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हिंदी साहित्य में शोध की प्रक्रिया और संभावनाओं पर व्याख्यान का आयोजन

अमर संदेश संवाददाता

श्रीनगर (गढ़वाल)। हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा विभाग द्वारा 30 अगस्त को “हिंदी साहित्य में शोध की प्रविधि, प्रक्रिया एवं संभावनाएं” विषय पर एक विशेष व्याख्यान का आयोजन हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष एवं पौड़ी परिसर के पूर्व निदेशक प्रोफेसर श्यामधर तिवारी मुख्य वक्ता की उपस्थिति में सम्पन्न हुआ।

विश्व विद्यालय हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. गुड्डी बिष्ट पंवार द्वारा पुष्पगुच्छ एवं शॉल ओढ़ा कर मुख्य वक्ता प्रोफेसर श्यामधर तिवारी का स्वागत अभिनन्दन किया गया, मुख्य वक्ता के सम्मान और विश्वविद्यालय में 45 वर्षों की अमूल्य सेवाओं का उल्लेख करते हुए प्रोफेसर गुड्डी बिष्ट पंवार द्वारा कहा गया, प्रोफेसर तिवारी के मार्गदर्शन में अनेक विद्यार्थियों और शोधार्थियों ने गहन अध्ययन मनन कर अपने जीवन को नई दिशा प्रदान की। मुख्य वक्ता के तौर पर अपने उद्बोधन में प्रो. तिवारी द्वारा व्यक्त किया गया, हिंदी साहित्य में शोध केवल तथ्यों का संकलन नहीं, बल्कि एक सृजनात्मक और आलोचनात्मक दृष्टि है। शोध में प्राथमिक और द्वितीयक स्रोतों के महत्व, ग्रंथ-परीक्षण, परंपरा और नवीनता के संतुलन पर भी प्रोफेसर श्यामधर तिवारी द्वारा स-विस्तार प्रकाश डाला गया। बताया गया, शोधार्थियों को साहित्यिक परिप्रेक्ष्य के साथ सामाजिक व सांस्कृतिक संदर्भों पर भी गहन दृष्टि रखनी चाहिए। डिजिटल माध्यमों और अंतर विषयक दृष्टिकोणों को प्रोफेसर तिवारी द्वारा आधुनिक शोध की नई संभावनाओं के रूप में रेखांकित किया।

धन्यवाद भाषण में प्रोफेसर मंजुला राणा द्वारा प्रोफेसर श्यामधर तिवारी के कार्यकाल को याद करते हुए कहा गया, प्रोफेसर तिवारी के अथक परिश्रम का ही प्रतिफल रहा विश्व विद्यालय का हिंदी विभाग नई ऊंचाइयों को छूने में कामयाब रहा।

विश्वविद्यालय के हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा विभाग द्वारा आयोजित उक्त व्याख्यान

कार्यक्रम में डॉ. अनूप सेमवाल, डॉ. कपिल देव पंवार, डॉ. सविता मैठाणी सहित अनेक शोधार्थी और बड़ी संख्या में विश्व विद्यालय के विद्यार्थी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का प्रभावशाली संचालन शुभम थपलियाल द्वारा किया गया। आयोजित व्याख्यान हिंदी साहित्य के शोधार्थियों और विद्यार्थियों के लिए अति प्रेरणादाई और ज्ञानवर्धक रहा, जिसमें शोध की बारीकियों और संभावनाओं पर गहन चर्चा हुई।

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