Amar sandesh नई दिल्ली,। केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने ट्वीट कर उनके द्वारा पेश किए जेल जाने वाले नेता को प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या केन्द्र और राज्य सरकार में मंत्री जैसे अहम पदों से हटाने वाले बिल का विरोध करने पर कांग्रेस सहित पूरे विपक्ष के दोहरे चरित्र का पर्दाफाश किया।केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने विपक्ष के दोहरे रवैये को उजागर करते हुए कहा कि मोदी सरकार राजनीति में शुचिता और नैतिकता बहाल करने के लिए ऐतिहासिक कदम उठा रही है। लोकसभा में पेश किए गए नए विधेयकों के जरिए यह सुनिश्चित किया गया है कि अब कोई भी व्यक्ति जेल में रहते हुए प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री के पद पर कार्य नहीं कर सकेगा।
अमित शाह ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस और इंडिया गठबंधन इस बिल का विरोध कर रहे हैं ताकि भ्रष्टाचारियों को जेल से भी सत्ता से चिपके रहने का मौका मिले। उन्होंने याद दिलाया कि इंदिरा गांधी ने खुद को कानून के दायरे से बचाने के लिए संविधान में संशोधन किया था, और कांग्रेस आज भी उसी संस्कृति को आगे बढ़ा रही है। इसके उलट भाजपा की नीति हमेशा से यही रही है कि प्रधानमंत्री और मंत्री भी कानून से ऊपर नहीं हो सकते।
गृह मंत्री ने कहा कि यह विधेयक गिरते नैतिक मानकों को सुधारने और राजनीति में ईमानदारी की परंपरा स्थापित करने के लिए लाया गया है। अब यदि कोई नेता जेल में बंद होगा तो उसे 30 दिन की मोहलत में जमानत लेनी होगी, अन्यथा स्वतः ही उसका पद समाप्त हो जाएगा। बाद में अदालत से जमानत मिलने पर वह पुनः पद संभाल सकता है।
अमित शाह ने कांग्रेस की आलोचना करते हुए कहा कि जब उन्हें झूठे राजनीतिक प्रतिशोध के मामले में फंसाकर गिरफ्तार किया गया था, तो उन्होंने गिरफ्तारी से पहले ही इस्तीफा दे दिया था और तब तक कोई संवैधानिक पद नहीं संभाला जब तक अदालत ने उन्हें पूर्णतः बरी नहीं कर दिया। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने तो केवल आरोप लगने पर ही पद छोड़ दिया था।
इसके विपरीत कांग्रेस आज भी भ्रष्टाचारियों को बचाने और अनैतिक परंपरा को आगे बढ़ाने में लगी हुई है। राहुल गांधी ने जिस अध्यादेश का विरोध करके खुद को ईमानदारी का चेहरा दिखाने की कोशिश की थी, आज वही लालू प्रसाद यादव को गले लगाते नजर आते हैं।
शाह ने कहा कि मोदी सरकार का यह कदम जनता की लंबे समय से चली आ रही उस मांग को पूरा करता है जिसमें लोग चाहते थे कि नेता भी कानून और नैतिकता के दायरे में रहें। विपक्ष का विरोध यह साफ दिखाता है कि वे भ्रष्टाचारियों को ढाल देने के अलावा और कुछ नहीं चाहते।
मोदी सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि अब देश में कोई भी नेता कानून से ऊपर नहीं होगा और जेल से सरकार चलाने की परंपरा हमेशा के लिए समाप्त होगी।