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आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत 24 प्रमुख क्षेत्रों में से एक के रूप में खिलौनों की पहचान की गई है–यू पी सिह

दिल्ली।सचिव, वस्त्र मंत्रालय श्री यू. पी. सिंह ने कहा कि अगस्त, 2020 में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के द्वारा मन की बात संबोधन में सामने रखा गया अभी तक के पहले ‘इंडिया टॉय फेयर, 2021’ का विचार एक अच्छी शुरुआत है, जिससे खिलौना उद्योग को खासा प्रोत्साहन मिलेगा। आज, इंडिया टॉय फेयर-2021 के दौरान ‘पारंपरिक खिलौना क्लस्टरों के साथ काम कर रहे उद्यमियों की सफलता की कहानियों’ पर हुई वेबिनार में भाग लेते हुए श्री सिंह ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत 24 प्रमुख क्षेत्रों में से एक के रूप में खिलौनों की पहचान की गई है। उन्होंने कहा कि उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) द्वारा खिलौनों के लिए एक राष्ट्रीय कार्य योजना तैयार की गई है, जो वस्त्र, एमएसएमई, आईएंडबी, शिक्षा सहित कई मंत्रालयों, वाणिज्य मंत्रालय के अंतर्गत डीपीआईआईटी और अन्य विभागों से उद्योग को पोषण और प्रोत्साहन देने की दिशा में प्रयास करने का अनुरोध करता है। उन्होंने कहा कि नए खिलौनों और खेलों की कल्पना करने व खिलौना उद्योग के सामने आ रहीं विभिन्न समस्याओं के समाधान हासिल करने और सभी तबकों से शानदार विचारों के लिए भारत के नवीन मस्तिष्कों को चुनौती देने के उद्देश्य से टॉयकाथन- 2021 का विचार किया गया था।
श्री सिंह ने कहा कि द इंडिया टॉय फेयर 2021 उद्योग के समग्र विकास और दुनिया के सामने भारत की खिलौना विनिर्माण क्षमताओं की समृद्धि व विशालता को प्रस्तुत करने के उद्देश्य से टिकाऊ संबंध विकसित करने और संवाद को बढ़ावा देने के लिए से उद्योग के सभी हितधारकों को एक मंच पर लेकर आया है। उन्होंने कहा कि पारम्परिक और आधुनिक युग की मांग के मिश्रण के साथ खिलौने तैयार करने के उद्देश्य से टॉय क्लस्टर्स को सहायता देने के लिए प्रयास किए जाएंगे और सुरक्षा, स्थायित्व व पर्यावरण अनुकूलता से जुड़े मुद्दों का ध्यान रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार मेले के दौरान क्षमता निर्माण, डिजाइन, खिलौनों में नवाचार, मशीनरी के सुधार और विपणन आदि से जुड़े नए विचार सामने आने की उम्मीद कर रही है, जो भावी योजनाओं/ नीतियों में शामिल किए जा सकते हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि आने वाले दिनों में भारत की खिलौनों के निर्यात में बड़ी हिस्सेदारी होगी। ‘पारंपरिक खिलौना क्लस्टरों के साथ काम कर रहे उद्यमियों की सफलता की कहानियों’ पर हुई वेबिनार में भारत की पारम्परिक खिलौना शिल्प, पारम्परिक भारतीय खिलौनों को पुनर्जीवित करने और आधुनिक बदलाव देने के अवसरों, विनिर्माण चुनौतियों, पारम्परिक खिलौनों के लिए विपणन और पैकेजिंग समाधान व नीतिगत हस्तक्षेप पर ध्यान केन्द्रित किया गया।
‘भारत से खिलौनों का निर्यात बढ़ाने’ पर हुई वेबिनार में भागीदारी कर रहे, सचिव, वाणिज्य मंत्रालय डॉ. अनूप वाधवान ने कहा कि टीआईटीएफ की योजना भारतीय खिलौना उद्योग को प्रोत्साहन देने और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए नीति निर्माताओं, खिलौना विनिर्माताओं, वितरकों, निवेशकों, उद्योग विशेषज्ञों, एमएसएमई, कारीगरों, स्टार्टअप्स, बच्चों, अभिभावकों और शिक्षकों को एक मंच पर लाने की है। उन्होंने कहा कि खिलौना क्षेत्र में भारत से निर्यात की खासी संभावनाएं हैं। हमारे उत्पादों की उत्पादकता और तकनीक में सुधार के उद्देश्य