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अमर बलिदानी श्रीदेव सुमन की 81वीं पुण्यतिथि पर आयोजित राष्ट्रीय विचार गोष्ठी व बाल प्रतिभा सम्मान-2025 संपन्न 

सी एम पपनैं

नई दिल्ली। अमर बलिदानी श्रीदेव सुमन की 81वीं पुण्यतिथि पर उत्तराखंड समाज तथा पर्वतीय लोक विकास समिति दिल्ली ईकाई द्वारा 26 जुलाई को दक्षिणी दिल्ली, पालम क्षेत्र के साध नगर स्थित श्री शिव मंदिर धर्मशाला में राष्ट्रीय विचार गोष्ठी तथा बाल प्रतिभा सम्मान समारोह 2025 का आयोजन दिल्ली सरकार के सेवानिवृत निदेशक और वरिष्ठ समाजसेवी जय लाल नवानी की अध्यक्षता में आयोजित किए गए।

उत्तराखंड समाज, साध नगर अध्यक्ष प्रभाकर ध्यानी, कार्यक्रम व्यवस्थापक एवं श्रीदेव सुमन के पारिवारिक सदस्य प्रवीण बडोनी तथा मनीषा बडोनी द्वारा सभा स्थल में उपस्थित मातृशक्ति तथा प्रबुद्ध जनों का स्वागत अभिनन्दन किया गया। आयोजित आयोजन का शुभारंभ मातृशक्ति तथा अन्य उपस्थित प्रबुद्ध जनों द्वारा अमर बलिदानी श्रीदेव सुमन के चित्र पर पुष्प अर्पित कर किया गया। कारगिल के वीर योद्धाओं का भी स्मरण कर श्रद्धा सुमन अर्पित किए गए। आयोजन के इस अवसर पर स्थानीय स्कूली बच्चों द्वारा श्रीदेव सुमन एवं देशभक्ति पर केंद्रित चित्रकला और रचनात्मक लेखन प्रतियोगिता में भाग लिया गया। देश के अमर बलिदानी श्रीदेव सुमन के जीवन पर्यंत किए गए त्याग, संघर्ष व बलिदान पर आयोजकों द्वारा सारगर्भित प्रकाश डाला गया।

अमर बलिदानी श्रीदेव सुमन की पुण्य तिथि पर आयोजित राष्ट्रीय विचार गोष्ठी के इस अवसर पर गोष्ठी मुख्य वक्ता वरिष्ठ पत्रकार एवं केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के मीडिया सलाहकार प्रो.सूर्य प्रकाश सेमवाल द्वारा कहा गया, स्वातंत्र्य योद्धा और अमर बलिदानी श्रीदेव सुमन राष्ट्रीय स्तर के लेखक और स्थापित पत्रकार थे, समूचे देश को अंग्रेजों के दमन से और टिहरी की प्रजा को राजशाही के अत्याचारों से मुक्ति दिलाने के लिए 84 दिन की ऐतिहासिक भूख हड़ताल भी उन्होंने की थी, लेकिन इस अप्रतिम योगदान के बावजूद इतिहास के पन्नो में उनका नाममेट कर दिया गया।

प्रो.सेमवाल ने कहा, आजादी के अमृत काल में स्वातंत्र्य समर के महायोद्धा, बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी अमर बलिदानी श्रीदेव सुमन के योगदान का पुनर्मूल्यांकन आवश्यक है, क्योंकि वामपंथी इतिहासकारों ने राजशाही के दबाव में महात्मा गांधी से सीधे संवाद करने वाले श्रीदेव सुमन को टिहरी रियासत तक सीमित कर दिया गया। कहा गया, आज नए भारत में श्रीदेव सुमन को स्वतंत्रता सेनानी की आधिकारिक मान्यता देने के साथ-साथ उनके अप्रतिम योगदान और कीर्तिमान को देखते हुए देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारतरत्न से सम्मानित किए जाने की आवश्यकता है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे दिल्ली सरकार के सेवानिवृत निदेशक और वरिष्ठ समाजसेवी जय लाल नवानी द्वारा कहा गया, अमर बलिदानी श्रीदेव सुमन पर केवल भाषण और फोटो से आगे निकलकर हमारी सभी संस्थाओं को इस इतिहास पुरुष को उसके बलिदान और योगदान के अनुरूप उचित स्थान देने की मांग करनी चाहिए।

