जंतर-मंतर पर गूंजा आक्रोश: मुजफ्फरनगर कांड के दोषियों को सजा दो
Amar sandesh नई दिल्ली।राष्ट्रीय धरना स्थल जंतर-मंतर पर उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों ने 1994 के मुजफ्फरनगर कांड की याद में काला दिवस मनाया। धरना स्थल “मुजफ्फरनगर कांड के शहीद अमर रहे” के नारों से देर तक गूंजता रहा। आंदोलनकारियों ने महामहिम राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपकर दोषियों को तुरंत सजा देने की मांग की।
2 अक्टूबर 1994 को पृथक राज्य की मांग को लेकर दिल्ली कूच कर रहे आंदोलनकारियों पर तत्कालीन मुलायम सिंह सरकार की पुलिस ने मुजफ्फरनगर में गोलियां चलाई थीं। इस गोलीकांड में 18 आंदोलनकारी शहीद हो गए और कई का आज तक कोई पता नहीं चल पाया। इस दौरान महिलाओं के साथ अमानवीय व्यवहार किया गया जिसने उत्तराखंड के आत्मसम्मान को आहत किया। तभी से आंदोलनकारी हर वर्ष 2 अक्टूबर को काला दिवस के रूप में मनाते आ रहे हैं। तीन दशक बीत जाने के बाद भी दोषियों को सजा नहीं मिल पाई है। राज्य बनने के बाद भाजपा और कांग्रेस की छह सरकारें बन चुकी हैं, लेकिन किसी ने भी दोषियों को न्याय के कटघरे में खड़ा करने का साहस नहीं दिखाया। इसके विपरीत दोषियों को पदोन्नति देकर सम्मानित किया गया।
धरने को संबोधित करते हुए साहित्यकार और राज्य आंदोलनकारी चारु तिवारी ने कहा कि केंद्र और राज्य की सरकारें दोषियों को सजा दिलाने में पूरी तरह विफल रही हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि जनता अब भी सचेत नहीं हुई तो परिस्थितियां और भी भयावह हो सकती हैं। चारु तिवारी ने कहा कि सरकारों को राज्य की चुनौतियों का कोई ज्ञान नहीं है और वे आंदोलनकारियों के बलिदान को भुलाने का प्रयास कर रही हैं।
उत्तराखंड जनता संघर्ष मोर्चा के केंद्रीय उपाध्यक्ष विनोद नेगी ने कहा कि राज्य आंदोलन का उद्देश्य आत्मनिर्भर और सम्मानजनक भविष्य था, लेकिन आज पहाड़ की समस्याएं और कठिन हो गई हैं। पलायन, बेरोजगारी, लचर स्वास्थ्य व्यवस्था, शिक्षा का संकट, पेपर लीक, खनन और प्राकृतिक आपदाओं ने लोगों का जीवन दूभर कर दिया है। सरकार और उसके तंत्र समस्याओं को हल करने के बजाय उन्हें लव जिहाद, लैंड जिहाद और पेपर जिहाद जैसे मुद्दों से भटकाने का काम कर रहे हैं। उन्होंने युवाओं का आह्वान किया कि वे जागरूक होकर मुजफ्फरनगर कांड जैसे मुद्दों को मजबूती से उठाएं और न्याय की लड़ाई को आगे बढ़ाएं।
पत्रकार और राज्य आंदोलनकारी सतेंद्र रावत ने काव्य पाठ के माध्यम से शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की और दोषियों को सख्त सजा दिलाने की मांग की। सभा की अध्यक्षता कर रहे कुशाल सिंह बिष्ट ने कहा कि जब तक दोषियों को सजा नहीं मिलती तब तक शहीदों की आत्मा को शांति नहीं मिलेगी। उन्होंने धरने में उपस्थित सभी आंदोलनकारियों और समर्थकों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि अब समय आ गया है कि हम सब मिलकर इस लड़ाई को निर्णायक मोड़ तक पहुंचाएं।
धरने के अंत में समन्वय समिति के प्रतिनिधिमंडल ने कुशाल सिंह बिष्ट के नेतृत्व में महामहिम राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपा और मुजफ्फरनगर कांड के दोषियों को अविलंब कठोर दंड देने की मांग की। इस अवसर पर बड़ी संख्या में राज्य आंदोलनकारी,कुशाल सिंह बिष्ट, विनोद नेगी, चारु तिवारी, विनोद बच्चेत्री, सतेंद्र रावत, अनिल पंत, जलंधरी, प्रताप शाही, नरेंद्र बिष्ट, श्यामा प्रसाद खंतवाल, देवेंद्र केंतुरा, दिनेश चंद्र, बलबीर सिंह धर्मवान, हरेंद्र पूरी, जय सिंह रावत, सुरेंद्र हलसी, चंद्र सिंह रावत स्वतंत्र, रविन्द्र सिंह चौहान, किशोर रावत, दिनेश जोशी, हरीश प्रकाश आर्य, राकेश बिंजोला, महेश पपनई, मुकेश बिष्ट, प्रवीन बिष्ट साहित्यकार, पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित रहे।