प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आनंदपुर धाम दौरा: आध्यात्मिक विरासत, सेवा और विकास का संगम
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने मध्य प्रदेश के अशोकनगर जिले स्थित आध्यात्मिक स्थल आनंदपुर धाम का दौरा कर वहां की जनता, साधु-संतों और श्रद्धालुओं को संबोधित किया। यह ऐतिहासिक अवसर केवल धार्मिक या आध्यात्मिक ही नहीं, बल्कि सेवा, संस्कृति और विकास के एक समग्र संदेश के रूप में सामने आया।
प्रधानमंत्री ने गुरुजी महाराज मंदिर में दर्शन और पूजा-अर्चना कर आनंदपुर धाम की ऊर्जा का अनुभव साझा किया। उन्होंने देश भर से आए श्रद्धालुओं का अभिनंदन करते हुए आनंदपुर धाम की परंपरा और उसकी तपस्वी विरासत को नमन किया।
धर्म और सेवा की धरती को नमन
श्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि “आनंदपुर धाम न केवल संतों की तपोभूमि है, बल्कि यह सेवा, परोपकार और मानवता के कल्याण का जीवंत उदाहरण भी है।” उन्होंने बताया कि कैसे अद्वैत दर्शन को सरल बनाकर आम जनमानस तक पहुंचाने का कार्य पूज्य स्वामी अद्वैत आनंद जी महाराज ने किया। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर प्रथम पादशाही श्री श्री 108 स्वामी अद्वैत आनंद जी महाराज सहित अन्य पादशाही संतों को श्रद्धांजलि दी।
उन्होंने कहा, “भारत ऋषियों और संतों की भूमि है, जिन्होंने हर युग में समाज को दिशा दी है।” उन्होंने स्वामी अद्वैत आनंद जी के कार्यों की तुलना आदि शंकराचार्य से करते हुए अद्वैत दर्शन की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला।
अद्वैत दर्शन: संघर्षों का समाधान
प्रधानमंत्री ने वैश्विक स्तर पर व्याप्त युद्ध, संघर्ष और मूल्यों के क्षरण की चर्चा करते हुए कहा कि “इन सबका मूल कारण ‘स्व और अन्य’ की मानसिकता है, और इसका समाधान भारत के अद्वैत दर्शन में निहित है।” उन्होंने परमहंस दयाल महाराज के शब्दों को उद्धृत किया – “आप जो हैं, मैं वही हूं”, जो “मेरा और तेरा” की दीवारों को गिरा देता है।
सेवा ही सरकार की आत्मा है
श्री मोदी ने आनंदपुर धाम ट्रस्ट की निस्वार्थ सेवा पहल की सराहना की। उन्होंने बताया कि ट्रस्ट द्वारा अस्पताल, चिकित्सा शिविर, आधुनिक गौशालाएं और विद्यालय चलाए जा रहे हैं, जो समाज के वंचित वर्गों के उत्थान में योगदान दे रहे हैं। उन्होंने विशेष रूप से हजारों एकड़ बंजर भूमि को हरे-भरे वन में बदलने के लिए ट्रस्ट के पर्यावरणीय प्रयासों की प्रशंसा की।
प्रधानमंत्री ने कहा, “सरकार की हर योजना के मूल में सेवा की भावना है।” उन्होंने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना, आयुष्मान भारत, पीएम आवास योजना, जल जीवन मिशन जैसी योजनाओं को इस भावना का प्रतीक बताया। साथ ही उन्होंने ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान के माध्यम से पर्यावरण के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराया।
विकास और विरासत का समन्वय
प्रधानमंत्री ने चंदेरी साड़ियों को GI टैग देने और प्राणपुर में हथकरघा पर्यटन गांव की स्थापना जैसे प्रयासों का उल्लेख कर क्षेत्रीय विकास की योजनाओं को रेखांकित किया। साथ ही उन्होंने “राम वन गमन पथ” की चर्चा करते हुए मध्य प्रदेश की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया।
विकसित भारत 2047 की ओर
श्री मोदी ने भारत के 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने के लक्ष्य को दोहराया और कहा कि “विकास और संस्कृति, दोनों को साथ लेकर चलना ही भारत की असली ताकत है।” उन्होंने विश्वास जताया कि आनंदपुर धाम ट्रस्ट की सेवा भावना इस लक्ष्य में नई ऊर्जा का संचार करेगी।
सांस्कृतिक एकता का पर्व
प्रधानमंत्री ने बैसाखी और श्री गुरु महाराज जी की जयंती के शुभ अवसर पर सभी देशवासियों को बधाई दी और कहा, “सेवा ही साधना है, यही भारत की आत्मा है।”
इस गरिमामयी कार्यक्रम में मध्य प्रदेश के राज्यपाल श्री मंगूभाई पटेल, मुख्यमंत्री श्री मोहन यादव और केंद्रीय मंत्री श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
यह दौरा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत की आध्यात्मिक चेतना और सामाजिक उत्थान के समन्वय की एक प्रेरक मिसाल बनकर उभरा है – एक ऐसा भारत जो विकास की ओर अग्रसर है, पर अपनी जड़ों को कभी नहीं भूलता।