Amar chand दिल्ली।दिल्ली का सावन जब हरियाली, रक्षाबंधन और तीज की रौनक लेकर आता है, तो मिठाइयों की दुकानों पर भी उत्साह का मेला लग जाता है। हलवाईयों की दुकानों पर लंबी कतारें, घेवर और रबड़ी की खुशबू और मिठास से लबरेज माहौल लेकिन इस भीड़ में जो दृश्य सबसे खास होता है, वो है फतेहपुरी चौक पर मौजूद Chaina Ram Sindhi Confectioners के सामने लगे मिठाई प्रेमियों की लंबी लाइन।
चैना राम: स्वाद और विरासत का संगम
1911 में स्थापित Chaina Ram न सिर्फ पुरानी दिल्ली की पहचान है, बल्कि एक ऐसी मिठाई परंपरा है, जो स्वाद, गुणवत्ता और विश्वास का दूसरा नाम बन चुकी है। लगभग 110 सालों से अधिक पुराना यह ब्रांड आज भी सावन के महीने में घेवर लेने वालों की पहली पसंद बना हुआ है। क्यों?
शुद्ध देसी घी से तैयार: Chaina Ram का घेवर पारंपरिक तरीके से, देसी घी में धीमी आंच पर तला जाता है, जिससे उसकी परतें कुरकुरी और भीतर से नरम होती हैं।
बिना मिलावट के स्वाद: यहां आज भी घेवर में कोई कृत्रिम मिठास या संरक्षक नहीं डाले जाते — हर टुकड़ा शुद्धता की गारंटी के साथ तैयार होता है।
स्वाद का संतुलन: न ज़्यादा मीठा, न कम — घेवर का स्वाद इतना संतुलित होता है कि वह हर उम्र के लिए उपयुक्त है।
पुरानी दिल्ली के मूल निवासी व्यापारियों और परिवारों के लिए सावन में Chaina Ram से घेवर लाना केवल एक रस्म नहीं, बल्कि एक भावनात्मक परंपरा है। बहन-बेटियों को भेजे जाने वाले इस घेवर में सिर्फ मिठास नहीं, बल्कि घर का स्नेह, अपनापन और पीढ़ियों से चला आ रहा विश्वास भी जुड़ा होता है।
आज दिल्ली में सैकड़ों हलवाई और मिठाई की दुकानों ने आधुनिक रूप ले लिया है — AC शॉप्स, fancy पैकेजिंग, ऑनलाइन डिलीवरी। लेकिन इसके बावजूद Chaina Ram के घेवर को ही तवज्जो दी जाती है।
पारंपरिक शुद्धता का संरक्षण,लंबे अनुभव की गारंटी,बिना दिखावे की सादगी, जो दिल जीत ल
रक्षाबंधन और तीज पर अनिवार्य उपहार: विशेष रूप से मारवाड़ी, सिंधी और बनिया समुदाय में घेवर को बहन-बेटी को देने की परंपरा है।
सावन में भेजा जाने वाला ‘मायके का स्नेह’ — जिसमें घेवर के बिना थाली अधूरी मानी जाती है।