगों के हाथों जारी किए गए। इस अवसर पर यूनिसेफ इंडिया द्वारा बाल हितैषी स्थानीय शासन पर तैयार की गई अच्छी पहलों का संग्रह भी जारी किया गया।

 

उद्घाटन सत्र के बाद आयोजन के पहले दिन दो पैनल चर्चा भी हुई। “बाल हितैषी ग्राम : बच्चों के लिए सुरक्षित और संरक्षित पर्यावरण और सभी आवश्यक सामाजिक सेवाओं तक समान पहुंच” पर पहली पैनल चर्चा श्रीमती शुभा सरमा, आयुक्त-सह-सचिव, महिला एवं बाल विकास विभाग, ओडिशा सरकार की अध्यक्षता में हुई। महिला हितैषी ग्राम विषय पर द्वितीय पैनल चर्चा आयोजित की गई, जिसकी अध्यक्षता श्रीमती गुहा पूनम तापस कुमार, सीईओ, ओआरएमएएस, पीआर एंड डीडब्ल्यू, ओडिशा सरकार ने की।

 

अन्य लोगों के अलावा, संबंधित मंत्रालयों/विभागों, गैर-सरकारी संगठनों, क्षेत्र विशेषज्ञों और ग्राम पंचायतों के विशेषज्ञ भी संबंधित पैनल चर्चाओं में शामिल हुए। विभिन्न राज्यों और क्षेत्र विशेषज्ञों द्वारा थीम यानी एलएसडीजी की बाल और महिला हितैषी पंचायत से संबंधित कई प्रेरक लघु और वृत्तचित्र फिल्में भी प्रदर्शित की गईं।

 

पंचायती राज संस्थाओं के निर्वाचित प्रतिनिधियों और पदाधिकारियों की ऑनलाइन भागीदारी को बढ़ाने के लिए पंचायती राज मंत्रालय के सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर राष्ट्रीय कार्यशाला की लाइव वेब-स्ट्रीमिंग उपलब्ध कराई गई है।

 

 

संयुक्त राष्ट्र द्वारा अपनाए गए सतत विकास लक्ष्य 1 जनवरी, 2016 से प्रभावी हुए। पंचायत राज मंत्रालय, भारत सरकार ने एसडीजी के लिए विषयगत दृष्टिकोण अपनाया है – यह ‘वैश्विक योजना’ प्राप्त करने के लिए ‘स्थानीय कार्रवाई’ सुनिश्चित करने का दृष्टिकोण है। दृष्टिकोण का उद्देश्य पीआरआई, विशेष रूप से ग्राम पंचायतों के माध्यम से 17 ‘लक्ष्यों’ को ‘9 थीम’ में जोड़कर ग्रामीण क्षेत्रों में एसडीजी का स्थानीयकरण करना है। उपयुक्त नीतिगत निर्णयों और संशोधनों के परिणामस्वरूप राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान (आरजीएसए) और ग्राम पंचायत विकास योजना (जीपीडीपी) के दिशानिर्देशों में सुधार हुआ है, जो ग्राम पंचायतों में सतत विकास लक्ष्यों के स्थानीयकरण (एलएसडीजी) की प्रक्रिया को सुगम बनाता है।

 

पंचायतों में सतत विकास लक्ष्यों के स्थानीयकरण के एजेंडे के अनुसरण में, पंचायती राज मंत्रालय, भारत सरकार पंचायती राज के राज्य/केंद्र शासित प्रदेश के विभागों, ग्रामीण विकास और पंचायती राज के राज्य संस्थानों (एसआईआरडीएंडपीआर), संबंधित मंत्रालयों/विभागों और अन्य हितधारकों के साथ निकट सहयोग से विभिन्न स्थानों पर पंचायती राज संस्थानों (पीआरआई) द्वारा अपनाए जाने वाले नौ विषयों पर आधारित सतत विकास लक्ष्यों (एलएसडीजी) के स्थानीयकरण पर विषयगत कार्यशालाओं/सम्मेलनों की एक श्रृंखला आयोजित कर रही है। एलएसडीजी का प्रभावी और प्रभावशाली कार्यान्वयन तभी हो सकता है जब तीन स्तरीय पंचायती राज संस्थानों (पीआरआई) द्वारा अवधारणा और इसकी प्रक्रिया को ठीक से समझा, आत्मसात और कार्यान्वित किया जाता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी पीछे न छूटे।

 

एलएसडीजी थीम 3 – बाल हितैषी ग्राम का विजन यह सुनिश्चित करना है कि सभी बच्चे अस्तित्व, विकास, भागीदारी और सुरक्षा के अपने अधिकारों का आनंद लेने में सक्षम हों। ग्राम पंचायतों को सभी बच्चों को सुरक्षित, निरापद और स्वच्छ वातावरण प्रदान करने की आवश्यकता है, जिसमें प्रत्येक बच्चे की भलाई के लिए स्वास्थ्य, शिक्षा, पोषण और संरक्षित वातावरण के संदर्भ में बुनियादी आवश्यकताओं को सुनिश्चित करके प्रत्येक बच्चा अपनी पूरी क्षमता तक विकसित हो सके।

 

एलएसडीजी थीम 9 – महिला हितैषी ग्राम का विजन लैंगिक समानता हासिल करना, समान अवसर, समान अधिकार, सशक्तिकरण के अवसर और महिलाओं की भलाई के लिए सुरक्षित और बेहतर वातावरण प्रदान करना है। इसके अलावा स्वास्थ्य, शिक्षा, पोषण की उचित सुविधाएं। थीम का उद्देश्य अपराधों को कम करना, सुरक्षित सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों को सुनिश्चित करना, सतत विकास के लिए निर्णय लेने की प्रक्रिया में महिलाओं की भागीदारी में सुधार करना और जमीनी स्तर पर महिलाओं के लिए समान काम के लिए समान वेतन सुनिश्चित करना आदि है।

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