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हिमाचल में बाढ़ और भूस्खलन से तबाह राष्ट्रीय राजमार्ग, एनएचएआई युद्धस्तर पर बहाली में जुटा

“सरकार पूरी तरह प्रतिबद्ध है – केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग राज्य मंत्री अजय टम्टा”

अमर संदेश, शिमला।हिमाचल प्रदेश में इस मानसून के दौरान हुई भीषण वर्षा और बादल फटने की घटनाओं ने राज्यभर में भारी तबाही मचाई है। कुल्लू और मंडी जिले सबसे अधिक प्रभावित रहे। 25 से 27 अगस्त के बीच अंजनी महादेव, मनालसू और बड़ाग्राम क्षेत्र में बादल फटने से ब्यास नदी में आई बाढ़ ने कीरतपुर-मनाली राष्ट्रीय राजमार्ग को कई स्थानों पर क्षतिग्रस्त कर दिया, जिससे मनाली और कुल्लू का संपर्क पूरी तरह टूट गया।

एनएचएआई ने तत्काल कदम उठाते हुए यातायात को वैकल्पिक मार्गों पर डायवर्ट किया और क्षतिग्रस्त सड़कों की मरम्मत के लिए 4 करोड़ रुपये स्वीकृत किए। साथ ही, एनएचएआई अध्यक्ष द्वारा युद्धस्तर पर मरम्मत कार्यों हेतु 100 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई। इन प्रयासों से रायसन, पतलीकूहल, कलाथ और अलियो ग्राउंड जैसे क्षेत्रों की कनेक्टिविटी फिर से बहाल हो गई है।

पंडोह से टकोली तक बड़े पैमाने पर भूस्खलन से यातायात प्रभावित हुआ है। मौके पर तैनात मशीनें लगातार मलबा हटाकर वाहनों की आवाजाही बनाए रखने में जुटी हैं। कठिन भू-आकृति और प्रतिकूल मौसम की चुनौतियों के बावजूद कार्य जारी है।

हिमाचल प्रदेश लोक निर्माण विभाग के अधीन एनएच-305 को भी भारी नुकसान पहुँचा। धामन, लारजी, बालीचौकी और अन्य क्षेत्रों का संपर्क कई दिनों तक बाधित रहा। भारी बारिश से कार्य कठिन जरूर रहा, लेकिन विभाग के समर्पित प्रयासों से अब हल्के वाहनों के लिए मार्ग खोल दिया गया है। इस सड़क की अस्थायी बहाली पर 15 करोड़ और स्थायी समाधान पर 50 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है।

इसी तरह, राष्ट्रीय राजमार्ग-154ए (बनीखेत–चंबा–भरमौर) समेत अन्य मार्गों को भी भूस्खलन और कटाव से नुकसान पहुँचा। फिलहाल अधिकांश मार्गों पर यातायात बहाल कर दिया गया है।

भविष्य में ऐसी आपदाओं से निपटने के लिए मंत्रालय ने सुरंगों, पुलों, ढलान सुरक्षा कार्यों, जियोटेक्सटाइल्स और भू-तकनीकी सर्वेक्षण जैसे दीर्घकालिक और आधुनिक उपायों को शामिल करने का निर्णय लिया है।

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग राज्य मंत्री अजय टम्टा ने कहा कि हिमाचल जैसे पहाड़ी राज्यों में आपदा-प्रतिरोधी राष्ट्रीय राजमार्गों का विकास सरकार की प्राथमिकता है और इस दिशा में मंत्रालय पूरी तरह प्रतिबद्ध है।

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