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भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं राष्ट्रीय प्रवक्ता सैयद शाहनवाज हुसैन द्वारा कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व द्वारा फैलाई जा रही झूठ की राजनीति पर करारा प्रहार

नई दिल्ली| भारतीय जनता पार्टी रेल किराए पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी और कांग्रेस पार्टी के तमाम नेताओं के दुर्भावना से प्रेरित दुष्प्रचार की कड़ी निंदा करती है। वास्तव में दुष्प्रचार करना और समाज में झूठ के जहर का बीज बोना ही तो कांग्रेस की कार्य-संस्कृति रही है। कांग्रेस से देश को कभी भी सच, सेवा और सहयोग की आशा तो रही नहीं, हालांकि देश इतनी अपेक्षा कांग्रेस से जरूर करता था कि कोरोना महामारी से वैश्विक संकट के समय तो कम से कम इतनी तुच्छ राजनीति नहीं करेगी, हालांकि देश का ऐसा सोचना भी गलत साबित हुआ।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में केंद्र सरकार देश के हर जरूरतमंद को हर प्रकार से मदद पहुंचाने की कोशिश कर रही है लेकिन इसके बावजूद कांग्रेस एंड कंपनी झूठी और मनगढ़त बातों के जरिए लगातार लोगों को बरगलाने की कोशिश कर रही है। यह कोविड-19 से भारत के जंग को कमजोर करने और जनता में अकारण विद्वेष उत्पन्न करने की कांग्रेस की गंदी साजिश है।

कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गाँधी द्वारा केंद्र सरकार पर प्रवासी मजदूरों से घर-वापसी के लिए रेल किराया वसूलने का आरोप जितना झूठ, तथ्यहीन, भ्रामक और गुमराह करने वाला है, उतना ही कांग्रेस द्वारा मजदूरों की ‘मुफ्त’ रेल यात्रा के किराए का भार वहन करने की बात करना भी बेतुका और हास्यास्पद है।

सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी के नेतृत्व में कांग्रेस द्वारा फैलाई जा रही झूठ की हकीकत ये है कि जरूरतमंद प्रवासी मजदूरों की घर वापसी के लिए रेलवे द्वारा 85% और संबंधित राज्य सरकारों द्वारा केवल 15% खर्च उठाया जाना है। राज्य सरकरों को सिर्फ बचे हुए 15 प्रतिशत का ही भुगतान करना है, जो बहुत बड़ी रकम नहीं है। राज्य सरकारों को यह भार महज इस व्यवस्था में दायित्व सुनिश्चित करन के लिए दिया गया है क्योंकि राज्य सरकार जाने वाले श्रमिकों की पहचान करती है, उनके स्वास्थ्य की स्क्रीनिंग करती है और उनकी आवश्यकताओं के हिसाब से उनकी जाने की प्राथमिकता तय करती है। राज्य सरकारों द्वार मांगी गई रेलगाड़ी के अलावा रेलवे और कोई गाड़ी का परिचालन नहीं रहा है। राज्य सरकारें जब गंतव्य के साथ जाने वालों की सूची देती हैं, तभी रेलवे उन लोगों के लिए विशेष ट्रेनों की व्यवस्था करती है।

गरीब और जरूरतमंद लोगों की भावनाओं के साथ खेल करना ही कांग्रेस की राजनीति का मसकद रहा है। प्रवासी मजदूरों की वापस पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा बयान पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित है। कांग्रेस पार्टी द्वारा मजदूरों के यात्रा भाड़े का खर्चा उठाने की बात कहने की बजाय यह बेहतर होता अगर वे अपनी राज्य सरकारों को ऐसे समय में राजनीति न करने और कांग्रेसी सरकारों के हिस्से में आने वाले भाड़े के शेयर को चुकाने का निर्देश देतीं। सच्चाई यह है कि महाराष्ट्र, राजस्थान और पंजाब जैसे कांग्रेस शासित राज्यों की सरकारें इसमें राजनीति कर रही हैं।

मीडिया में यह भी खुलासा हुआ है कि मुंबई में श्रमिकों से यात्रा किराया वसूलने के साथ ही उनके मेडिकल सर्टिफिकेट के लिए भी राज्य की कांग्रेस के समर्थन वाली सरकार द्वारा 200 रुपए चार्ज किए जा रहे हैं। वैसे भी कांग्रेस का इतिहास केवल झूठे वादों का ही रहा है। न तो कांग्रेस शासित राज्यों ने कर्ज माफी के झूठे वादे को लागू किया और न ही राहुल गाँधी की तथाकथित न्याय योजना ही कांग्रेस शासित राज्यों में लागू हुई। वास्तव में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में जिस बेहतरीन तरीके से कोरोना से जंग जारी है, उससे कांग्रेस समेत तमाम मौकापरस्त और समाज में तोड़-फोड़ की राजनीति करने वाले दल किंकर्तव्यविमूढ़ हो गए हैं और वैचारिक दिवालियापन की स्थिति में विपक्षी पार्टियों द्वारा ऐसे अनर्गल प्रलाप हो रहे हैं।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में केंद्र सरकार गरीबों के कल्याण के प्रति समर्पित सरकार है। लॉकडाउन के दौरान जरूरतमंदों की सहायता के लिए मोदी सरकार द्वारा 1.70 लाख करोड़ रुपये जारी किये गए हैं। न केवल किसानों और महिलाओं के खाते में सहायता राशि ट्रांसफर की जा रही है बल्कि राशन और मुफ्त गैस सिलिंडर भी दिए जा रहे हैं क्योंकि राजनीति नहीं, सेवा हमारी सरकार का मूल मंत्र है। महिला जन-धन खाताधारकों के एकाउंट में सहायता राशि की दो किस्तें पहुंचा दी गई है, किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत उनके एकाउंट में अग्रिम क़िस्त भेजी जा रही है, मनरेगा के तहत न केवल मजदूरी को बढ़ाया गया है बल्कि न्यूनतम मजदूरी दिवस को भी बढ़ाया गया है लेकिन कांग्रेस को ये बातें दिखाई नहीं देती क्योंकि कांग्रेस की नीयत सही नहीं है, उसे केवल और केवल राजनीति करनी है।

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