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उत्तराखंड लोक मंच द्वारा आयोजित ‘उत्तराखंड लोकपर्व 2019’ सम्पन्न

सी एम पपनैं
नई दिल्ली। उत्तराखण्ड की सांस्कृतिक विरासत एवम जनसरोकारों को समर्पित संस्था उत्तराखंड लोक मंच द्वारा ‘उत्तराखंड लोकपर्व 2019’ का भव्य आयोजन इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के खुले प्रांगण मे 19 व 20 अक्टूबर को आयोजित किया गया। लोकपर्व मे सैंकड़ो की तादात मे उत्तराखंडी प्रवासी बन्धुओ ने आयोजित कार्यक्रमो का आनंद लिया।भव्य सफल आयोजन के समापन पर दिल्ली सरकार के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की मौजूदगी मुख्य रही।
आयोजित उत्तराखंड लोकपर्व के मुख्य आकर्षणों मे लोक रंगमंच, उत्तराखंडी पारंपरिक आभूषण व परिधान तथा प्रतियोगिता, फिल्म प्रदर्शन, उत्तराखंडी पारम्परिक वाद्ययंत्रों का प्रदर्शन तथा लोकनृत्य व गीत, हस्तशिल्प, नुक्कड़ नाटक, बच्चों की चित्रकारी प्रतियोगिता, उत्तराखंड के जैविक खाद्यान तथा पलायन पर चर्चा कार्यक्रम मुख्य रहे।
इस अवसर पर चिकित्सा जांच व रक्तदान शिविर। कुमांऊनी, गढ़वाली, जौनसारी कवि सम्मेलन के आयोजन के साथ-साथ आयोजको द्वारा विभिन्न क्षेत्रो मे उपलब्धि प्राप्त उत्तराखंड की विभूतियो को ‘उत्तराखंड गौरव सम्मान 2019’ से नवाजा।
सम्मान से नवाजे गए प्रबुद्ध जनो मे ह्र्दय विशेषज्ञ डॉ राहुल चंदोला, एवरेस्ट विजयी पिथौरागढ़ की शीतल, सामाजिक कार्यकर्ता गंगोलीहाट के राजेंद्र सिंह बिष्ट, टीवी पत्रकार सुशील बहुगुणा, सु-प्रसिद्ध फिल्म व रंगमंच समीक्षक दिवान सिंह बजेली, कुसुम कंडवाल भट्ट, व्यवसायी गजेंद्र सिंह रावत, उच्च पुलिस अधिकारी ललित मोहन नेगी, व्यवसायी व विश्व ब्राह्मण सभा कार्यकारी अध्यक्ष के सी पांडे, सचिव हिंदी अकादमी दिल्ली सरकार डॉ जीतराम भट्ट तथा समाज सेविका इंदु नेगी प्रमुख थे।
आयोजित कुमांऊनी, गढ़वाली, जौनसारी कवि सम्मेलन (खुला मंच) वरिष्ठ कवि ललित केसवान की अध्यक्षता व गढ़वाली लोक कवि दिनेश ध्यानी द्वारा संचालित किया गया। उत्तराखंडी बोली-भाषा के प्रमुख कवियों मे सुमार पूरन चंद्र कांडपाल, रमेश हितैषी, मदन डुकलान, डॉ कालेश्वरी, जयपाल सिंह रावत, रमेश घिंडियाल, ओमप्रकाश आर्य, चन्दन प्रेमी, नीरज बवाड़ी, विरेन्द्र जुयाल, बलवीर रावत, वी सुन्दरियाल तथा वी पी जुयाल ने अपनी कविताओं के द्वारा उत्तराखंडी समाज के लोक चिंतन, प्रकृति के सौंदर्य व उसके हास, बढ़ते पलायन से गांवो की दुर्दशा इत्यादि पर सटीक कविता वाचन कर श्रोताओं को जहां खूब झकझोरा, वही गुद-गुदाया भी। जागृत हो एकजुट रहने का सटीक संदेश भी दिया ।
