Amar sandesh नई दिल्ली, 14 जुलाई ।देश के युवाओं और खिलाड़ियों के भविष्य को सुरक्षित और पारदर्शी बनाने की दिशा में केंद्र सरकार एक अहम कदम उठाने जा रही है। खेल मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने सोमवार को बताया कि ‘राष्ट्रीय खेल शासन विधेयक’ संसद के आगामी मानसून सत्र में पेश किया जाएगा। यह सत्र 21 जुलाई से शुरू हो रहा है।
मंत्री मांडविया दिल्ली में नशा मुक्ति को लेकर एक युवा कार्यक्रम में शामिल होने के बाद मीडिया से बात कर रहे थे। उन्होंने कहा कि यह विधेयक खेलों में अनुशासन, नैतिकता और पारदर्शिता को मजबूती देगा, ताकि खिलाड़ी सिर्फ खेल पर ध्यान दें और खेल संगठनों में बैठे लोग जवाबदेह बनें।
डॉ. मांडविया ने साफ कहा कि यह विधेयक किसी के खिलाफ नहीं बल्कि खिलाड़ियों के हक में है। उन्होंने यह भी दोहराया कि पाकिस्तान सहित किसी भी देश के खिलाड़ियों को भारत में बहुपक्षीय खेल आयोजनों में आने से नहीं रोका जाएगा, क्योंकि खेल का मैदान नफरत की नहीं, भाईचारे की जगह है।
यह विधेयक एक नियमित बोर्ड बनाने की बात करता है, जो तय करेगा कि कौन-से खेल संगठन मान्यता के लायक हैं और किसे सरकारी मदद मिलनी चाहिए। साथ ही यह बोर्ड यह भी देखेगा कि कोई संगठन नियमों और नैतिक मूल्यों की अनदेखी तो नहीं कर रहा।
विधेयक में दो आयोगों की भी बात है — एक आचार संहिता आयोग जो खेलों में नैतिक आचरण की निगरानी करेगा, और एक विवाद निवारण आयोग, जो खिलाड़ियों या संगठनों के बीच होने वाले झगड़ों को सुलझाएगा, ताकि मामला कोर्ट-कचहरी तक न पहुंचे।
हालांकि कुछ संगठन, जैसे भारतीय ओलंपिक संघ, इसका विरोध कर रहे हैं। उनका डर है कि इस कानून से उनकी ताकत कम हो जाएगी। लेकिन सरकार ने भरोसा दिलाया है कि सभी की बात सुनी जाएगी और खेलों का भला ही प्राथमिकता होगी।
डॉ. मांडविया ने कहा कि आने वाले दिनों में इस विधेयक के बारे में और जानकारी दी जाएगी। लेकिन सरकार का इरादा साफ है — खेलों को राजनीति से दूर रखो, खिलाड़ियों को आगे बढ़ने दो और संगठनों को जिम्मेदार बनाओ।