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दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में ललित नारायण मिश्र को भारत रत्न देने की मांग उठी

बिहार चुनाव से पहले सियासी दलों इस मांग को लेकर और हो सकते हैं मुखर

निम्मी ठाकुर, दिल्ली।

बिहार में इस साल विधानसभा चुनाव से ठीक पहले पूर्व केंद्रीय रेल मंत्री और प्रधानमंत्री के संभावित चेहरे के रूप में चर्चित रहे ललित नारायण मिश्र को भारत रत्न देने की मांग जोड़ पकड़ने लगी है। उनके 102वे बलिदान दिवस के रूप में कॉन्स्टिच्यूशन क्लब में आयोजित कार्यक्रम में यह मांग खुल कर सामने रखी गई।

इस कार्यक्रम में बिहार के अनेक हिस्सों से शामिल होने के लिए लोग आए थे। कार्यक्रम में पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री अश्वनी चौबे ने दो टूक कहा कि ललित नारायण मिश्र जैसा हस्ती भारत रत्न के लिए डिजर्व करता है और उन्हे यह सम्मान बहुत पहले मिलना चाहिए था। लेकिन कई कारणों से इसमें देर हुई, लेकिन अब समय आ गया है कि उन्हे यह सम्मान दिया जाए। विदित हो कि चौबे, मोदी सरकार में केंद्रीय राज्य मंत्री रहे हैं और बिहार में सवर्ण जाति को भाजपा का कोर वोट बैंक माना जाता रहा है। बिहार में विपक्षी महागठबंधन के लिए भी इस मांग पर चुप्पी साधना कठिन हो सकता है क्योंकि, तेजस्वी यादव अपनी छवि सवर्ण समर्थक न सही विरोधी बनाना हरगिज नहीं चाहेंगे। चूंकि कांग्रेस भी राज्य में विपक्षी खेमे में राजद के साथ है और ललित बाबू उन्ही के पार्टी के कद्दावर नेता रहे हैं इसलिए ललित बाबू को भारत रत्न देने की मांग उठाने में उसे भी दिक्कत नहीं होगी।

राजनीति के जानकारों का मानना है कि, ललित बाबू को भारत रत्न देने की मांग सियासी रूप से काफी महत्वपूर्ण पड़ाव साबित हो सकता है। वह सिर्फ पूर्व रेल मंत्री ही नहीं थे। उनकी लोकप्रियता और विजन इतना ताकतवर था कि उस समय उन्हे प्रधानमंत्री पद के भावी चेहरे के रूप में देखा जाने लगा था। उनकी सियासी धमक से उनकी पार्टी के अंदर भी उनके विरोधी पनपने लगे थे। इसी वजह से जब एक बम धमाके में घायल होने के बाद उनकी मृत्यु हुई तो इस धमाके को एक साजिश के रूप में देखा जाने लगा था। इस घटना की जांच के लिए आयोग बनाने की मांग भी लगातार होती रही थी।

कार्यक्रम में अश्वनी चौबे के अलावा भाजपा के सांसद देवेश चंद्र ठाकुर, सांसद फौजिया खान, पूर्व केंद्रीय मंत्री शाहनवाज हुसैन, सुप्रीम कोर्ट की पूर्व जस्टिस ज्ञान सुधा मिश्र आदि उपस्थित थी।

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