से संभावित निर्यातकों के लिए एक अनुकूल माहौल विकसित करने की जरूरत है। डॉ. वाधवान ने कहा कि सरकार का नवीन और रचनात्मक तरीकों के माध्यम से खिलौना क्लस्टरों को प्रोत्साहन देने का इरादा है। भारत में विनिर्माण संयंत्र लगाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों को लुभाने के उद्देश्य से राज्य सरकारों द्वारा खिलौना विनिर्माण क्लस्टर विकसित किए जाने चाहिए। उन्होंने खिलौना आधारित पर्यटन, स्थानीय खिलौना बैंक और पुस्तकालयों को प्रोत्साहन देने पर भी जोर दिया।
सचिव ने बताया कि सरकार इस क्रम में सस्ते और घटिया आयात से मिलने वाली अनुचित प्रतिस्पर्धा के खिलाफ एक अपेक्षित वातावरण तैयार करने, एक समान अवसर उपलब्ध कराने की दिशा में सभी प्रयास करेगी। उन्होंने उद्योग से खिलौना निर्यात को प्रभावित करने वाले कारोबारी सुगमता से जुड़े मुद्दों की पहचान करने और उन्हें उठाने का अनुरोध किया, जिनका सरकार में संबंधित विभागों के साथ मिलकर समाधान निकाला जा सके। उन्होंने भारतीय खिलौनों को निर्धारित समयसीमा के भीतर घरेलू और वैश्विक स्तर पर प्रोत्साहन सुनिश्चित करने में वाणिज्य विभाग से पूरा समर्थन दिलाने का भरोसा भी दिया। भारत से खिलौनों का निर्यात बढ़ाने पर हुई वेबिनार में भारत को खिलौनों के लिए एक निर्यात स्थल बनाने के संबंध में उद्योग की योजनाओं को साझा किया गया और भारत से खिलौनों के निर्यात को प्रोत्साहन देने के लिए नीतियों पर सरकार के विचारों पर चर्चा हुई।
द इंडिया टॉय फेयर 2021 के तीसरे दिन उद्योग, शिक्षा क्षेत्र और सरकार से जुड़े 35 प्रतिष्ठित वक्ताओं ने विचार रखे। यहां सात पैनल चर्चाएं, वेबिनार और चार गतिविधियों का आयोजन किया गया था। ‘खिलौनों में उत्पाद नवाचार और डिजाइन’ पर हुई पैनल चर्चा में एक खिलौने की खोज और डिजाइन से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर बात की गई। ‘भारतीय खिलौना विनिर्माण और आपूर्ति के अवसर, जिनकी पेशकश भारतीय राज्यों द्वारा खेल उद्योग को की जानी है’ पर हुई वेबिनार में तीन राज्यों- गुजरात, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश की विनिर्माण क्षमताओं पर प्रकाश डाला गया। ‘खिलौनों में गुणवत्ता और सुरक्षा का महत्व’ पर हुई वेबिनार में वैश्विक उद्योग के इस विचार पर ध्यान केन्द्रित किया गया कि खिलौना उत्पादों के लिए सुरक्षा और गुणवत्ता की कितनी अहमियत है। इस अवसर पर खिलौनों में गुणवत्ता और सुरक्षा से जुड़ी सरकार की नीतियां तैयार करने से जुड़ी सर्वश्रेष्ठ प्रक्रियाओं पर भी चर्चा की गई थी।
‘खिलौने और अभिभावक : घर पर सिखाने के लिए बच्चों के साथ नवीन जुड़ाव’ वेबिनार में यूनिसेफ ने घर पर अभिभावकों के जुड़ाव और खिलौनों के उपयोग के विभिन्न पहलुओं को शामिल किया गया। विचार विमर्श में अभिभावकों के जुड़ाव के महत्व, खिलौनों के निर्माण में अनुभवों और पढ़ाई में सुधार के लिए खिलौनों से जुड़े विभिन्न तरीकों पर ध्यान केन्द्रित रहा। ‘खिलौनों पर डिजाइन टाउन हॉल’ पर हुई वेबिनार में सामान्य विद्यार्थियों के साथ साथ विशेष आवश्यकता वाले विद्यार्थियों के लिए प्राथमिक, माध्यमिक और तृतीयक शिक्षा के भाग के रूप में शिक्षा शास्त्र में एक साधन के रूप में खिलौनों पर विचार किया गया।
3 दिन के दौरान हुई गतिविधियों में वाराणसी के लकड़ी के खिलौनों के क्लस्टर, कोप्पल के किनहाल खिलौना क्लस्टर और अशरिकंदी क्लस्टर से जुड़े शिल्प के प्रदर्शन शामिल थे। इस दौरान एक खिलौना विनिर्माण इकाई सेंटी टॉयज के वर्चुअल भ्रमण के रूप में एक अन्य गतिविधि हुई थी।

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