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राष्ट्रीय वीरता पुरष्कार से सम्मानित राखी रावत का उत्तराखंडी प्रवासी संस्थाओं द्वारा भव्य सम्मान

सी एम पपनैं
नई दिल्ली। उत्तराखंड के सुदूरवर्ती अंचल पौड़ी गढ़वाल स्थित वीरोखाल ब्लाक के देवकुंडई गांव की दस वर्षीय अदम्य साहसी वीरबाला राखी रावत को गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रीय वीरता पुरष्कार के तहत मार्कंडेय पुरष्कार से नवाजे जाने के बाद दिल्ली की अनेकों उत्तराखंडी प्रतिष्ठित प्रवासी संस्थाओं व संगठनों द्वारा भी इस वीर बाला को सम्मानित किया गया।
29 जनवरी, डीपीएमआई सभागार न्यू-अशोक नगर मे उत्तराखंड की अनेकों सामाजिक सरोकारो से जुडी प्रवासी संस्थाओं द्वारा अदम्य साहसी राखी रावत के साथ-साथ माँ शालिनी देवी, पिता दलवीर सिंह रावत, दादी विमला देवी तथा चार वर्षीय भाई राघव को समाजसेवी व डीपीएमआई अध्यक्ष विनोद बछेती के सानिध्य मे पुष्पगुच्छ, अंगवस्त्र, नकद राशि, स्मृति चिन्ह तथा अन्य अनेकों उपहार भेट कर सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर डीपीएमआई अध्यक्ष विनोद बछेती ने अपने संबोधन में सभी उपस्थित प्रतिष्ठित समाज सेवियो, संस्कृति व साहित्य से जुड़े लोगों तथा विद्यार्थियों का राष्ट्रीय वीरता पुरष्कार प्राप्त उत्तराखंड की राखी रावत के सम्मान में आयोजित कार्यक्रम में आने पर आभार व्यक्त किया।
अवगत कराया, विगत चार अक्टूबर 2019 के दिन अपनी माँ के साथ गांव के निकट खेतो से चार वर्षीय भाई राघव को कंधे मे बिठा कर घर लौटते वक्त घात लगाए गुलदार ने राखी के भाई पर हमला कर दिया था। अपनी जान की परवाह किये बिना राखी ने अपने अदम्य साहस व बहादुरी के बल भाई से लिपट कर उसे खरोंच तक नहीं आने दी। स्वयं आदमखोर गुलदार के लगातार हमले से लहूलुहान होने के बाद भी भाई की ढाल बनी रही। माँ के चिल्लाने की आवाज से गुलदार भाग गया। भाई की जान बचाने हेतु जिस अदम्य साहस का परिचय राखी ने दिया वह समाज व बच्चों के लिए प्रेरणादायी है।
निर्भीक व निडर घायल राखी को इलाज के लिए ब्लाक के हस्पताल ले जाया गया। गुलदार द्वारा राखी के सिर पर किए गए घावो मे पैंतालीस टांके लगे। बुरी तरह घायल राखी ने बंदूक मिल जाने पर गुलदार को मार डालने की इच्छया जाहिर की।
राखी की निर्भिकता व निडरता का परिचय जान पौड़ी जिला प्रशासन द्वारा राखी के नाम की संस्तुति राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार के लिए कर दी गई। राखी की वीरता की चर्चा प्रदेश व राष्ट्रीय फलक पर होने लगी, जो समाज व बच्चों के लिए मिसाल बन गई।
राखी रावत, माँ शालिनी रावत तथा दादी विमला देवी ने भी घटित घटना के बावत अपनी बात रखी। राखी की माँ ने व्यक्त किया, राखी ने उन्हे एक नई पहचान दिलवाई है। उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उनकी बेटी को एक दिन इतना सम्मान मिलेगा।
मंचासीन राखी की तीन पीढ़ियों द्वारा पत्रकारो द्वारा पूछे सवालों का जवाब दिया गया। घटित घटना के बाद स्कूल अध्यापको व विद्यार्थियों की रोचक प्रतिक्रिया से अवगत कराया। राज्य वन विभाग के कर्मियों द्वारा पंद्रह हजार नकद व बीस हजार का चैक तथा एक लाख रुपए की आर्थिक मदद सतपाल महाराज द्वारा दी गई, अवगत कराया।
