खच्चरों से ढुलान कर पिला रहे रामलीला के दर्शको एवं मेहमानों को पानी
जगमोहन डांगी
पौड़ी के कल्जीखाल ब्लॉक के ग्राम धारी में पिछले चार सालों से सरकारी नलों में पानी नही आ रहा है। भले ही सरकार पहाड़ी क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाओं मुहैया कराने के दावे कर रही हो लेकिन हकीकत यह है। की राज्य गठन के दो दशक के समय बीत जाने के बाद भी धारी की महिला बच्चो को आज भी ढेर रात तक प्राकृतिक स्रोतों व हैंडपम्प पर का सहारा लेना पड़ रहा है। इन दिनों धारी गांव रामलीला का आयोजन हो रहा है। देश विदेश से प्रवासी आ रखे और धारी गांव में रामलीला में भारी संख्या में दर्शक आते है। जिनको पानी मुहैया करवाने के लिए खच्चरों से ढुलान किया जा रहा हैं। ग्राम धारी, पीपली, ओलना, के लिए वर्ष 1977 में पेयजल योजना बनाई गई थी ग्रामीणों को उम्मीद थी की पेयजल आपूर्ति हमेशा के लिए समाप्त हो जाएगी जहां ओलना, ग्रामीणों को एक दशक से इस योजना का लाभ नही मिल रहा हैं । वही धारी ग्रामीणों को भी पिछले चार सालों से इस पेयजल योजना लाभ नियमित नही मिल रहा ग्राम प्रधान मदन सिंह रावत समाजसेवी जसबीर रावत, पौड़ी डिग्री कालेज की छात्रा कुमारी तनूजा, कुमारी मेघा, कुमारी भारती, कुमारी राधा का कहना है की हम रोज पौड़ी कालेज जाते है । इससे पहले हमें सुबह श्याम को एक मील दूर पानी ढोना पड़ता है। हमारी कही कोई सुनवाई नही होती हमारे गांव में सभी सुविधा उपलब्ध है, सिवाय पानी के यदि करोड़ो की लागत से निर्माणधीन चिंवाडी डांडा पम्पिंग योजना शीघ्र धरातल पर उतरती है। तो हमारी गांव की सबसे बड़ी पेयजल किल्लत दूर हो जाएगी।