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के खुले प्रांगण मे निर्मित छोटे मंच से विभिन्न कार्यक्रमो के आयोजन मे बच्चो के नृत्य, फिल्म प्रदर्शन, पलायन पर चर्चा तथा अन्य प्रतियोगिताऐं आयोजित की गई। नुक्कड़ नाटक सुप्रसिद्ध रंगमंच निर्देशिका लक्ष्मी रावत के कुशल निर्देशन मे मंचित किए गए। मुख्य मंच से ‘योग-एक परिवर्तन’ कार्यक्रम डॉ सतेंद्र प्रयासी की देखरेख मे आयोजित किया गया। योग मे अव्वल स्थान प्राप्तकर्ताओ को पुरूष्कार वितरण रंगमंच समीक्षक दिवान सिंह बजेली के हाथों सम्पन्न कराया गया।
उत्तराखंड गौरव सम्मान व सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए गए। प्रांगण के चारों ओर करीब दो दर्जन विभिन्न उत्पादों व खानपान के स्टाल लगाए गए थे, जिनमे काफी चहल-पहल देखी गई।
लोकपर्व मे पहुचे सैंकड़ो उत्साही जनो को उत्तराखंड के जैविक खादय व पारम्परिक जेवरों से सजे स्टालों मे भारी खरीदारी करते देखा गया। जैविक खादय ‘पहाड़ी फ्रेश’ नाम से लोकेश नयाल,’स्यारा बटे त्यारा घोर’ के नवीन कुमार लखेरा, ‘सेवियर’ की नीति सास्वत, हिमालय सेवा संघ  (टिहरी गढ़वाल) के अजीत कुमार, ‘हिमाल्टो पहाड़ी प्रोडक्ट’ रुद्रप्रयाग के राकेश थपलियाल द्वारा बड़ी सिद्धत से लगाए गए थे।
टिहरी गढ़वाल निवासी किशोर भट्ट विशेष अंदाज मे गो-मूत्र तथा गो-गोबर निर्मित उत्पादो का स्टाल लगाए हुए थे।
उत्तराखंड परिधान स्टोर जिसका संचालन विकास साह कर रहे थे,  के स्टाल मे पहाड़ के पारंपरिक परिधान मे पिछोड़ा व आर्टिफिशियल पहाड़ी जेवरों मे नथुली, पोंजी, गुलबंद, मांग टीका, मंगल सूत्र मुख्य थे। जेवरों की बेतहाशा बिक्री देखी गई। इन्ही उत्पादों मे बालम सिंह के स्टाल तथा उत्तराखंड ज्वैलर्स पौड़ी के विजय सिंह के स्टालो मे भी बिक्री चरम पर देखी गई। सीमा सचदेव ‘जी फैशन’ नाम से अन्य आधुनिक फैशन युक्त परिधान व आभूषण बेच रही थी।
उदय फूड इंडस्ट्री के आर एस रावत (टिहरी गढ़वाल) द्वारा लगाए गए स्टाल मे सत्तर प्रकार की आइसक्रीमो का अनोखा स्वाद लोग ले रहे थे। यह इंडस्ट्री जल्द ही देहरादून मे भी स्थापित होने जा रही है। जिस माध्यम उत्तराखंड के लोगो को रोजगार मिलने की संभावना है।
चमोली नारायण बगड़ गांव ‘कौप’ के प्रेम सती कील्मोड व चीड़ बगट पर हस्त निर्मित चारधाम मंदिरो की कलाकृतियां बेच रहे थे। इस स्टाल पर महामृत्युंजय मंदिर व केदारनाथ मंदिर की कलाकृतियां बिक्री के लिहाज से आकर्षण का केंद्र बनी हुई थी।
उत्तराखंडी पारंपरिक व्यंजन स्टाल रमन मंडवाल द्वारा संचालित किया जा रहा था। पेटी (बकरा गोश्त), गथोड़, मूली झोल, चावल, मडुवा रोटी, खीर झुंगर के ठेठ पहाड़ी भोजन का जायका उमड़ी भीड़ बहुतायत मे ले रही थी। शायद उक्त व्यंजनों का जायका दर्शको को लम्बे अरसे तक लोकपर्व की याद दिलाता रहेगा।
महिला परिधान व महिलाओं की कीर्तन मंडली प्रतियोगिता मे महिलाओं की बड़ी तादात मे भागीदारी देखी गई। गोलमार्किट, बिंदापुर, सागरपुर, आरामबाग, पोचनपुर, संतनगर तथा बुराड़ी की कीर्तन मंडलियो ने प्रतिभाग कर लोकपर्व को विविधता प्रदान की।