राखी की दादी बिमला देवी ने पलायन के कारण खाली होते जा रहे गांवो की दुर्दशा व जंगली जानवरों के बढ़ते आतंक पर चिंता व्यक्त की। रोष व्यक्त कर अवगत कराया, आदमखोर गुलदार अभी तक नहीं पकड़ा गया है। जिसकी गांवो मे दहशत है। गांव वालों को दहशत से पार पाने के लिए प्रशासन को बंदूके मुहैया करानी चाहिए या सुरक्षा के कदम उठाने चाहिए।
प्रबुद्ध वक्ताओ दिनेश ध्यानी, सतेंद्र सिंह रावत, राकेश, मीना कंडवाल, प्रेमा धोनी, चंद्रमोहन पपनैं, डॉ सतीश कालेश्वरी ने व्यक्त किया, राखी रावत के अदम्य साहस की गाथा को जान क्षेत्र व राज्य का नाम रोशन हुआ है। मात्र दस वर्षीय अदम्य साहसी व बहादुर राखी की वीरता की पराकाष्ठा को वे सलाम करते हैं। वक्ताओ ने व्यक्त किया, राखी के परिवार की आर्थिक कमजोरी व गरीबी को मध्येनजर रख समाज के लोगों, संस्थाओं व संगठनों को आर्थिक मदद हेतु पहल करनी चाहिए। अदम्य साहसी राखी बड़ी होकर पुलिस अफसर बनने का सपना संजोये हुए है। जिस हेतु उसे गाइड लाइन देने के लिए समाज के प्रबुद्ध लोगों को आगे आकर खड़ा होना होगा।
वक्ताओ द्वारा व्यक्त किया गया, सम्मान करने के बाद प्रशासन व समाज अपने दायित्वो को भूल जाता है। राखी की आशाओं व आंकाशाओ को आगे बढ़ाना होगा। राखी उस मुकाम तक पहुचे, जिसकी वह हकदार है। अभावो से जूझ रहे परिवार की मदद करनी होगी। सभी वक्ताओ द्वारा उत्तराखंड गौरव राखी रावत के उज्जवल भविष्य की कामना की गई।
साहित्यकार चंदन प्रेमी ने राखी रावत के अदम्य साहस पर कविता पाठ कर मानवर्धन किया-
बाला तेरे इस बचपन में, जो जाज्वल्यमान साहस देखा, मृत्यु के मुख मंडल पर विजयी, वह अपूर्व अदम्य साहस देखा…निर्भय होकर तुमने…अमर्त्य वीर बाला हो तुम, जीवन पथ पर बढ़ते रहना, संघर्ष जीवन की चुनोती है, शौर्य पराक्रम से बढ़ते रहना।
भारतीय बाल कल्याण परिषद द्वारा छः वर्ष से अठारह वर्ष तक की आयु के बहादुर बच्चों को 1957 से निरंतर प्रतिवर्ष दिए जाने वाले इस सम्मान के तहत राष्ट्रीय वीरता मैडल, प्रशस्ति पत्र व नकद चालीस हजार रुपयो की राशि प्रदान की जाती है। विद्यालय की पढ़ाई पूरी करने तथा इंजीनियरिंग व मेडिकल की शिक्षा के लिए छात्रव्रति योजनाओं के तहत सरकार द्वारा वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
इस वर्ष से वीरता के साथ इस पुरष्कार मे कई और क्षेत्र भी जोड़े गए हैं। पूर्व मे राष्ट्रीय वीरता पुरष्कार प्राप्त बच्चो को उनके मानवर्धन हेतु हाथी मे बिठा 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस परेड की शोभा मे शामिल किया जाता था। राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री बच्चों से मुखातिब होते थे। दस वर्षीय राखी रावत को राष्ट्रीय वीरता का यह सम्मान इस वर्ष असम राइफल्स के ले.कर्नल रामेश्वर राव के हाथों प्रदान किया गया।
सम्मान समारोह के समापन पर विनोद बछेती ने व्यक्त किया, राखी की बारहवी की शिक्षा समाप्ति के बाद वे आगे की उच्च शिक्षा हेतु पूर्ण सहयोग करेंगे। आयोजन का मंच संचालन दिनेश ध्यानी द्वारा किया गया।
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