पीएसबी मंथन 2025: विकसित भारत 2047 की ओर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की नई राह
“सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक अब विकास, नवाचार और नेतृत्व की ओर –एम नागराजू सचिव, वित्तीय सेवा”*
Amar sandesh दिल्ली। गुरुग्राम में वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग द्वारा आयोजित दो दिवसीय पीएसबी मंथन 2025 का आज समापन हुआ। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता सचिव, वित्तीय सेवा एम नागराजू ने की। इस अवसर पर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के वरिष्ठ नेतृत्व, नियामक संस्थाओं, उद्योग, शिक्षा और प्रौद्योगिकी क्षेत्र की दिग्गज हस्तियों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम में भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर श्री स्वामीनाथन जे., भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ. वी. अनंत नागेश्वरन, सेबी के पूर्व अध्यक्ष श्री एम. दामोदरन, आईआरडीएआई के पूर्व अध्यक्ष श्री देबाशीष पांडा, आरबीआई के पूर्व डिप्टी गवर्नर श्री आर. गांधी, श्री एन.एस. विश्वनाथन और श्री एम.के. जैन तथा भारतीय स्टेट बैंक के पूर्व अध्यक्ष श्री रजनीश कुमार और दिनेश कुमार खारा समेत कई प्रतिष्ठित नाम शामिल हुए।
अपने उद्घाटन भाषण में सचिव, वित्तीय सेवा एम नागराजू ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक अब केवल अस्तित्व और स्थिरता के चरण से आगे निकल चुके हैं और विकसित भारत 2047 की यात्रा में विकास, नवाचार और नेतृत्व के वाहक बनने की स्थिति में हैं।
उन्होंने पीएसबी के लिए वैश्विक प्रतिस्पर्धा की ओर बढ़ने, शासन और परिचालन संबंधी लचीलापन मजबूत करने तथा पारंपरिक और उभरते दोनों क्षेत्रों में क्षेत्रीय चैंपियन के रूप में अपनी भूमिका निभाने की आवश्यकता पर बल दिया।
कार्यक्रम के दौरान सात पैनल चर्चाओं, तीन विशेषज्ञ सत्रों, एक फायरसाइड चैट और ओपन हाउस संवाद का आयोजन हुआ। इन सत्रों में ग्राहक अनुभव, शासन, उद्देश्यपूर्ण नवाचार, ऋण वृद्धि, जोखिम प्रबंधन, कार्यबल की तत्परता, प्रौद्योगिकी के आधुनिकीकरण और राष्ट्रीय प्राथमिकताओं जैसे विषयों पर गहन विचार-विमर्श हुआ। चर्चाओं का केंद्र डिजिटल युग में ग्राहक यात्रा की नई परिकल्पना, उद्देश्यपूर्ण नवाचार को बढ़ावा देने, स्थायी ऋण वृद्धि सुनिश्चित करने, जोखिम प्रबंधन ढांचे को मजबूत बनाने और भविष्य के लिए तैयार कार्यबल विकसित करने पर रहा। इस दौरान यह भी स्पष्ट किया गया कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक केवल वित्तीय समावेशन तक सीमित नहीं हैं बल्कि कृषि, एमएसएमई, आवास और बुनियादी ढांचे के अलावा नवीकरणीय ऊर्जा, इलेक्ट्रिक मोबिलिटी, ग्रीन हाइड्रोजन, सेमीकंडक्टर, जहाज निर्माण और डिजिटल उद्योगों के भी प्रमुख प्रवर्तक बन सकते हैं।
सत्रों में ग्राहक असंतोष के समय पर निवारण, प्रक्रिया सरलीकरण और निर्बाध सेवाएं सुनिश्चित करने की आवश्यकता को रेखांकित किया गया। यह भी सुझाव दिया गया कि बैंक अगली पीढ़ी की तकनीक अपनाएं और विविध ग्राहकों के लिए अति-वैयक्तिकृत उत्पादों की डिजाइन करें। साथ ही साइबर लचीलापन बढ़ाने, कृत्रिम बुद्धिमत्ता के लिए मजबूत प्रशासनिक ढांचा तैयार करने और खुले व अंतर-संचालनीय प्लेटफॉर्म विकसित करने की दिशा में काम करने पर जोर दिया गया।
ओपन हाउस सत्रों में पीएसबी प्रमुखों ने अपने अनुभव साझा किए और भविष्य की चुनौतियों व अवसरों पर विचार प्रस्तुत किए। इन संवादों ने शासन, ग्राहक सेवा, प्रौद्योगिकी और ऋण वितरण जैसे क्षेत्रों में अल्पकालिक प्राथमिकताओं के साथ-साथ वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता की ओर बढ़ने के लिए दीर्घकालिक दिशा भी तय की।
पीएसबी मंथन 2025 का सबसे बड़ा परिणाम साझा दृष्टिकोण और स्पष्ट दिशा रही। यह निष्कर्ष सामने आया कि भारतीय बैंकिंग का भविष्य साहसिक महत्वाकांक्षाओं और परिवर्तनकारी उद्देश्यों से आकार लेगा, जिसमें सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक राष्ट्रीय प्राथमिकताओं को आगे बढ़ाने के साथ-साथ वैश्विक स्तर के संस्थानों के रूप में उभरने की आकांक्षा रखेंगे।

