पंजाब और हरियाणा में पराली बड़ी समस्या
किशोर नैथानी
पौधों के पोषण और कीट प्रबंधन के क्षेत्र में काम कर रही विशेषज्ञ एग्री-बायोटेक कंपनी कैन बायोसिस ने एक पर्यावरण अनुकूल उत्पाद स्पीड कम्पोस्ट पेश किया है, जो पराली जलाने की समस्या से निजात दिलाएगा। विभिन्न शोध संस्थानों और अधिकृत संगठनों से मान्यता प्राप्त इस उत्पाद से पर्यावरण के लिए कोई जोखिम पैदा नहीं होता है और इससे मिट्टी की गुणवत्ता और कृषि उपज को बढ़ाने में भी मदद मिलती है। स्पीड कम्पोस्ट माइक्रोबियल फॉर्मूलेशन है, जिसमें सेल्युलोज डिग्रेडिंग, स्टार्च डिग्रेडिंग, प्रोटीन डिग्रेडिंग बैक्टीरिया और फंगी का खास मिश्रण होता है। इन माइक्रोब्स को जब रॉ कम्पोस्ट हीप में डाला जाता है तो ये हाइपहाई या कोशिकाओं के उत्पादन के लिए अंकुरित होते हैं। विभिन्न माइक्रोब्स पौधों के अपशिष्ट को आसानी से डाइजेस्ट कर लेते हैं। इसीलिए स्पीड कम्पोस्ट में मौजूद माइक्रोब्स मिट्टी में सुधार के साथ फसल अवशेष और अपशिष्टों की रिसाइक्लिंग में सहायता करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप मिट्टी की गुणवत्ता बढ़ जाती है। एमडी संदीप कानितकर ने कहा, “बीते चार साल से हम धान की पराली जलाए जाने पर रोक के लिए पंजाब और हरियाणा में काम कर रहे हैं। पराली जलने से न सिर्फ पर्यावरण प्रदूषण के माध्यम से स्वास्थ्य के प्रति जोखिम बढ़ता है, बल्कि इसके चलते मिट्टी से मूल्यवान कार्बन भी अलग हो जाता है। पोषण कम होने से मिट्टी बंजर और धीरे-धीरे अनुपजाऊ हो जाती है, जिससे जमीन सख्त हो जाती है और पानी के साथ उर्वरक बहकर आगे नदियों व भूमिगत जल को प्रदूषित करते हैं। इससे स्वास्थ्य और शैवालों के विस्तार के प्रति गंभीर जोखिम पैदा होता है। खेतों को उपजाऊ बनाने में पराली के पुनः उपयोग के लिए आसान प्रौद्योगिकी की अनुपलब्धता के चलते सरकार द्वारा लगाया गया प्रतिबंध कोई व्यावहारिक विकल्प नहीं है।”
किसानों के बीच जागरूक फैलानी होगी
पराली जलाने पर प्रतिबंध लगाने के बजाय सरकार को किसानों के बीच जागरूकता फैलानी चाहिए, जिससे वे उपलब्ध तकनीक का फायदा उठा सकें। सभी बातों को ध्यान में रखें तो ‘स्पीड कम्पोस्ट’ से कई समस्याओं का हल निकल सकता है। विशेष फॉर्मूलेशन/तकनीक वाली आसान, किफायती, सभी मानकों का पालन करने वाली कृषि प्रक्रिया से किसानों के लिए फसल की कटाई के बाद धान की पराली का निस्तारण करना संभव होता है। किसान अगली फसल के लिए खेत को भी तैयार कर सकते हैं। उक्त समस्या के समाधान के अलावा इस उत्पाद से मिट्टी में जैविक पदार्थ बढ़ जाते हैं, मिट्टी में पानी को धारण करने की क्षमता बढ़ जाती है और साथ ही उर्वरकों का कुशल इस्तेमाल और मृदा सूक्ष्मजीव गतिविधियों में भी सुधार होता है। इस नवीन उत्पाद की पेशकश के साथ कान बायोसिस देश भर में इसका इस्तेमाल सुनिश्चित करने के लिए रणनीतिक साझेदारी की संभावनाओं पर भी काम कर रही है।“भारत को इस उत्पाद को अपनाए जाने का यह सही समय है, जो न सिर्फ आय बढ़ाने में मददगार है, बल्कि यह पर्यावरण के अनुकूल भी है। रसायन और पानी के अत्यधिक इस्तेमाल और जैविक खाद के कम उपयोग से जल स्तर पर में खासी कमी आई है।