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महाकवि सुमित्रानंदन पंत की 125वीं जयंती पर समारोह आयोजित, वरिष्ठ पत्रकार डॉ. हरीश चंद्र लखेड़ा को मिला ‘उत्तराखंड साहित्य रत्न सम्मान’

वरिष्ठ पत्रकार डॉ. हरीश चंद्र लखेड़ा को ‘उत्तराखंड साहित्य रत्न सम्मान’ से सम्मानित किया गया

Amar sandesh नई दिल्ली, 20 मई । प्रकृति के सुकुमार कवि’ महाकवि सुमित्रानंदन पंत की 125वीं जयंती के अवसर पर दिल्ली स्थित उत्तराखंड सदन में एक भव्य समारोह का आयोजन किया गया। उत्तराखंड फिल्म एवं नाट्य संस्थान द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में सुप्रसिद्ध वरिष्ठ पत्रकार डॉ. हरीश चंद्र लखेड़ा को ‘उत्तराखंड साहित्य रत्न सम्मान’ से सम्मानित किया गया।समारोह के मुख्य अतिथि उत्तराखंड सरकार की मीडिया सलाहकार समिति के अध्यक्ष डॉ. गोविंद सिंह तथा संस्थान की संस्थापक निदेशक संयोगिता ध्यानी ने संयुक्त रूप से डॉ. हरीश लखेड़ा को यह सम्मान प्रदान किया। इस अवसर पर हिंदी अकादमी और गढ़वाली कुमाऊनी जौनसारी अकादमी के पूर्व सचिव व वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. हरि सुमन बिष्ट, वरिष्ठ पत्रकार व्योमेश जुगराण, आरपी ध्यानी, समेत समाज के विभिन्न क्षेत्रों से अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

उत्तराखंड फिल्म एवं नाट्य संस्थान की स्थापना 2015 में हुई थी और यह संस्था उत्तराखंड की महान विभूतियों को स्मरण करते हुए नियमित रूप से सांस्कृतिक और साहित्यिक कार्यक्रम आयोजित करती है। संस्था 15 फरवरी को बद्रीदत्त पांडे, 20 मई को सुमित्रानंदन पंत, 8 अगस्त को तीलु रौतेली तथा 25 दिसंबर को वीर चंद्र सिंह गढ़वाली की जयंती मनाती है।

इस क्रम में अब तक 9 साहित्यकारों को ‘उत्तराखंड साहित्य रत्न सम्मान’ से सम्मानित किया जा चुका है और डॉ. हरीश चंद्र लखेड़ा इस सम्मान को प्राप्त करने वाले 10वें साहित्यकार-पत्रकार हैं। मूलतः पत्रकार डॉ. लखेड़ा की छह पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं, जिनमें दो कविता संग्रह, उत्तराखंड राज्य आंदोलन का इतिहास, लखेड़ा वंश का इतिहास, पत्रकारिता का स्थानीयकरण विषय पर शोध ग्रंथ तथा संसदीय पत्रकारिता पर आधारित एक महत्वपूर्ण पुस्तक शामिल है। यह पुस्तक भारतीय संसद की रिपोर्टिंग पर किसी भी पत्रकार द्वारा लिखी गई पहली पुस्तक मानी जाती है और इसका शीर्षक है – ‘संसदीय पत्रकारिता: भारतीय लोकतंत्र की यात्रा के साक्षी 144 स्तंभ’।

गौरतलब है कि सुमित्रानंदन पंत का जन्म 20 मई 1900 को उत्तराखंड के कौसानी (जनपद बागेश्वर) में हुआ था। वे हिंदी साहित्य की छायावादी काव्यधारा के प्रमुख स्तंभ माने जाते हैं। उनका साहित्यिक रचनाकाल लगभग 60 वर्षों (1916–1977) तक विस्तृत है।

कार्यक्रम में उपस्थित सभी वक्ताओं ने पंत जी के काव्य-संसार और योगदान को स्मरण करते हुए उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर मदन मोहन सती मीडिया कोऑर्डिनेटर मुख्यमंत्री उत्तराखंड, श्रीमती अंजू भंडारी, सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित थे। इस कार्यक्रम का कुशल मंच संचालन नीरज बवाडी़, द्वारा किया गया।

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