नोनिहालो की चित्रकला प्रतियोगिता मे नन्हे भागीदारों के मन-मष्तिष्क मे उमंग छाई हुई थी। चित्रकला विषय ‘स्वर्ग से सुंदर उत्तराखंड’ पर नोनिहालो की चित्रकला प्रतिभा देखने व निहारने योग्य थी। निधि धोनी, सृष्टि रावत व सुहानी सती द्वारा उत्तराखंडी परिधानो मे प्रस्तुत नृत्यो ने दर्शको को बहुत प्रभावित किया।
महिला परिधान प्रतियोगिता मे भागीदार 25 महिलाओ मे विजय लक्ष्मी प्रथम, सीता देवी द्वितीय तथा आशा रावत गुप्ता व रेखा नेगी को सामूहिक रूप से तृतीय पुरूष्कार से समाजसेवी इंदु नेगी के हाथों नवाजा गया।
‘पलायन एक चिंतन’ शीर्षक पर निर्मित, उत्तराखंड से संबद्ध एक लघु फिल्म का प्रदर्शन किया गया। ततपश्चात पलायन पर आयोजित चर्चा मे गिरीश उपाध्याय, सुनील सिंदवाल, रविंद्र, जगमोहन रावत, चंद्रमोहन पपनैं, मीनाक्षी खंतवाल, रियांत जुयाल, त्रिलोचन तिवारी, बी एस रावत, नीरज बवाड़ी, देवेन्द्र बिष्ट तथा चंद्रशेखर चमकनी ने उत्तराखंड से निरंतर हो रहे पलायन के कारको, उसकी रोकथाम व प्रवास मे निवासरत उत्तराखंडियों की गांव वापसी पर अपने विचार व्यक्त किए।
लगभग वक्ताओ ने रोजी-रोटी की तलाश मे रोजगार हेतु उत्तराखंड से निरंतर बढ़ रहे पलायन पर दुःख व्यक्त कर कहा, यह सब हमारी स्थापित सरकारो की विफलता का नतीजा है। प्रबुद्ध वक्ताओ द्वारा चकबंदी को ग्रामीण हित व राज्य की समृद्धि हेतु अति आवश्यक बताया गया। व्यक्त किया गया, चकबंदी से पूर्व भूमि बिक्री पर रोक लगाने हेतु कडा कानून बनाया जाय। जंगली जानवरों द्वारा चौपट की जा रही खेती पर भी वक्ताओ ने चिंता व्यक्त कर सरकार की नीतियों की निंदा की। कुछ वक्ताओ द्वारा सामूहिक खेती को प्रमुखता दे, उत्पादन कर ग्रामीणों की आर्थिक स्थिति के सुदृढ़ बनाने हेतु राय व्यक्त की। चकबंदी व सामूहिक खेती योजना को प्राथमिकता मिलने पर गांव वापसी की राह आसान बन सकती है, वक्ताओ ने बेबाक राय रखी। आयोजित चर्चा का मंच संचालन पी एस चौहान ने बखूबी किया।
आयेजित गीत, संगीत, नृत्य व नाटक कार्यक्रमो मे केदारघाटी से आए कलाकारों द्वारा महाभारत चक्रव्यूह के मंचन तथा ढोल, दमाऊं पर प्रस्तुत उत्तराखंडी गीतों की शानदार प्रस्तुति ने दर्शको का मनमोहा।
उषा पांडे भट्ट द्वारा प्रस्तुत हम ‘उत्तराखंडी छो’ गीत ने दर्शको को जहां भावुक किया, वही शाश्वत पांडे द्वारा गिटार पर बजाए पहाड़ी गीतो की धुन ने दर्शको को रोमांचित किया। रुहान भारद्वाज व करिश्मा शाह ने भी दर्शको का भरपूर मनोरंजन किया।
रुद्रप्रयाग के लोकगायक सौरव मैठाणी द्वारा प्रस्तुत
1- गणेश वंदना- दैण होया दैण होरी का गणेशा वर दे…शिव को कैलाशा…दैण होया बद्री केदार…।
2-बोड़ी बोड़ी ऐजाना…खाई जाना क्यावा बोझी..तेरी म्येरी भेट होली, देवी का मंदिर…। ने दर्शको को खूब रिझाया।
लोकगायिका माया उपाध्याय द्वारा प्रस्तुत-
1- आज का दिन म्यारा दुःख…याद आली स्वामी तुम बिना…घुट मैकै बाटुली लगाया..।
