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संतों की मांग संत विजयदास जी के आत्मदाह मामले की सीबीआई जांच हो:- –अरुण सिंह

जयपुर। अवैध खनन व संत विजय दास जी के आत्मदाह मामले पर भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने चार सदस्यीय उच्च स्तरीय जाँच समिति ने दौरा किया।

उच्चस्तरीय समिति में राष्ट्रीय महामंत्री एवं प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह, सांसद स्वामी सुमेधानंद सरस्वती, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सांसद सत्यपाल सिंह, उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक एवं सांसद बृजलाल यादव मौजूद रहे।

प्रदेश बीजेपी प्रभारी अरुण सिंह और कमेटी के सदस्य भरतपुर जिले के पासोपा गांव में संतों और स्थानीय लोगों से मुलाकात की।इसके बाद आदिबद्री मंदिर पहुंचकर स्थानीय लोगों, संगठनों व संतों से चर्चा करने के बाद घटनास्थल का मौक़ा मुआवना किया, प्रमुख संतों से पूरे घटनाक्रम के विषय में विस्तार पूर्वक चर्चा की और पूरे प्रकरण से संबंधित सभी तथ्य जुटाए गए, समिति ने खनन क्षेत्र का भी दौरा किया,

जहां पर आंदोलनकारियों से मिले जिन्होंने खनन क्षेत्र रेवेन्यू रिकॉर्ड नक्शो के माध्यम से बताया कि यहां बहुत बड़े पहाड़ी क्षेत्र को राजस्थान सरकार के खनन मंत्री व खनन विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से खनन माफियाओं द्वारा अवैध खनन किया जा रहा है, जिसका विरोध लंबे समय से विजय दास और स्थानीय ग्रामवासी कर रहे थे,उक्त घटनास्थल का दौरा कर सम्बंधित जानकारी एकत्रित की गई। भरतपुर जिले के पुलिस-प्रशासन के अफसरों से तथ्यात्मक जानकारी ली। यूपी के मथुरा जिले में मान मंदिर पहुंचकर स्वर्गीय संत विजय दास जी को पुष्पांजलि अर्पित की।

अरुण सिंह ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि ब्रज क्षेत्र के तीर्थ स्थल व पहाड़ों को बचाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण की क्रीड़ास्थली, आदिबद्री और कनकांचल पहाड़ों को बचाने के लिए साधु-संतों को 551 दिन आंदोलन करना पड़ा। संतों को पूरा विश्वास हो गया था माफियाओं का पूरा जाल यहां पर है और प्रदेश सरकार का संरक्षण उनके ऊपर है, अवैध खनन चलता रहेगा। कनकांचल और आदिबद्री पर्वत बचेगा नहीं, इससे हैरान और परेशान होकर बाबा हरि बोल दास ने पिंडदान किया तथा दूसरे संत बाबा नारायण दास टावर पर चढ़े। संतों का मानना था कि सद्बुद्धि सरकार को आ जाए, लेकिन वह तो आनी नहीं थी। क्योंकि सरकार, अफसर और मंत्री सभी मिले हुए हैं। इन सबसे परेशान होकर संत विजय दास ने आत्मदाह किया। सरकार के लोग एक-एक व्यक्ति को डराने और धमकाने का काम कर रहे हैं। अशोक गहलोत किस तरह का पाप अपने सिर पर लेकर जा रहे हो, इससे आपको माफी नहीं मिलेगी।

अरुण सिंह ने कहा कि इस घटनाक्रम के बाद केवल राजस्थान ही नहीं अपितु भारत के संत समाज में रोष है और राजस्थान सरकार की अकर्मण्यता व अवैध खनन को शह देने की नीति के चलते एक संत को आत्मदाह करना पड़ा, राजस्थान सरकार के लिए सबसे बड़ी शर्म की बात है। प्रमुख संतो का कहना है कि यह पूरा प्रकरण अवैध खनन का है जो राजस्थान के खनन विभाग से संबंधित है, इसलिए राजस्थान सरकार जांच को प्रभावित कर सकती है ऐसे में संत समाज मांग करता हैं कि इस मामले की जांच सीबीआई से कराई जाए, क्योंकि आत्मदाह प्रकरण के बाद से ही राजस्थान पुलिस द्वारा ग्रामवासियों को और स्थानीय लोगों को धमकाया जा रहा है इस पूरे मामले पर चुप्पी साधने के लिए दबाव बनाया जा रहा है, पुलिस प्रशासन के अधिकारी लगातार संतों व लोगों को धमका रहे हैं। लेकिन जनता मुखर होकर न्याय के लिए आवाज उठा रही है अतः संतो ने मेरे समक्ष सीबीआई से जांच कराए जाने की मांग रखी जिसे हम अपनी रिपोर्ट में प्रमुखता से रखेंगे और केंद्र सरकार के समक्ष सीबीआई जांच की मांग भी रखी जाएगी।

स्वामी सुमेधानंद सरस्वती ने बताया कि यदि समय रहते राजस्थान सरकार ध्यान देतीं तो संत हम सब के बीच होते।

बाबा बालकनाथ ने कहा कि खान मंत्री पर पर पूर्व मंत्री ने भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए परंतु मुख्यमंत्री चुप है।

पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सांसद सत्यपाल सिंह ने कहा कि राजस्थान में खनन माफियाओं ने अवैध खनन के लिए पुलिस व प्रशासन के कर्मियों एवं अधिकारियों पर जानलेवा हमले हो रहे। क्योंकि सरकार का संरक्षण व समर्थन है।

उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक एवं सांसद बृजलाल यादव ने बताया कि राजस्थान में साधु-संत शांति से साधना भी नहीं कर सकते, मंत्री बेतुकेपन से बयान दे रहे। अवैध खनन के खेल में सरकार, पुलिस, परिवहन व खनन विभाग इत्यादि लिप्त हैं।

आदिबद्री पर्वत क्षेत्र में पहाड़ी पर स्तिथ दिवंगत बाबा विजय दास के “साधना स्थान” पर जाकर समिति के सदस्यों ने श्रद्धांजलि अर्पित कर संवेदना प्रकट की

सांसद बाबा बालकनाथ , रंजीता कोली, प्रदेश महामंत्री भजनलाल शर्मा, प्रदेश मंत्री मुकेश दाधीच, मीडिया संयोजक पंकज जोशी, भरतपुर जिलाध्यक्ष शैलेंष सिंह, पूर्व मंत्री प्रभुलाल सैनी, गजेंद्र सिंह खींवसर, पूर्व विधायक राजकुमारी जाटव, अनिता गुर्जर व बनवारीलाल सिंघल इत्यादि मौजूद रहे।

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