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अन्नदाता की सुरक्षा सर्वोपरि, घटिया खाद-दवाओं से बचाने के लिए सख्त कदम –शिवराज सिंह चौहान

Amar sandesh नई दिल्ली। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने आज नई दिल्ली स्थित कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में आयोजित क्रॉप लाइफ इंडिया के राष्ट्रीय सम्मेलन में शिरकत की। सम्मेलन का विषय था— “विकसित भारत 2047: अर्थव्यवस्था में कृषि का एक ट्रिलियन का योगदान—फसल संरक्षण उद्योग की भूमिका।”

श्री चौहान ने अपने संबोधन में कहा कि कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और किसान उसकी आत्मा। किसानों की सेवा उनके लिए भगवान की पूजा के समान है। उन्होंने कहा कि भारत ने वह दौर भी देखा है जब हमें अमेरिका से पीएल-480 के अंतर्गत ऐसा अन्न मंगवाना पड़ता था जिसे वहां कोई खाने को तैयार नहीं था, और आज स्थिति यह है कि हमारे अन्न भंडार भरे पड़े हैं और निर्यात में भी 10% की वृद्धि हुई है। बासमती चावल आज पूरी दुनिया में धूम मचा रहा है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार लगातार किसानों की समस्याओं का समाधान करने के लिए ठोस कदम उठा रही है। उन्होंने बताया कि “विकसित कृषि संकल्प अभियान” के तहत किसानों से संवाद के दौरान गन्ने की लाल सड़न, कपास की गुलाबी सुंडी और सोयाबीन को बर्बाद करने वाले एलोमोजिक जैसे 500 गंभीर मुद्दे सामने आए। इन सब पर वैज्ञानिकों को ‘वन टीम-वन टास्क’ के रूप में रिसर्च करने और लैब से सीधे जमीन तक तकनीक पहुंचाने का निर्देश दिया गया है।

शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि आने वाले वर्षों में देश की आबादी 170 करोड़ तक पहुंच जाएगी। ऐसे में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना और लगभग 46% आबादी की आजीविका, जो खेती पर निर्भर करती है, बनाए रखना एक बड़ी चुनौती होगी। उन्होंने कहा कि भारत की स्थिति अमेरिका, ब्राज़ील और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों से अलग है, जहां किसानों के पास हजारों हेक्टेयर जमीन है। भारत में अधिकांश किसानों के पास ढाई से तीन एकड़ तक की ही भूमि है, इसलिए नीतियां भी इसी आधार पर बनानी होंगी।

केंद्रीय मंत्री ने इस अवसर पर नकली और घटिया पेस्टिसाइड तथा फर्टिलाइजर के कारोबार पर कड़ा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि नकली खाद और दवाओं से किसान बर्बाद हो जाते हैं। कई बार तो पत्थर का पाउडर तक खाद के नाम पर बेच दिया जाता है। चौहान ने उद्योग जगत से अपील की कि वह पूरी ईमानदारी के साथ किसानों के हित में काम करें। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसा उपकरण विकसित होना चाहिए जिससे किसान खुद यह पहचान सके कि वह जो उत्पाद खरीद रहा है वह असली है या नकली।

शिवराज सिंह ने जोर देकर कहा कि यह केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं बल्कि उद्योग की भी नैतिक जिम्मेदारी है कि किसानों को नकली उत्पादों से बचाया जाए। उन्होंने कहा कि कीट-पतंगे हर बार नए रूप में सामने आते हैं, इसलिए नवाचार और अनुसंधान को निरंतर बढ़ावा देना आवश्यक है।

शिवराज सिंह चौहान का यह संदेश स्पष्ट है— “किसान की भलाई ही राष्ट्र की मजबूती है, और सरकार व उद्योग मिलकर ही इस दिशा में निर्णायक बदलाव ला सकते हैं।”

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