2- घोटी जाली भांग सुआ…।
3- गोरखियै च्यैली भागुली…।
गीतों ने दर्शको को नाचने व गाने को मजबूर किया। प्रस्तुत उक्त गीतों ने दर्शको का भरपूर मनोरंजन किया ।
उत्तराखंड के अंतिम सीमान्त गांव माणा निवासी सु-विख्यात लोकगायक किशन महिपाल द्वारा गाए गीत-
1- जब दयप्तो का…गंगा जी को गों छन वैदी…हमार जवानों का गों छन वैदी…।
2- ओ भाना रंगीली भाना.. हिमालय की ठंडी हवा…।
प्रस्तुत गीतों ने दर्शक दीर्घा मे बैठै सैंकड़ो दर्शको के साथ-साथ दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया सहित ले. जनरल अनिल भट्ट, निगम पार्षद (विनोद नगर) गीता रावत, मुख्यमंत्री केजरीवाल की पुत्री हर्षित केजरीवाल, पूर्व पीएफ आयुक्त वी एन शर्मा, व्यवसायी के सी पांडे इत्यादि सभी गणमान्य अतिथियो को नाचने, गाने को मजबूर कर, मनोहारी समा बांध लोकपर्व को सफल मुकाम हासिल करवाया।
मुख्य मंच पर आयोजित उत्तराखंडी गीत-संगीत कार्यक्रम का संगीत निर्देशन सुभाष पांडे का था। कीबोर्ड पर ज्योति प्रसाद पंत, ढोलक पर रंजीत, ओप्टोपैड पर महेश, गिटार पर पिंटू बिष्ट तथा हुड़के पर विजय बिष्ट ने प्रभावशाली संगत की। संगीत की धुने कर्णप्रिय थी। दूसरे मंच पर आयोजित गीत-संगीत के कार्यक्रमो का संगीत निर्देशन कृपाल सिंह रावत द्वारा व मंच संचालन सु-प्रसिद्ध गढ़वाली रंगकर्मी खुशाल सिंह बिष्ट द्वारा बखूबी संचालित किया गया।
आयोजक संस्था महासचिव पवन मैथाणी द्वारा दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया का अभिनन्दन कर उनकी सरकार द्वारा कुमांऊनी, गढ़वाली, जौनसारी भाषा अकादमी के गठन करने पर समस्त प्रवासी उत्तराखंडियो की ओर से उनका शुक्रिया अदा किया गया। धन्यवाद दिया। उत्तराखंड लोक मंच के उद्देश्यों व 25 वर्षो की यात्रा की उपलब्धियों तथा भविष्य की योजनाओं पर प्रकाश डाला। संस्था अध्यक्ष बृजमोहन उप्रेती (बिट्टू भाई) के संस्था के प्रति समर्पण व योगदान पर प्रकाश डाला। संस्था के सभी पदाधिकारियों पृथ्वी सिंह रावत, पंचम सिंह रावत, रमन मंडवाल, आर पी चमोली, लक्ष्मी रावत, दिनेश ध्यानी, खुशाल सिंह बिष्ट, संदीप शर्मा तथा अन्य सभी सदस्यों का संस्था के कार्यो हेतु समर्पित रहने पर आभार व्यक्त किया। संस्था से जुड़े संस्थापक सदस्यों की उपस्थिति को उत्साहवर्धक कहा।
रजत जयंती के पावन अवसर पर, दर्शको की चाहत पर, प्रीति कोटनाला द्वारा सभी दर्शको को शपथ दिलाई गई। जिसका सार था-
‘हम उत्तराखंडी आज उत्तराखंड लोक मंच के बैनर तले जो आज अपनी 25वी वर्षगाठ मना रही है, शपथ खाते हैं…पहली बार दिल्ली सरकार द्वारा स्थापित भाषा अकादमी को जिम्मेवारी के साथ आगे बढ़ाएंगे। दमख़म के बल उत्तराखंड राज्य सहित…..राज्यो मे भी अकादमी स्थापित करवाने हेतु आवाज बुलंद करेंगे…हम सब उत्तराखंडी हैं’।
संस्था पदाधिकारियों द्वारा मुख्य अतिथि मनीष सिसोदिया व हर्षिता केजरीवाल को मंच पर आमंत्रित कर शाल ओढा व स्मृति चिन्ह भेट कर सम्मानित किया गया।