आयोजित राष्ट्रीय विचार गोष्ठी के इस अवसर पर सर्वसमाज कल्याण समिति अध्यक्ष कैप्टन गुलाब सिंह शेखावत, समाजसेवी नरेंद्र गुसाईं, सिविल सोसाइटी संरक्षक महेश शर्मा, वरिष्ठ नागरिक प्रकोष्ठ सह संयोजक मान सिंह, उत्तराखंड विकास एवं सांस्कृतिक समिति सांस्कृतिक सचिव आचार्य महावीर नैनवाल, वरिष्ठ समाजसेवी रेखा रावत, टिहरी उत्तरकाशी जनविकास परिषद कोषाध्यक्ष बृजमोहन सेमवाल, भाजपा साध नगर मंडल महासचिव कैलाश जोशी तथा उत्तराखंड समाज महिला संयोजक रजनी जोशी द्वारा टिहरी राजशाही के खिलाफ आंदोलन की अगवाई करने वाले जनक्रांति के महानायक व महान स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी श्रीदेव सुमन को उनकी पुण्यतिथि पर नमन करते हुए, स्मरण करते हुए सारगर्भित प्रकाश डाल कर कहा गया, टिहरी में जन्में अमर शहीद श्रीदेव सुमन टिहरी जन क्रांति के नायक रहे। उनका जन्म चम्बा ब्लॉक, बमुण्ड पट्टी के जौल गांव में पंडित हरिकृष्ण बडोनी और तारा देवी के घर 25 मई 1916 को हुआ था। श्रीदेव सुमन अल्प आयु में ही स्वतंत्रता आंदोलन के साथ-साथ टिहरी के लोगों के सरोकारों के लिए संघर्ष करने लग गए थे।

वक्ताओं द्वारा कहा गया, महात्मा गांधी व जवाहर लाल नेहरू के श्रीदेव सुमन एक निष्ठावान व कर्मठ सहयोगी रहे थे। नमक सत्याग्रह व भारत छोड़ों आंदोलन में उनकी निर्भीक भागीदारी को देख गांधी जी व नेहरू जी प्रभावित हुए बिना नहीं रह सके थे। कहा गया, श्रीदेव सुमन को आजाद, भगतसिंह इत्यादि इत्यादि जैसे क्रांतिकारियों की संगत में भी कार्य करने का अवसर प्राप्त हुआ था, इसीलिए उन्हें देश के स्वतंत्रता संग्राम का महानायक कहा जाता है, लेकिन उन्हें जो उपेक्षित किया गया वह असहनीय रहा है।

टिहरी के लोगो का दर्द समझ टिहरी रियासत का अंतिम सांस तक विरोध व तत्कालीन रियासत प्रमुख नरेंद्र शाह द्वारा उनको दी गई कष्टप्रद यातनाओं का मार्मिक उद्धरण वक्ताओं द्वारा सुनाया गया। कहा गया, टिहरी के तत्कालीन राजा द्वारा जनता पर किए जा रहे अत्याचारों का भारी विरोध कर श्रीदेव सुमन ने राजशाही को हिला कर रख दिया था, जिस कारण उन्हें जेल में डाल दिया गया था, जहां उन्होंने 84 दिनों का आमरण अनशन कर 25 जुलाई 1944 को अपना शरीर त्याग दिया था। भारी जनाक्रोश व अनहोनी की आशंका को देखते हुए जेल प्रशासन द्वारा रात्रि में ही श्रीदेव सुमन की पार्थिव देह को जेल की पिछली दीवार से भिलंगना नदी में बहा दिया गया था।