मुख्य अतिथि, दिल्ली सरकार उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने अपने वक्तव्य मे कहा, मुझे आयोजित ‘लोकपर्व’ मे आकर आनंद उठाने का मौका मिला। ‘उत्तराखंड लोक मंच’ विगत 25 वर्षो से निरंतर जनसरोकारों के हित मे प्रतिबद्ध होकर कार्य कर रहा है, जो अति प्रशंसनीय व सराहनीय है। कार्य करने व निभाने मे समय जरूर लगता है, जिसमे यह संस्था सफल रही है। संस्था के द्वारा विगत 25 वर्षों के दौरान निभाए कार्यो व मिली सफलता पर मनीष सिसोदिया ने सैंकड़ो की तादात मे उपस्थित जनसमूह से आग्रह किया, संस्था की सफलता पर दो मिनट तालिया बजा कर इनका धन्यवाद अदा किया जा सकता है! सुनने की देर थी, दर्शकों की तालियों की गड़गड़ाहट से वातावरण गूंज उठा।
कुमांऊनी, गढ़वाली, जौनसारी अकादमी के गठन पर मनीष सिसोदिया ने व्यक्त किया, हमने आश्वासन दिया था! अकादमी बनेगी कहा था! गठन हो गया। यह पार्टी का गठन नही, सु-प्रसिद्ध लोकगायक, जनकवि हीरासिंह राणा अकादमी के उपाध्यक्ष बनाऐ गए हैं। उनके अनुभव से अकादमी को दिशा मिलेगी। सिसोदिया ने कहा, सौभाग्य! गठित बीस सम्मानित सदस्यों मे से छः सदस्य यहां मंच पर मौजूद हैं।
मनीष सिसोदिया ने विश्वास भरे लफ्जो मे व्यक्त किया, गठित भाषा अकादमी तरक्की करेगी। हमारी शिक्षा व्यवस्था फर्राटैदार बने। उत्तराखंडी अपनी बोली-भाषा मे बात करे, यह अरविंद केजरीवाल जी का भी सपना है। अपनी बोली-भाषा बोलने मे गर्व होता है। घर मे बैठ अपने परिजनों से अपनी बोली-भाषा मे बात हो, यह सपना है। उन्होंने कहा, यह अकादमी हमे नही, हमारे प्रति नही, आपके प्रति बनाई गई है। सभी भाषाओं के ट्रेनिग सेंटर जगह-जगह खोले जायेंगे। कलाकारों की पहचान होना जरूरी है। सबको सम्मान व उचित मानदेय व पुरूष्कार मिले। सरकार की ओर से लोक संस्कृति, साहित्य, पत्रकारिता इत्यादि के क्षेत्र मे दिए गए योगदान हेतु वार्षिक पुरूष्कार दिए जायेगे। पांच दिन का उत्तराखंड संस्कृति आयोजन कनाट प्लेस मे आयोजित होगा। प्रोत्साहन मिल, लोग भाषा-बोली से जुड़ेंगे। बच्चे जुड़ेंगे। उत्तराखंड को हर क्षेत्र मे आगे बढ़ाएंगे।
संस्था अध्यक्ष बृजमोहन उप्रेती द्वारा मनीष सिसोदिया का धन्यवाद अदा किया गया। उन्होंने अवगत कराया, इस वर्ष 2019 मे दिल्ली के विभिन्न स्थानों पर 65 उत्तरायणी कार्यक्रमो का सफल आयोजन  किया गया। जिसमे लाखो उत्तराखंडी प्रवासी बन्धुओ ने भागीदारी की। पहली बार दिल्ली सरकार द्वारा भाषा अकादमी गठित करने पर उन्होंने सम्मान मिलने की बात कही। विश्वास के साथ संस्था अध्यक्ष ने कहा, आप सब लोगो के सहयोग से गठित अकादमी को सिद्धत व निष्ठा से आगे बढ़ाएंगे।
आयोजित दो दिनी लोकपर्व का सफल मंच संचालन रंगकर्मी हेम पन्त व लक्ष्मी रावत ने बड़ी सिद्धत से निभाया।
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