वक्ताओं द्वारा कहा गया, अल्प आयु में देश की आजादी के लिए दिए गए अमूल्य योगदान के साथ-साथ एक चिंतक के नाते टिहरी को अपना बृहद रचनात्मक क्रियाकलापों का क्षेत्र बना कर ‘टिहरी प्रजा मंडल’ की स्थापना कर उसके बैनर तले किए गए आंदोलनों से लोगो को चेतना का आकाश दिखाया था। टिहरी रियासत के घृणित शोषण के खिलाफ उनका त्याग, संघर्ष, कुरीतियों के विरोध के साथ-साथ एक पत्रकार, साहित्यकार व प्रबुद्ध समाज सेवी के नाते उनका योगदान व की गई कुर्बानी सदा के लिए अविस्मरणीय बन गई।

वक्ताओं द्वारा कहा गया, टिहरी को याद करने का मतलब है एक स्मृद्ध गाथा को याद करना, क्यों कि टिहरी ही चेतना के रास्ते को खोलती है। लोगों के जन्म की धारा टिहरी को आगे बढ़ाती है। यह टिहरी के लोगों को जानना आवश्यक है कि पहाड़ की विपदा की मूल धारणा का जन्म टिहरी से ही होता है। इसलिए श्रीदेव सुमन की चेतना जिंदा रहनी चाहिए।

वक्ताओं द्वारा कहा गया, श्रीदेव सुमन एक व्यक्ति नही आंदोलन थे, जननायक व महानायक थे। सामंतवादी सियासत के खिलाफ अहिंसक आंदोलन करने पर उन पर राजद्रोह का मुकदमा ठोका गया था। 1930 तिलाडी कांड, टिहरी को बचाने के लिए श्रीदेव सुमन ने बलिदान दिया था। लोगों को जागृत कर शराब की दुकानों का विरोध कर गांवों में स्कूल खुलवाए थे, टिहरी वासियों को स्वास्थ्य सुविधाए मुहैया करवाने हेतु संघर्ष की ज्योत जलाई थी। जल, जंगल व जमीन की लड़ाई उन्होंने लड़ी थी।

कहा गया, श्रीदेव सुमन भले ही 1944 में इस दुनिया से चले गए हो पर वो आज भी अमर हैं, उनकी याद में भले ही अंचल में सुमन चौक, सुमन पुस्तकालय, टिहरी डैम का नाम सुमन सागर और अब उनके नाम से श्रीदेव सुमन विश्व विद्यालय भी है। श्रीदेव सुमन के बलिदान को सच्चे अर्थों में अगर याद रखना है तो अंचल के जनमानस को उनके स्वयं के द्वारा कहे व लिखे गए शब्दों व शब्दों की महत्ता को गांठ बांध उनसे प्रेरणा लेकर, एकजुट व निर्भीक होकर कुरीतियों व शोषण का दूरदर्शिता से व संयम बनाकर संवैधानिक तौर तरीकों से विरोध करना चाहिए न सिर्फ अंचल, बल्कि राज्य व देश की समृद्धि हेतु भी।

उत्तराखंड समाज, साध नगर अध्यक्ष श्री प्रभाकर ध्यानी द्वारा कहा गया उनकी संस्था श्रीदेव सुमन के निमित्त विशेष आयोजन करेगी। उत्तराखंड जनविकास समिति अध्यक्ष महेश रावत, देवभूमि एकता समिति कैलाशपुरी महासचिव बी.एल.ध्यानी तथा जनकल्याण समिति, महावीर एनक्लेव अध्यक्ष सुनील नेगी द्वारा अमर बलिदानी श्रीदेव सुमन को अपेक्षित सम्मान दिलाने का संकल्प व्यक्त किया गया। समारोह व्यवस्थापक प्रवीण बडोनी द्वारा कहा गया, हम सभी समितियों के माध्यम से केंद्र सरकार और उत्तराखंड सरकार से अमर बलिदानी श्रीदेव सुमन को अति शीघ्र स्वतंत्रता सेनानी घोषित करने की मांग पर जोर देंगे।

आयोजन के इस अवसर पर अमर बलिदानी श्रीदेव सुमन पर केंद्रित चित्रकला और निबंध लेखन प्रतियोगिता में श्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले नौनिहालों में प्रमुख ओम बडोनी, अभिनव उनियाल, रिधांस भट्ट, गौरव सेमवाल तथा हर्षित सेमवाल को बाल प्रतिभा पुरस्कार आयोजकों के कर कमलों प्रदान किए गए।

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